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ब्रिटेन में इंटरनेट नियमों पर यूरोप को एतराज़

१४ अप्रैल २००९

इंटरनेट की तिलिस्मी दुनिया में आम लोगों के लिए मौके तो बढ़े हैं. लेकिन साथ ही उनकी ज़िंदगी का निजीपन भी घटा है. उनके पल पल की जानकारी रखती हैं कंपनियां....

यूरोपीय संघ की इन्फोर्मेशन सोसाइटी आयुक्त - विवियन रेडिंगतस्वीर: EU

यूरोपीय संघ ने ब्रिटेन को इंटरनेट गोपनीयता के नियमो को ठीक तरह से न लागू करने का आरोप लगाते हुए उसके ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही शुरू की है. ब्रिटेन के इंटरनेट सर्विस प्रबंधक फौर्म टेक्नोलौजी नाम की एक तकनीक का इस्तेमाल कर वेबसाइट पर जाने वाले लोगों की निजी जानकारी इकट्ठा कर उनकी रुचि और पसंद के मुताबिक उन्हें विज्ञापन भेजते हैं. यूरोपीय संघ की इन्फ़ोर्मेशन सोसाइटी आयुक्त विवियन रेडिंग ने कहा है कि ब्रिटेन के इंटरनेट युज़र्स को ब्रिटेन से यूरोपीय संघ के जानकारी संरक्षण और इंटरनेट रखवाली के नियमों को ठीक तरह से लागू नहीं करने की शिकायत है. रेडिंग ने यह भी कहा कि फ़ौर्म तकनीक जैसी तकनीकों का उपयोग कर लोगों की उपभोक्ता प्रवृत्ति भांपते हुए उन्हें चुनिंदा विज्ञापन भेजना व्यापार के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इन तकनीकों का इस्तेमाल यूरोपीय संघ के इंटरनेट गोपनीयता नियमों को ध्यान में रखकर हो.

6 फ़रवरी 2007 को बर्लिन में इंटरनेट सुरक्षा दिवस मनाया गया थातस्वीर: picture-alliance/ dpa

यूरोपीय आयोग के मुताबिक ब्रिटेन के बी टी इंटरनेट प्रबंधक ने अपने उपभोक्ताओं को बिना बताए 2006 और 2007 में फ़ौर्म तकनीक का परीक्षण किया था. इन परीक्षणों का ब्रिटेन के अनेक प्राइवेसी ग्रुपों ने बहिष्कार किया. वर्लड वाइड वेब यानी इंटरनेट के प्रवर्तक टिम बर्नर्स ली ने भी इस परीक्षण पर चिंता व्यक्त की. बीटी ने 2008 में भी फ़ौर्म तकनीक को लेकर इंटरनेट पर कई प्रयोग किये, जिन्हें लेकर काफ़ी उपभोक्ताओं का शिकायतें आई.

यूरोपीय आयोग इस बात से भी चिंतित है कि ब्रिटेन में इस तरह के इंटरनेट के अवैध इस्तेमाल को रोकने के लिए कोई कोई स्वतंत्र राष्टीय पर्यवेक्षक संस्था नहीं है. रेडिंग ने ब्रिटेन को इंटरनेट सुरक्षा से जुड़े अपने राष्ट्रीय कानूनों में बदलाव लाने को कहा. यदि ब्रिटेन रेडिंग की बात पर अमल नहीं करता, तो वह इस पूरे मामले को यूरोपीय संघ की अदालत में भी ले जा सकती है.

इस पूरे मामले के चलते यूरोपीय संघ ने इंटरनेट सुरक्षा से जुड़े संघ के नियमों को और ठोस बनाने पर ज़ोर दिया. रेडिंग ने कहा कि इंटरनेट सुरक्षा के नियम यूरोपीय संघ में 1995 में बने थे. और अब इनमें ठोस बदलाव की ज़रूरत है. उन्होने फ़ेसबुक और ऑरकुट जैसी सामाजिक नेटवर्किंग साइटों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन साइटों में कम से कम वयस्कों की निजी जानकारी किसी भी इंटरनेट सर्च इंजन को उपलब्ध नहीं होनी चाहिए.

रिपोर्ट - एजेंसियां, रति अग्निहोत्रि

संपादन - उज्जवल भट्टाचार्य

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