ब्रिटेन ने बिना ड्राइवर वाली कारों को सड़क पर उतरने की अनुमति दे दी है. सरकार को उम्मीद है कि बिना ड्राइवर वाली कारों से सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी आएगी. ब्रिटेन में 93 फीसदी सड़क हादसे इंसानी गलती से होते हैं.
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ब्रिटेन की परिवहन मंत्री क्लेयर पेरी ने ड्राइवर रहित कारों के रोड टेस्ट की अनुमति देते हुए कहा, "हम आधिकारिक रूप से सेमी ऑटोमैटिक वाहनों के चार परीक्षणों की शुरुआत कर रहे हैं, यह ड्राइवर रहित तकनीक के रास्ते में पहला कदम है."
पेरी को उम्मीद है कि ड्राइवर रहित कारें सड़क हादसों को भी कम करेंगी, "ये सड़क सुरक्षा के लिए बहुत अच्छा है. फिलहाल 93 फीसदी दुर्घटनाएं ड्राइवर की गलती से होती है. यह संभावना भी है कि इससे लोगों को ज्यादा समय मिलेगा, हमें दिन में अतिरिक्त समय मिलेगा. इससे सड़क की क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने का मौका भी मिलेगा."
ड्राइवर रहित कारें अगली गर्मियों में लंदन ग्रीनविच जिले में टेस्ट की जाएंगी. इसके बाद इन्हें सेंट्रल इंग्लैंड में भी उतारा जाएगा. बैटरी से चलने वाली ये कारें एक बार में 64 किलोमीटर की दूरी तय कर सकेंगी. टेस्ट के दौरान रफ्तार करीब 23 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी.
ब्रिटेन यूरोप का तीसरा बड़ा कार निर्माता देश है. सरकार को उम्मीद है कि ड्राइवर रहित कारों के मामले में वह शुरुआत से ही बढ़त बना सकता है. अमेरिका में दिग्गज अमेरिकी इंटरनेट कंपनी गूगल भी ड्राइवर रहित कारों का परीक्षण कर रही है. बाजार विश्लेषकों का अनु्मान है कि ड्राइवर रहित कारों का बाजार 2025 तक 900 अरब पाउंड का होगा और इसमें रोजगार पैदा करने की भी क्षमता होगी.
लेकिन एक सर्वे के मुताबिक ब्रिटेन के ज्यादातर लोग ड्राइवर रहित कारों को लेकर शंका में है. ड्राइवर रहित कारें आम कारों की तुलना में महंगी हैं. ब्रिटेन के आधे लोग ऐसी कारों के लिए पैसा खर्च नहीं करना चाहते. 16 फीसदी तो इन कारों को पूरी तरह नकार रहे हैं.
ओएसजे/आईबी (एएफपी)
ड्राइवर बिना चलेंगी कारें
तकनीकी रूप से तो यह संभव हो गया है कि कारें बिना किसी ड्राइवर के खुद ब खुद चल सकें. लेकिन सवाल यह है कि क्या रोबोट के हाथों में ये जिम्मेदारी देना ठीक होगा.
तस्वीर: DW/Fabian Schmidt
ड्राइवर रहेगा निश्चिंत
नए ऑटोमेटिक कंट्रोल वाली कारों में ड्राइवर को न तो ट्रैफिक की चिंता करनी होगी और ना ही आस पास की गाड़ियों से टकराने की फिक्र. बस सोचना होगा कि जाना कहां है.
तस्वीर: Continental AG
भविष्य में रोबोट चलाएंगे कारें
गूगल कंपनी के 'सेल्फ ड्राइविंग कार प्रोजेक्ट' से बनी इलेक्ट्रिक कारें कुछ ही सालों में सड़कों पर उतार दी जाएंगी. शुरू में कार में स्टियरिंग, ब्रेक और एक्सीलरेटर भी होंगे लेकिन बाद में इन्हें कारों से पूरी तरह हटा लेने की योजना है.
तस्वीर: Getty Images
लेजर लाइट में दिखेगा सब
जर्मनी की सैनिक यूनिवर्सिटी भी सेल्फ ड्राइविंग गाड़ी बना रही है. इसमें लेजर की मदद से सतह का थ्रीडी नक्शा बन कर कंप्यूटर तक पहुंचता है. इससे कार की स्थिति का पता चलता है.
तस्वीर: Universität der Bundeswehr/TAS
नए ड्राइवर को नहीं मिला है लाइसेंस
गूगल पिछले काफी समय से कैलिफोर्निया में अपने मुख्यालय में सेल्फ ड्राइविंग कारों को टेस्ट कर रही है. टेस्टिंग के दौरान कार में एक ड्राइवर भी होता है. कानून के हिसाब से कार जो भी करे उसके लिए इंसान की ही जिम्मेदारी बनेगी.
तस्वीर: DW
एक्सिडेंट तो नहीं होंगे
सड़कों पर दुर्घटनाएं आम हैं. गूगल को उम्मीद है कि ये सेल्फ ड्राइविंग कारें इंसानों से कम गलतियां करेंगी और दुर्घनाएं भी कम होंगी. इन्हें इस तरह से बनाया गया है कि ड्राइविंग बेहद सुरक्षित हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एक्सिडेंट हुए तो दोषी कौन
माना कि तकनीक सुरक्षित होगी लेकिन अगर फिर भी एक्सिडेंट हो गया तो जिम्मेदारी कौन लेगा. कार बनाने वाले, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाने वाले, कार के मालिक या फिर जो कार में बैठा है.
तस्वीर: imago/Jochen Tack
कैसे खतरों से बचाएंगे सेंसर
इन रोबोट कारों में कई सेंसर होंगे जो आसपास के माहौल का लगातार विश्लेषण करते रहेंगे. गूगल की कार में लेसर सेंसरों के इस्तेमाल से बाहर की थ्रीडी तस्वीर मिलती है.
तस्वीर: DW/Fabian Schmidt
सैटेलाइट, रडार और कैमरे
एक आम यूएसबी कैमरे की तरह काम करने वाली ऑप्टिकल आंखें, छोटा सा रडार सेंसर और जीपीएस के आंकड़े, यही होंगे बिना ड्राइवर की कार के आंख और कान.
तस्वीर: DW/Fabian Schmidt
लोग रहेंगे सुरक्षित
अब बिना इंसान की जान को जोखिम में डाले खतरनाक इलाकों में गाड़ियों को भेजा जा सकेगा, चाहे जहरीली गैसों वाली खदान हो या परमाणु खतरा. पोलैंड की सैनिक अकादमी में ऐसी ही एक बिना ड्राइवर वाली गाड़ी बनाई जा रही है.