भारतीय आमों के आयात पर प्रतिबंध के बाद ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में इस पर बहस होने वाली है. 28 देशों के यूरोपीय संघ ने भारत से आम मंगाने पर रोक लगा दी है, जिसकी काफी आलोचना हो रही है.
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ब्रिटेन की संसद में अच्छा रुतबा रखने वाले भारतीय मूल के सांसद कीथ वाज ने एलान किया, "हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर ने यूरोपीय संघ द्वारा भारत के अलफांसो आमों पर लगाए गए प्रतिबंध पर बहस के लिए वक्त मुकर्रर किया है. यह गुरुवार 8 मई को शाम करीब छह बजे होगी." वाज की पहल पर ही यह बहस हो रही है.
आम ही आम
आम के मौसम का भारत में साल भर इंतजार रहता है, इस बार भी अच्छी फसल का लोग मजा ले रहे हैं.
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आम ले लो आम
उत्तर प्रदेश में अभी भी गली गली पारंपरिक ढंग से आम बेचने वाले मिल जाएंगे. लखनऊ में हर कोई इन दिनों गली गली आम की खरीदारी करता हुआ मिल जाएगा.
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आओ मिलकर खाएं
मलिहाबाद के आसपास के इलाकों से भी लोग परिवारों के साथ आकर आम का मजा उठाते हैं. हर किसी के चेहरे पर मुस्कान का सबब भी बन जाता है जबरदस्त जायके वाला आम.
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ढेरों निर्यात
मलिहाबाद की आम पट्टी में हर साल औसतन 25-30 लाख टन आम की पैदावार होती है. गर्मियों में रमजान आ गया तो खाड़ी देशों से ही दशहरी आम के करीब 250 टन निर्यात का ऑर्डर आ गया. इस बार जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस से सैकड़ों टन आम के ऑर्डर आए.
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आम मंडी
लखनऊ आम मंडी में देश विदेश के खरीदारों की रौनक भी देखने लायक होती है. इस सीजन में यूपी मंडी परिषद ने खरीदारों की तीन बैठकें कराईं. इनमें निर्यातकों के अलावा महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों के खरीदार शामिल हुए.
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ऊंची कीमत
इस साल मानसून के पहले की अच्छी बारिश ने आम को और रसीला बना दिया. उत्तराखंड और पूर्वी यूपी में बाढ़ से बर्बाद हो गई फसलों के कारण उनकी कीमतें 300 फीसदी तक बढ़ गईं.
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आम को चोट ना लगे
पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ना हमेशा जोखिम भरा होता है लेकिन ये तरीका अभी भी मलिहाबाद में देखने को मिलता है क्योंकि इससे आम खराब नहीं होता.
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आसान नहीं छंटाई
आम तोड़ने के बाद उसकी छंटाई भी एक मुश्किल काम है और इसमें बहुत समय और बहुत लोगों को लगना पड़ता है.
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दिहाड़ी पर
मलिहाबाद के आम के बागानों में बच्चे आम चुनते हुए मिल जाते हैं क्योंकि ये कम दिहाड़ी के मजदूर होते हैं.
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'आम के आम गुठलियों के दाम'
ये कहावत सभी ने सुनी होगी पर इसे सही साबित कर रहे हैं ये बांगलादेशी पति पत्नी, जो गुठलियों को बीन बीन कर सुखाते हैं और इसके अंदर से बीज निकाल कर बेचते हैं जिससे तैयार होता है नया आम का पौधा.
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नर्सरी
आम की गुठलियों से फिर तैयार हो जाती है हरी भरी नर्सरी. नर्सरी से लोग अपने बागों के लिए आम के पौधे ले जाते हैं जिन्हें बो कर आम के बड़े बड़े पेड़ आते हैं...और फिर हर साल गर्मियों में आम ही आम.
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आम के शौकीन
आम के शौकीन लोग मौका कहीं नहीं छोड़ते. जब जिसको जहां जगह मिलती है आम खाने लगता है, सड़क हो या घर.
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यूरोपीय अधिकारियों को अंदेशा है कि भारत के अलफांसो आमों में ऐसे कीड़े हैं, जो यूरोपीय सलाद की खेती नष्ट कर सकते हैं. इसी वजह से इस पर दिसंबर, 2015 तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह पाबंदी मई में लागू हुई है. वाज ने कहा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि स्पीकर ने प्रतिबंध लगने के साथ ही इस पर चर्चा की इजाजत दे दी है."
ब्रिटेन में भारतीय मूल की बहुत बड़ी आबादी रहती है और खान पान में दोनों संस्कृतियां एक दूसरे से घुल मिल गई हैं. ब्रिटेन हर साल भारत से करीब 29 लाख किलो आम का आयात करता है. यह कारोबार कोई सात अरब रुपये का है.
भारतीय कारोबारियों ने यूरोपीय संघ से अपील की है कि वे इस प्रतिबंध को हटा दें. भारतीय निर्यात संगठन एफआईईओ के अध्यक्ष रफीक अहमद का कहना है, "निर्यात के सभी वस्तुओं को टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजारा जा रहा है, ताकि किसी तरह की कमी न रह जाए." संघ का कहना है कि "फलों के राजा" अलफांसो आम के अलावा भारत से आने वाली चार सब्जियों में भी ऐसे कीड़े पाए गए हैं, जो यूरोपीय खेती को नुकसान पहुंचा सकते हैं. हालांकि भारतीय व्यापारियों का कहना है कि खाड़ी देशों और दूसरी जगहों पर भारतीय आम का निर्यात होता रहेगा.
दुनिया में मशहूर अलफांसो आमतस्वीर: gemeinfrei
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ के साथ चर्चा की है और आगे भी इस पर बात होगी. ब्रसेल्स स्थित भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आगाह किया है कि इससे भारत और यूरोपीय संघ के बीच रुकी हुई व्यापार वार्ता पर असर पड़ सकता है. यह बातचीत 2007 से चल रही है. चैंबर के महासचिव सुनील प्रसाद का कहना है, "इसकी कोई वैज्ञानिक वजह नहीं है." आम के अलावा करेला और भारतीय बैंगन पर भी पाबंदी लगाई गई है.