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ब्रिटेन के लोग सीखेंगे सलीके से रहना

२० अगस्त २०१०

दुनिया को शालीनता से रहने का सलीका सिखाने का सदियों से दंभ भरते आए ब्रिटेन को अब अपने ही लोगों को सदाचार का पाठ पढा़ने की नौबत आ गई है. इसके लिए 2012 में लंदन ओलंपिक के मद्देनज़र एक अभियान शुरू किया है.

सलीके से रहने का पाठतस्वीर: AP

दुनिया भर में सबसे ज्यादा सभ्य और शालीन माने जाने के वाबजूद ब्रिटेन के लोगों को खासकर लंदनवासियों को अच्छा आचरण सिखाया जा रहा है. जिससे ओलंपिक में आने वाले विदेशी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया जा सके और इतिहास में दर्ज ब्रिटेन की बेहतरीन छवि बरकरार रहे.

2012 ओलंपिक खेल लंदन मेंतस्वीर: AP

इससे पहले 2008 में पेइचिंग ओलंपिक से पहले चीन में भी इस तरह का देशव्यापी अभियान चलाया गया था.

ब्रिटिश संस्था "नेशनल केंपेन फॉर कर्टसी" की ओर संचालित इस अभियान में चीनियों को सड़कों पर थूकने और रेस्तरां में जोर से गला साफ करने से बचने जैसी सामान्य बातें सिखाई गई थीं. 1986 में बनी इस संस्था के प्रमुख पीटर जी फुट का मानना है कि ब्रिटेन में अभी इसके लिए देशव्यापी अभियान चलाने की जरूरत नहीं है. लेकिन हाल ही में एक अध्ययन में लंदन को ब्रिटेन का सबसे रूखे आचरण वाले शहर का तमगा दिए जाने के बावत कम से कम लंदन के लोगों को सदाचार सिखाने की जरूरत है.

खत्म होती शालीनतातस्वीर: AP

फुट ने स्वीकार किया कि शालीन और सीधे सपाट रवैए की जन्मभूमि रहे ब्रिटेन के लोगों का व्यवहार पिछले कुछ सालों में थोड़ा रूखा जरूर हुआ है. उन्होंने कहा "हमें अपनी पूर्व छवि बरकरार रखने के लिए उदारता पूर्ण तौर तरीके सीखने होंगे. मसलन लंदन में बस के अंदर जाने के लिए अब हम कतार में नहीं रहते, सड़कों पर कूडा़ करकट दिखना आम बात हो गई है और दुकानों में लड़कियां बीती रात डेटिंग की बातें बेझिझक साझा करती दिख जाती हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, इसलिए हमें अतीत की अपनी गौरवशाली परंपरा के मद्देनजर अपने आचरण में सुधार लाने की जरूरत है."

फुट और उनके 900 कार्यकर्ताओं की टीम ने ओलंपिक में आने वाले लाखों मेहमानों का दिल जीतने के लिए लंदनवासियों को तैयार करने को कमर कस ली है. अभियान का आगाज़ हो चुका है और इसके तहत शहर के टैक्सी और बस चालकों, दुकानदारों, पब, बार एवं रेस्तरां संचालकों पर खास ध्यान दिया जा रहा है. पूरी कवायद का मकसद देश के वैभव की शानदार विरासत की असल तस्वीर मेहमानों के सामने पेश कर बिगडी़ छवि को सुधारना है.

रिपोर्टः एजेंसियां निर्मल

संपादनः आभा एम

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