बोरिस जॉनसन क्या संसद निलंबित कर कराएंगे ब्रेक्जिट?
२८ अगस्त २०१९
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अक्टूबर में संसद को निलंबित करवा दिया है, इसका एक असर यह भी हो सकता है कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से 31 अक्टूबर की तय तारीख को बिना किसी समझौते के ही बाहर हो जाएगा.
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ब्रेक्जिट को लेकर सरकार की कोशिशों से आम लोगों और कारोबारियों में एक तरह का डर है. बहुत से लोगों ने इस फैसले की निंदा की है और इसे एक "तानाशाही" कदम माना है.
ब्रेक्जिट के समर्थक लेकिन इसे एक निर्णायक कदम मान रहे हैं. इसके नतीजे में देश यूरोपीय संघ से बाहर जाने के मसले पर हुई वोटिंग के ठीक तीन साल बाद सचमुच बाहर हो जाएगा. राजनेता संसद के निलंबन और ब्रेक्जिट से बाहर निकलने के तरीकों पर संघर्ष के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं लेकिन एक सवाल यह भी है कि आखिर ब्रेक्जिट पर इस कदम का क्या असर हो सकता है?
बोरिस जॉनसन ने क्या किया है?
प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से कहा है कि वे सरकार के एजेंडे के बारे में 14 अक्टूबर को भाषण दें. आमतौर पर जब महारानी भाषण देती हैं तो एक हफ्ते के लिए संसद निलंबित रहती है. महारानी ने संसद को निलंबित रखने की मंजूरी दे दी है.
इसकी क्यों अहमियत है?
इसका एक असर यह हो सकता है कि ब्रेक्जिट बिना किसी समझौते के ही हो जाए. संसद का निलंबन पहले से ही मध्य सितंबर से अगले तीन हफ्ते के लिए तय है. यह समय मुख्य राजनीतिक दलों को उनके सालाना सम्मेलनों के लिए दिया जाता है. इसका मतलब है कि जब 3 सितंबर को सांसद संसद में आएंगे तो मध्य अक्टूबर तक चलने वाली छुट्टी से पहले उनके पास काम के कुछ ही दिन होंगे. ऐसे में ब्रिटेन को बिना समझौते के 31 अक्टूबर को यूरोपीय संघ से बाहर जाने से रोकने पर बहस या फिर कोई बिल पारित करने के लिए बहुत कम समय होगा.
जॉनसन का कहना है कि वह ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से तय तारीख पर बाहर ले आएंगे चाहे कुछ भी हो. इससे व्यापार और कारोबार में बड़ी अफरातफरी होगी क्योंकि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों के बीच शुल्क और निगरानी को लागू कर दिया जाएगा.
क्या ब्रिटेन के सांसद इस निलंबन को रोक सकते हैं?
यह स्पष्ट नहीं है लेकिन वे इसके लिए कोशिश करेंगे. सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव ला सकते हैं. अगर यह प्रस्ताव पास हो गया तो आमतौर पर सरकार गिर जाती है. बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय राजनीति पढ़ाने वाले प्रोफेसर स्कॉट लूकस कहते हैं कि जॉनसन इस मांग की अनदेखी करेंगे.
उम्मीद की जा रही है कि 3 सितंबर से जब संसद की कार्यवाही शुरू होगी तो सांसद आपातकालीन विधेयक पास कर संसद को चालू रखने की कोशिश करेंगे. लूकस का कहना है कि इसके तुरंत बाद ही अदालती लड़ाई शुरू हो जाएगी लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि उनके पास पर्याप्त समय होगा कि नहीं. लूकस का कहना है कि "1930 के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा संवैधानिक संकट है." 1930 में ब्रिटेन के तत्कालीन राजा एडवर्ड द्वितीय ने अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए सत्ता का त्याग कर दिया था.
नतीजा क्या होगा यह अभी साफ नहीं है. दुनिया के ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों के उलट ब्रिटेन का लिखित संविधान नहीं है और ऐसे में यह निर्देशों के लिए ज्यादातर परंपराओं पर ही निर्भर करता है.
ब्रेक्जिट: रेफरेंडम के बाद से अब तक क्या क्या हुआ
24 जून 2016 को ब्रिटेन ने जनमत संग्रह कर यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला लिया और पूरी दुनिया को चौका दिया. तब से अब शुरू हुआ तारीख पर तारीख का सिलसिला थमता नहीं दिखता. जानिए कहां तक पहुंची है ब्रेक्जिट की गाड़ी.
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जून 2016: जनता का फैसला
जनमत संग्रह के दौरान 24 जून को 52 फीसदी ब्रिटेन वासियों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के हक में वोट दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे "ब्रिटेन के लोगों की मर्जी" कहा और अगली ही सुबह अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कैमरन ब्रेक्जिट के हक में नहीं थे.
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जुलाई 2016: ब्रेक्जिट मतलब ब्रेक्जिट
11 जुलाई को तत्कालीन गृह मंत्री टेरीजा मे ने प्राधमंत्री का पद संभाला और देश से वायदा किया: "ब्रेक्जिट मतलब ब्रेक्जिट". हालांकि जनमत संग्रह से पहले मे भी कैमरन की ही तरह ब्रेक्जिट विरोधी थीं. पद संभालते वक्त उन्होंने यह घोषणा नहीं की कि वे ईयू के साथ ब्रेक्जिट पर चर्चा कब शुरू करेंगी.
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मार्च 2017: अलविदा
29 मार्च को टेरीजा मे ने आर्टिकल 50 के तहत ब्रेक्जिट की प्रक्रिया शुरू की. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की औपचारिक तारीख 29 मार्च 2019 तय की गई. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने उस वक्त अपने बयान के अंत में कहा, "हमें अभी से आपकी कमी खलने लगी है. आपका शुक्रिया. अलविदा."
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जून 2017: बहस शुरू
19 जून को ब्रसेल्स में ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पर बहस शुरू हुई. पहले चरण की बातचीत में ब्रिटेन ईयू द्वारा तय कई गई टाइमलाइन से संतुष्ट नहीं दिखा. लेकिन बावजूद इसके उसे ईयू की शर्तें माननी पड़ीं. ईयू ने ब्रेक्जिट को दो चरणों में बांटा. पहले चरण में तय होना था कि ब्रिटेन ईयू से कैसे अलग होगा. और दूसरे चरण में तय होना था कि ब्रेक्जिट के बाद ईयू और ब्रिटेन के संबंध कैसे आगे बढ़ेंगे.
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जुलाई से अक्टूबर 2017: पहला चरण
पहले चरण पर बहस तो हुई लेकिन तीन मुख्य मुद्दों पर कोई ठोस नतीजा निकलता नहीं दिखा. पहला, ईयू छोड़ने के बाद ब्रिटेन किस तरह से ईयू के बजट में भागीदार होगा. दूसरा, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन और ईयू के नागरिकों के अधिकार क्या क्या होंगे. और तीसरा, क्या ब्रिटेन आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बीच दरवाजे खुले रख सकेगा.
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दिसंबर 2017: दूसरा चरण
बाकी के सभी 27 सदस्य देशों ने माना कि दूसरे चरण की बहस शुरू की जा सकती है. इस चरण में ईयू और ब्रिटेन के बीच भविष्य में होने वाले व्यापार के लिए शर्तें तय करनी थीं. डॉनल्ड टस्क ने चेतावनी दी कि दूसरे चरण की बातचीत ब्रिटेन के लिए बेहद मुश्किल साबित हो सकती है.
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जुलाई 2018: इस्तीफे
ब्रिटेन के विदेश मंत्री बॉरिस जॉनसन और ब्रेक्जिट मंत्री डेविड डेविस ने ब्रेक्जिट से जुड़ी योजना पर असहमति दिखाते हुए इस्तीफे दे दिए. इस योजना के अनुसार ब्रिटेन और ईयू के बीच व्यापार के दौरान सभी वस्तुओं पर एक जैसे नियम लागू होने थे. जेरेमी हंट और डोमिनीक राब ने जॉन्सन और डेविस की जगह ली.
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सितंबर 2018: नाकाम मे
ब्रेक्जिट के लिए मे के प्रस्ताव ईयू के नेताओं की पसंद से काफी दूर दिखे. हालात यहां तक पहुंच गए कि डॉनल्ड टस्क ने इंस्टाग्राम पर टेरीजा मे को ट्रोल करते हुए एक तस्वीर डाली. तस्वीर में टस्क और मे साथ खड़े हैं और उसे कैप्शन दिया गया, "केक का एक टुकड़ा चाहेंगे? माफ कीजिए, साथ में चेरी नहीं मिलेगी."
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Monasse
दिसंबर 2018: अविश्वास मत
10 दिसंबर को मे ने ब्रेक्जिट डील पर संसद में होने वाले एक वोट को स्थगित कर दिया. अगले दिन वे जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मिलीं और उनसे समर्थन की मांग की. लेकिन इसी दौरान विपक्षी सांसद अविश्वास प्रस्ताव ले आए. हालांकि मे इसे जीत गईं.
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जनवरी 2019: संसद में डील
16 जनवरी में ब्रिटिश संसद में टेरीजा मे की ब्रेक्जिट डील पर मतदान हुआ. डील के खिलाफ 432, जबकि डील के पक्ष में सिर्फ 202 वोट पड़े. डॉनल्ड टस्क ने इस पर सुझाव दिया कि ब्रिटेन के लिए सबसे अच्छा उपाय यही होगा कि वह ईयू में ही बना रहे. इस बीच विपक्षी लेबर पार्टी ने एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी.
तस्वीर: Reuters
मार्च 2019: बढ़ाई समय सीमा
मे डील में बदलाव कर 12 मार्च को इसे फिर से संसद में ले कर आईं. इस बार डील के खिलाफ 391 और पक्ष में 242 वोट पड़े. यूरोपीय संघ के नेताओं ने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में "नो डील ब्रेक्जिट" यानी बिना किसी समझौते के ही ब्रिटेन को ईयू से अलग होना होगा. दो दिन बाद सांसदों से ब्रेक्जिट की तारीख आगे बढ़ाने के हक में वोट दिया. अगली तारीख 12 अप्रैल की थी.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/W. Szymanowicz
मार्च 2019: तीसरी बार
29 मार्च - शुरुआत में इसी दिन को ईयू से अलग होने का दिन चुना गया था. इस दिन टेरीजा मे तीसरी बार डील का प्रस्ताव संसद में ले कर पहुंचीं. एक बार फिर उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. इस बार 344 वोट उनके खिलाफ थे, जबकि 286 उनके हक में. एक समझौते की उम्मीद में मे विपक्षी नेता जेरेमी कॉर्बिन से मिलीं और अपनी ही पार्टी के लोगों को नाराज कर बैठीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/House of Commons/M. Duffy
अप्रैल 2019: तारीख पर तारीख
12 अप्रैल की डेडलाइन तक तो कोई समझौता होता नहीं दिख रहा था. इसलिए मे ने समयसीमा और आगे बढ़ाने की मांग की. सवाल था कि इस बार कितना और समय दिया जाए. नई तारीख तय हुई 31 अक्टूबर की. अगर ब्रिटेन चाहे तो उससे पहले भी अलग हो सकता है. लेकिन अब ऐसे में उसे मई में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनावों में हिस्सा लेना होगा.
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महारानी की भूमिका क्या होगी? क्या वह बिना समझौते के ब्रेक्जिट को रोक सकती हैं?
सैद्धांतिक रूप से महारानी के पास किसी कानून को रोकने या फिर नई सरकार चुनने का अधिकार है लेकिन परंपरा यह है कि वह अपने दम पर राजनीतिक फैसले नहीं लेती. उदाहरण के लिए सरकार ने महारानी के लिए जो भाषण लिखा है वह उसे सामान्य रूप से पढ़ देती हैं. बुधवार को जब सरकार ने निलंबन का अनुरोध किया तो उन्होंने इस पर सहमति दे दी.
ब्रिटेन का शाही परिवार किसी भी राजनीतिक फैसले में दखल देने के प्रति सजग रहता है और ऐसे में इस बात की कम ही उम्मीद है कि महारानी किसी क्षण इस मामले में दखल दे कर बिना समझौते के ब्रेक्जिट को रोकेंगी.
बिना समझौते के ब्रेक्जिट अगर संसद नहीं रोक सकी तो क्या यूरोपीय संघ रोक सकेगा?
यूरोपीय संघ इसे नहीं रोक सकता है. ब्रिटेन ईयू से 31 अक्टूबर को बाहर हो जाएगा. इसे रोकने का यही तरीका है कि यूरोपीय संघ से बाहर जाने के फैसले पर ब्रिटेन की संसद मुहर लगा दे और फिर इसे आगे बढ़ाने के लिए एक नई तारीख तय करे और उस पर यूरोपीय संघ सहमत हो. या फिर यह हो कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर जाने के फैसले को छोड़ दे.
बिना समझौते के ब्रेक्जिट के कितने आसार हैं?
बोरिस जॉनसन के जुलाई में प्रधानमंत्री बनने के बाद इसके आसार बढ़ गए हैं और संसद के निलंबन ने इस संभावना को और तेज कर दिया है. बुधवार को इस खबर के आने के बाद पाउंड की कीमत डॉलर के मुकाबले एक दिन पहले के 1.2290 से घट कर 1.2211 पर चली गई और यह बीते 28 महीने के सबसे कम स्तर यानी 1.2100 से ज्यादा दूर नहीं है जहां यह इसी महीने की शुरुआत में पहुंचा था.
ब्रेक्जिट समर्थकों का कहना है कि अगर जॉनसन बिना समझौते के ब्रेक्जिट की आशंका को मजबूत कर देते हैं तो बहुत संभव है कि यूरोपीय संघ 31 अक्टूबर के पहले इस बारे में नया समझौता करेगा. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ पहले से ही इस खतरे को बहुत गंभीरता से ले रहा है और ब्रिटेन को बाकी यूरोपीय संघ के मुकाबले इससे ज्यादा आर्थिक नुकसान होने की आशंका है.