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ब्रिटेन में नस्ली हत्यारों को 18 साल बाद जेल

४ जनवरी २०१२

ब्रिटेन की अदालत ने नस्लवादी हत्यारों को 16-16 साल की जेल की सज़ा सुनाई. दोषियों ने 1993 में एक अश्वेत युवक की हत्या की. मृतक के पिता ने गजब की लड़ाई लड़ी और ब्रिटेन के कानून तक को बदल दिया.

गैरी डॉबसन और डेविड नॉरिसतस्वीर: Reuters

अदालत ने टिप्पणी की कि इस हत्या ने पूरे देश की आत्मा को हिला दिया. कोर्ट ने 36 साल के गैरी डोबसन को कम से कम 15 साल और दो महीने की कैद की सजा सुनाई. दूसरे हत्यारे 35 साल के डेविड नॉरिस को 14 साल और तीन महीने की सजा सुनाई गई. हत्याकांड के वक्त डोबसन 17 साल और नॉरिस 16 साल के यानी नाबालिग थे. यही वजह रही कि दोनों कड़ी सजा से बच गए.

मारे गए किशोर स्टीफेन लॉरेंस के परिवार ने अदालत के फैसले को बड़ी कामयाबी बताया. लॉरेंस की मां डॉरिन ने कहा कि लंबी सजा नहीं दी गई है लेकिन 'जज के हाथ बंधे हुए थे'. डॉरिन ने तीखी टिप्पणी के लिए जज का आभार व्यक्त किया.

1993 में मारा गया स्टीफेन लॉरेंसतस्वीर: Reuters

स्टीफेन का परिवार 18 साल तक अपने बेटे के हत्यारों और ब्रिटेन के कानूनी तंत्र के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहा. जस्टिस कोलमैन ट्रैसी ने माना कि 1993 में दोनों किशोरों ने सिर्फ घृणा और नस्लवाद की भावना के चलते लॉरेंस की हत्या की. जज ने हत्यारों से कहा, "अच्छे जीवन की तरफ आगे बढ़ रहे 18 साल के मासूम युवक को नस्लवादियों ने कई चश्मदीदों के सामने सरेआम सड़क पर बर्बरता से मार दिया. तुम भी उस गुट का हिस्सा थे. मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि तुम उस गुट की विचारधारा और उसके बर्ताव को अपनाते हो."

इस हत्याकांड को ब्रिटेन के सबसे बुरे नस्लवादी अपराधों में माना जाता है. इस मामले में लंदन की मशहूर मेट्रोपॉलिटन पुलिस पर भी कई आरोप लगे. हत्याकांड के दो तीन दिन बाद ही आरोपियों की पहचान हो गई लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया. लॉरेंस का परिवार अदालत गया लेकिन पुलिस की लचर जांच की वजह से 1996 में केस गिर गया.

1998 कोर्ट के बाहर गुस्सा करता डेविड नॉरिसतस्वीर: Reuters

1999 में एक न्यायिक आयोग ने माना कि लॉरेंस हत्याकांड की जांच में लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस पेशवर लापरवाही की. आयोग ने पुलिस को संस्थागत नस्लवादी भी करार दिया. आयोग की रिपोर्ट के बाद मेट्रोपॉलिटन पुलिस के ढांचे में बड़े बदलाव किए गए. एक बार केस गिरने के बाद ब्रिटेन में उसे दोबारा शुरू करने का प्रावधान नहीं था लेकिन लॉरेंस के परिवार और मीडिया ने ऐसी लड़ाई लड़ी कि ब्रिटेन को कानून में बदलाव करना पड़ा.

हत्या के कुछ अन्य आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. हालांकि स्कॉटलैंड के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कमिश्नर बेर्नाड होगान होवे अब भी कह रहे हैं कि मामले की जांच जारी रखी जाएगी. अन्य संदिग्धों को सुनवाई तक लाया जाएगा. उन्होंने कहा, "स्टीफेन लॉरेंस की हत्या में शामिल अन्य लोगों के बिस्तर पर आराम फरमाना आसान नहीं होगा." पुलिस अब भी उम्मीद कर रही है कि कोई चश्मदीद साहस का परिचय देते हुए उसके पास आएगा.

रिपोर्ट: एएफपी, रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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