1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ब्रिटेन में मर्डोक की मुश्किलें बढ़ीं

१३ जुलाई २०११

फोन हैकिंग कांड का राज खुलने के बाद मीडिया के सबसे बड़े धुरंधरों में शामिल रुपर्ट मर्डोक के लिए ब्रिटेन में मुश्किलों का अंबार लगता दिख रहा है. ब्रिटिश संसद उनसे देश में मीडिया साम्राज्य न बढ़ाने को कहेगी.

तस्वीर: picture alliance / dpa

फोन हैकिंग के मामले में मर्डोक की कंपनी के पत्रकारों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं. ब्रिटेन की जनता में फैले असामान्य गुस्से को देखते हुए सरकार ने कुछ अहम कदम उठाए हैं. यह शायद दुर्लभ मौका था जब संसद में विपक्ष के प्रस्ताव को सत्ता पक्ष ने भी समर्थन दिया. इसके बाद रुपर्ट मर्डोक की न्यूजकॉर्प कंपनी को बीस्काईबी के प्रसारण अधिकार खरीदने के प्रस्ताव को टालना पड़ सकता है.

प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने संसद में कहा कि मर्डोक को यह इरादा छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा, "कंपनी में जो कुछ हुआ वह असम्मानजनक है और इसके हर पहलू पर नजर डालनी चाहिए. उन्हें कारोबार बढ़ाने के इरादे को छोड़ देना चाहिए क्योंकि वह पहले ही बहुत गड़बड़ कर चुके हैं."

इस बीच न्यूज कॉर्प कंपनी ने घोषणा की है कि वह बीस्काईबी खरीदने का अपना दावा वापस ले रही है. उसने बीस्काईबी में बाकी बची 61 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का दावा कर रखा था, जिसपर ब्रिटेन की सरकार को फैसला लेना था. लेकिन हैंकिंग कांड का पता चलने के बाद मर्डोक पर दबाव अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया है.

प्रधानमंत्री कैमरन से ये भी सवाल पूछे जा रहे हैं कि उन्होंने अपने प्रवक्ता के रूप में एक पूर्व पत्रकार को क्यों रखा जिसे गिरफ्तार भी किया जा चुका है. प्रधानमंत्री का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि वह निर्दोष था लेकिन अगर वह दोषी पाया गया तो दूसरों की तरह उस पर भी कार्रवाई होगी. ब्रिटिश सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए जज ब्रायन लेवेजन के नेतृत्व में एक टीम बना दी है. प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि अगर मर्डोक की संस्था का कोई सदस्य गलती करने का दोषी पाया गया तो जीवन भर ब्रिटिश मीडिया से नहीं जुड़ पाएगा.

तस्वीर: picture alliance / dpa

जानकारों का मानना है कि धनाढ्य मर्डोक के लिए यह एक बेहद बड़ा झटका है क्योंकि राजनीति में उनकी गहरी पैठ रही हैं लेकिन अब उन पर चौतरफा दबाव बढ़ गया है. लिवरपूल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोनाथन टोंग का कहना है, "यह भूकंप के झटके की तरह है. मर्डोक साम्राज्य के अंत की शुरुआत भी यहां से हो सकती है. दशकों से प्रधानमंत्री पद संभालने वाले नेता मर्डोक से चिपके रहते थे. अब नए युग की शुरुआत हो रही है."

वैसे कुछ विश्लेषक संभल कर टिप्पणी कर रहे हैं. नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के स्टीवेन फील्डिंग कहते हैं, "कुछ दिनों में लोग भूल जाएंगे कि न्यूज ऑफ द वर्ल्ड ने क्या किया है और उनके अंदर हमेशा यह बैचेनी रहेगी कि उन्हें कुछ नया मिले."

मर्डोक की कंपनी ने संसदीय कार्यवाही पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन ऐसी खबरें आ रही हैं कि कानूनी स्तर के कुछ अफसर कंपनी छोड़ कर जा रहे हैं. न्यूजकॉर्प के शेयर धड़धड़ा कर नीचे गिरे हैं और अब इस मामले का असर अमेरिका पर भी पड़ता दिख रहा है जहां के मीडिया में 80 साल के मर्डोक का दबदबा है. वहां वॉल स्ट्रीट जर्नल, न्यूयॉर्क पोस्ट और फॉक्स टेलीविजन पर मर्डोक का ही स्वामित्व है. चर्चा इस बात की चल रही है कि क्या कहीं अमेरिकी लोगों के फोन भी तो टैप नहीं किए गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें