3.1 अरब पाउंड खर्च कर ब्रिटेन ने सबसे बड़ा युद्धपोत बनाया. लेकिन अब पता चला है कि 65,000 टन भारी जहाज में छेद है. उससे जहाज में लगातार पानी भर रहा है.
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एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ को ब्रिटेन का सबसे अत्याधुनिक युद्धपोत कहा गया. आठ साल के निर्माण के फौरन बाद विमानवाही युद्धपोत को नौसेना में शामिल कर लिया गया. समंदर में उसका ट्रायल शुरू हो गया. नौसेना को उम्मीद थी कि सब कुछ ठीक होगा और दो हफ्ते बाद महारानी एलिजाबेथ अपने हाथों से इसका उद्घाटन करेंगी.
लेकिन रंग में भंग हो गया. 3.1 अरब पाउंड वाले युद्धपोत में एक बड़ा छेद मिला है. छेद जहाज को चलाने वाले प्रोपेलर के पास है. सुराख के जरिये युद्धपोत में हर घंटे 200 लीटर पानी भर रहा है. ब्रिटिश नौसेना रॉयल नेवी के प्रवक्ता के मुताबिक, "कॉन्ट्रैक्ट के तहत रिपेयर का काम शुरू हो चुका है."
ब्रिटिश अखबार द सन के मुताबिक 280 मीटर लंबे और 65,000 टन भारी जहाज का सुराख भरने में करोड़ों पाउंड का खर्चा आएगा. जहाज बनाने वाली कंपनी बीएई सिस्टम्स, बाबकॉक और थालेस को ही मरम्मत का खर्च उठाना होगा. बीएई सिस्टम्स के मुताबिक, "इतने विशाल काम में कुछ खामियों का सामने आना सामान्य है. 2018 में इसे फिर से नौसेना में शामिल करने की योजना से पहले इसे सुधार दिया जाएगा."
लेकिन सुराख ने किरकिरी तो कर ही दी है. ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक महारानी के हाथों उद्घाटन कराने के चक्कर में नौसेना ने एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ को जरूरत से जल्दी कमीशन कर दिया.
(किसके लिए खतरा है चीन का नया विमानवाही युद्धपोत)
चीन का नया विमानवाहक पोत, किस किसको खतरा है?
चीन ने अपना दूसरा विमानवाहक पोत पेश किया है. बताया जाता है कि इसे चीन में ही तैयार किया गया है. यह विमानवाहक पोत चीन की बढ़ती ताकत की निशानी है. इससे किस किसको खतरा है, चलिए जानते हैं.
तस्वीर: Reuters
ताकत की भूख
पचास हजार टन के इस पोत को सेना में शामिल किए जाने से पहले उस पर काम काफी काम किया जाना बाकी है. लेकिन जानकारों के मुताबिक इतना साफ है कि चीन क्षेत्र का सबसे ताकतवर और प्रभावशाली देश बनना चाहता है.
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समंदर में तनातनी
चीन कहता रहा है कि उसे अपनी जल सीमा और अन्य समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए विमान वाहक पोतों की जरूरत है. माना जाता है कि इस तरह चीन ईस्ट चाइना सी और साउथ चाइन सी में अपने दावों को और मजबूती देना चाहता है.
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ताइवान को चिंता
चीन की बढ़ती ताकत से ताइवान अपने लिए खतरे महसूस करता है. 2.3 करोड़ की आबादी वाले ताइवान को चीन अपना एक हिस्सा समझता है और कहता है कि उसे बलपूर्वक या बातचीत से एक दिन चीन में ही मिलाया जाना है. वहीं ताइवान अपने आपको एक अलग देश मानता है.
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भड़काऊ कदम
विमान वाहक पोतों के जरिए चीन ताइवान पर और दबाव बनाने का प्रयास करेगा. 2017 की शुरुआत में उसने जब अपने विमानवाहक पोत लियाओनिंग को ताइवान के बेहद नजदीक से गुजारा था, तो इसे एक भड़काऊ कदम के तौर पर देखा गया था.
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अमेरिका को चुनौती
चीन खुद को क्षेत्र का सबसे ताकतवर देश बनाकर कहीं न कहीं अमेरिका के वैश्विक प्रभाव और नेतृत्व को भी चुनौती देना चाहता है. दुनिया में अब अमेरिका से बाद सबसे ज्यादा रक्षा बजट चीन का ही है. उसने लड़ाकू पोत, परमाणु पनडुब्बी और अन्य अत्याधुनिक सैन्य साजोसामान खरीदा है. तस्वीर में अमेरिकी विमान वाहक पोत यूएसएस कार्ल विंसन को देखा जा सकता है.
तस्वीर: Reuters/U.S. Navy photo(C. Brown
आकाश में बाहुबल
आसमान में भी चीन की सेना लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है. चौथी जेनेरेशन वाले लड़ाकू विमान जहां उसकी सेना में शामिल हो चुके हैं. वहीं उसने पांचवी जेनेरेशन वाले दो अलग अलग तरह के तेज तर्रार लड़ाकू विमानो के प्रोटोटाइप भी तैयार किए हैं.
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बढ़ेगी पड़ोसियों की परेशानी
चीन के विमानवाहक पोतों से ताइवान ही नहीं बल्कि उसके पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी भारत और जापान के लिए चुनौतियां बढ़ेंगी. हाल के दशकों में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में विवाद गहराते जा रहे हैं जिसके चलते यह इलाका ताकत का अखाड़ा बनता जा रहा है.
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जापान की निगरानी
ईस्ट चाइना सी में कुछ द्वीपों को लेकर चीन और जापान में विवाद रहा है. चीन ने हाल के सालों में इस इलाके में अपनी नौसैन्य मौजूदगी और निगरानी बढ़ा दी है. इसके अलावा विवादित इलाके के आसपास के वायुक्षेत्र पर नजर रखने के लिए अकसर विमान भी भेजे जाते हैं.
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भारत की चिंता
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी और प्रभाव भारत को परेशान करती है. चीन पाकिस्तान में चीन हवाई अड्डे और बंदरगाह तैयार कर रहा है जिनका सैन्य इस्तेमाल भी हो सकता है. इसके अलावा अफ्रीकी देश जिबूती में चीन का पहला विदेशी सैन्य बेस भी तैयार किया गया है.
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भारत को घेरने की कोशिश?
पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन भारत के सभी पड़ोसी देशों में बड़ा निवेश कर रहा है. नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश को उसने अरबों डॉलर की मदद दी है और वहां बुनियादी ढांचा खड़ा करने में भी वह अहम भूमिका अदा कर रहा है. (रिपोर्ट: एपी/एके)