ब्रेक्जिट डील बनी ब्रिटिश प्रधानमंत्री का इम्तिहान
१४ नवम्बर २०१८
यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के वार्ताकार ब्रेक्जिट की शर्तों के बारे में एक डील के मसौदे पर सहमत हो गए हैं. हालांकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री को इस पर अपने कैबिनेट सहयोगियों और संसद का विश्वास जीतना होगा.
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ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे के दफ्तर ने सूचना दी है कि यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने की शर्तों का एक खाका तैयार कर लिया गया है. इस पर चर्चा करने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने बुधवार को अपने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. इससे पहले वे अपने मंत्रियों से एक एक कर मिलेंगी.
आयरलैंड के सरकारी टीवी चैनल आरटीई के मुताबिक, समझौते के मसौदे में आयरिश बॉर्डर के मुद्दे को सुलझा लिया गया है, जो बातचीत के दौरान एक बड़ा रोड़ा था.
यूरोपीय संसद में जर्मन सांसद माफ्रेड वेबर ने भी डील होने की पुष्टि की है. वेबर अगले साल होने वाले यूरोपीय चुनावों में मध्य-दक्षिणपंथी यूरोपीयन पीपल्स पार्टी के अग्रणी उम्मीदवार हैं.
ईयू से अलग होकर क्या मिलेगा ब्रिटेन को
28 मार्च को ब्रिटेन ने 'अनुच्छेद 50' पर हस्ताक्षर के साथ औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ से बाहर निकलने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. एक नजर उन बिंदुओं पर जो बेक्जिट की वजह माने जाते हैं.
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सरकारी धन पर बोझ
ब्रिटेन की समस्या यह है कि पूर्वी यूरोप के नए सदस्य देशों के नागरिकों के लिए खुली आवाजाही का सपना तो पूरा हुआ है लेकिन पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों के नागरिकों के आने से वहां राजकोष पर बोझ बढ़ा है.
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बेरोजगारी में बढ़ोत्तरी
एक डर तो सस्ते विदेशी कामगारों के आने से देश में बेरोजगारी बढ़ने का और कामगारों के वेतन पर दबाव बढ़ने का है. इसकी वजह से ब्रिटेन में यूरोप विरोधी ताकतें मजबूत हुई हैं और परंपरागत पार्टियां कमजोर हुई हैं.
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वीटो का अधिकार
वित्तीय संकट के बाद एक ओर यूरोप को और एकताबद्ध करने की मांग हो रही है तो लंदन राष्ट्रीय संसदों की भूमिका बढ़ाना चाहता है. इससे राष्ट्रीय जन प्रतिनिधियों को ब्रसेल्स के मनमाने बर्ताव के खिलाफ लाल कार्ड दिखाने का अधिकार मिलेगा.
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सामाजिक भत्तों में कटौती
ब्रिटेन नहीं चाहता कि गरीब सदस्य देशों के सस्ते कामगार ब्रिटेन में सामाजिक भत्तों का लाभ उठाएं. ब्रिटेन चाहता है कि ईयू देशों से अचानक बहुत से लोगों के आने पर उसे रोक लगाने का हक होना चाहिए. आप्रवासियों को चार साल बाद भत्ता पाने का हक मिलेगा.
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संतान भत्ता
यूरोपीय संघ में वह सरकार संतान भत्ता देती है जहां मां बाप काम करते हैं, चाहे बच्चा कहीं और रह रहा हो. ब्रिटेन पोलैंड और रोमानिया के कामगारों को बच्चों के लिए भत्ता देता है. अब यह बहस हो रही है कि क्या भत्ते को संबंधित देश के जीवन स्तर के अनुरूप होना चाहिए.
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घनिष्ठ होता संघ
यूरोपीय संघ का लक्ष्य समय के साथ घनिष्ठ होना है. लंदन को यह पसंद नहीं है. ब्रिटेन को स्वीकार फॉर्मूला समापन घोषणा में है जिसमें कहा गया है कि ईयू का लक्ष्य खुले और लोकतांत्रिक समाज में रहने वाले साझा विरासत वाले लोगों के बीच भरोसा और समझ बढ़ाना है.
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दक्षिणपंथी ताकतों का असर
प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ईयू में बने रहने के लिए तमाम शर्तें रखी हैं. जाहिर है यूरोपीय संघ से रियायतें पाकर वे इसका पूरा राजनीतिक लाभ उठाएंगे और अति दक्षिणपंथी पार्टियों को कमजोर करना चाहेंगे.
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उन्होंने जर्मनी के सरकारी टीवी चैनल एआरडी से कहा, "सफेद धुंआ उठ रहा है. इस बात के सकरात्मक संकेत हैं कि हफ्तों और महीनों की बेहद मुश्किल वार्ताओं के बाद आखिरकार हम एक समझौते पर पहुंच गए हैं."
हालांकि यूरोपीय संघ के मुख्य ब्रेक्जिट वार्ताकार मिशेल बार्नियर के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अभी तक 'डील को अंतिम रूप नहीं दिया गया है'. प्रवक्ता के मुताबिक यूरोपीय संघ के 27 देशों के राजदूत इस डील पर बुधवार को विचार विमर्श करेंगे.
वहीं प्रधानमंत्री टेरीजा मे को इस डील पर अपने सहयोगियों को सहमत करने में खासी मशक्कत करनी होगी. कई मंत्रियों ने कहा कि अगर उन्हें डील पसंद नहीं आई तो वह इसके खिलाफ मतदान करेंगे.
साइंस और रिसर्च पर ब्रेक्जिट की मार
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ब्रेक्जिट के पुरजोर समर्थक और पूर्व ब्रिटिश विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि वह डील का समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, "मंत्रियों के लिए अच्छा यही होगा कि वे प्रधानमंत्री को मशविरा दें कि कोई इस डील को स्वीकार नहीं करेगा."
वहीं विपक्ष के नेता जेरेमी कोर्बिन ने कहा है, "जब उन्हें यह डील दी जाएगी, तो वे इसके ब्योरे को देखेंगे. लेकिन जिस अव्यवस्थित तरीके से इसके लिए बातचीत की गई है, उससे लगता है कि यह डील देश के लिए अच्छी नहीं होगी."
ब्रेक्जिट समर्थक सांसद जैकब रीस ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि कैबिनेट इस डील को रोक देगा और अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर उम्मीद है कि संसद ऐसा करेगा. जहां तक मुझे पता है, यह डील बहुत ही असंतोषजनक है."
एके/एनआर (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)
ब्रिटेन का बाजा बजाने लगा है ब्रेक्जिट
2016 में यूके ने ब्रेक्जिट का फैसला किया. अब उस पर अमल होने लगा है. संबंधों की कड़ियां एक एक कर टूट रही हैं और ब्रिटेन भारी मुश्किल में फंसता जा रहा है.
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फाइनेंस सेक्टर
ब्रेक्जिट की मार ब्रिटेन के बैंकिंग और फाइनेंस सिस्टम पर पड़ी है. कई बड़े बैंक लंदन छोड़कर जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट का रुख कर रहे हैं. सैकड़ों नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. अनुमान है कि ब्रिटेन में फाइनेंस सेक्टर से जुड़ी कुल 75,000 नौकरियां खत्म होंगी.
तस्वीर: Reuters/D. Ruvic
नेशनल हेल्थ सर्विस
यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में यूरोपीय संघ के देशों के 62,000 लोग काम करते हैं. ज्यादातर विदेशी कर्मचारी ब्रिटेन छोड़ने लगे हैं. ब्रिटेन के सांसदों के मुताबिक इन कर्मचारियों के बिना NHS 24 घंटे के भीतर ठप जाएगा.
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पशु चिकित्सक
ब्रिटेन में काम करने वाले 90 फीसदी पशु चिकित्सक यूरोपीय संघ के 27 देशों से आते हैं. अब ये लोग भी ब्रिटेन से वापसी की तैयारी कर रहे हैं.
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सूने खेत खलिहान
अब तक यूरोपीय संघ के अलग अलग देशों से आए कुशल कर्मचारियों ने ब्रिटेन के खेतों में कामकाज किया. 65 फीसदी कमर्चारी ईयू से आते रहे. लेकिन ब्रेक्जिट के चलते अब ये कर्मचारी भी नहीं मिलेंगे.
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महंगाई की मार
ब्रेक्जिट के लागू होते ही ब्रिटेन में यूरोप के कई प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे. सिंगल टैक्स मार्केट से बाहर होने पर डेयरी प्रोडक्ट, फल, सब्जियां, प्रोसेस्ड फूड और वाइन जैसी चीजें भी महंगी होंगी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Neal
अरबों पाउंड का नुकसान
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को अरबों पाउंड की चपत लगनी तय है. अब ब्रिटेन नए बाजार तलाश रहा है, लेकिन भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में पहले ही यूरोपीय संघ का अच्छा खासा दबदबा है.