ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने की प्रक्रिया के बारे में सोचने के लिए नई ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने वक्त मांगा है. जर्मन चांसलर और फ्रेंच राष्ट्रपति से बातचीत में जताया जल्दबाजी में ब्रेक्जिट नहीं करवाने का इरादा.
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एक तरफ यूरोप की दो सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं जर्मनी और फ्रांस से बातचीत कर पीएम थेरेसा मे ब्रेक्जिट के लिए और वक्त लेना चाहती हैं. तो दूसरी तरफ, वे अपनी सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां कुछ प्रमुख यूरोस्केप्टिक नेताओं को सौंप रही हैं. बुधवार शाम को जर्मन चांसलर मैर्केल और फ्रेंच राष्ट्रपति ओलांद से बातचीत में पीएम मे ने ब्रेक्जिट पर वार्ता शुरू करने से पहले अपनी सरकार के लिए और समय की मांग की.
मे की प्रवक्ता ने बताया, "सभी फोन वार्ताओं में प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश जनता के यूरोपीय यूनियन छोड़ने के निर्णय को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया." लेकिन साथ ही उन्होंने इसकी वार्ताओं की तैयारी करने के लिए वक्त मांगा और उम्मीद जताई की बातचीत सृजनात्मक और सकारात्मक माहौल में हो.
'दोस्ताना संबंधों का भावना'
नेताओं की बातचीत में मैर्केल ने नई ब्रिटिश प्रधानमंत्री को नया पद संभालने की बधाई दी. चांसलर के प्रवक्ता स्टेफेन जीबेर्ट ने बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय दोस्ताना संबंधों को बरकरार रखते हुए ईयू से ब्रिटेन के बाहर होने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर सहमति जताई. थेरेसा मे ने औपचारिक वार्ता प्रारम्भ करने से पहले ईयू से वक्त मांगते हुए ये भी कहा कि ब्रिटेन जल्द से जल्द इस बात पर साफ राय बनाएगा कि वो ईयू के साथ किस तरह के संबंध चाहता है.
ब्रेक्जिट के जबरदस्त हिमायती रहे बोरिस जॉनसन भले ही कई लोगों को एक कॉमिक चरित्र जैसे लगें, लेकिन नई प्रधानमंत्री ने इस पूर्व पत्रकार में गहरा विश्वास दिखाया है. फ्रेंच राष्ट्रपति ने पीएम थेरेसा मे से बातचीत के बाद "सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करने" की बात कही.
एक्जिटः टूटता संसार
1990 में पश्चिमी और पूर्वी जर्मनी का एकीकरण एक अद्भुत घटना थी क्योंकि उसके बाद दुनिया बस टूट ही रही है. सोवियत संघ टूटा. और भी कई देशों का जन्म हुआ. ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के मौके पर ऐसे ही देशों की चर्चा.
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1990 - नामीबिया
21 मार्च 1990 को नामीबिया ने दक्षिण अफ्रीका से आजादी हासिल की और एक आजाद देश बन गया.
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1991 - यूगोस्लाविया
यूगोस्लाविया एक विशाल देश था. 1991 में यह टूटना शुरू हुआ. सबसे पहले 25 जून 1991 को क्रोएशिया और स्लोवेनिया बने और 1992 में बोस्निया हैर्जेगोविना अलग हुआ.
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1993 - चेकोस्लोवाकिया
1 जनवरी 1993 से चेकोस्लोवाकिया दो हिस्सों में बंट गया. एक हुआ चेक गणराज्य और दूसरा स्लोवाकिया कहलाता है.
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1993 - इरिट्रिया
इरिट्रियाई इलाके पर इथियोपिया का कब्जा था. एक जनमत संग्रह के बाद 1993 में इरिट्रिया एक अलग देश बन गया.
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2002 - ईस्ट तिमोर
ईस्ट तिमोर को 21वीं सदी का पहला आजाद देश होने का तमगा हासिल है. उसने इंडोनेशिया से अलग होकर अपना वजूद कायम किया.
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2006 - सर्बिया
यूगोस्लाविया से अलग होने के बाद सर्बिया और मोंटेनीग्रो ने संघ बना लिया था. 2006 में यह भी टूट गया. सर्बिया अलग देश बन गया.
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2008 - कोसोवो
2008 तक यह सर्बिया का एक प्रांत था लेकिन फरवरी 2008 में कोसोवो ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया.
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2011- साउथ सूडान
सूडान का एक हिस्सा अलग होकर साउथ सूडान हो गया. 2011 में हुए जनमत संग्रह के बाद 9 जुलाई 2011 को इसे अलग देश के तौर पर मान्यता मिली.
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लेकिन ब्रसेल्स को है जल्दी
पीएम का पद संभालते ही मे को यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन शुल्त्ज और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष जॉं क्लोद युंकर की ओर से ब्रेक्जिट वार्ता को लंबित ना करने की अपील का दबाव झेलना पड़ा.
औपचारिक रूप से यह प्रक्रिया शुरू करने के लिए थेरेसा मे को लिस्बन संधि के आर्टिकिल 50 को लागू करना होगा. इसी के साथ यूके के ईयू से बाहर निकलने के दो साल की अवधि वाली प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
पीएम मे ने अपनी कैबिनेट में प्रमुख यूरोस्केप्टिक कंजर्वेटिव नेता डेविड डेविस को ब्रेक्जिट की शर्तों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी है. पूर्व पीएम डेविड कैमरन के साथ ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाने वाली थेरेसा मे ने अब ब्रेक्जिट की "लीव" कैंपेन के कट्टर समर्थक रहे बोरिस जॉनसन को विदेश मंत्री की भूमिका सौंप दी है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री नियुक्त किए गए लियाम फॉक्स भी ब्रिटेन के ईयू में रहने के विरोधी रहे हैं. 23 जून को हुए एक जनमत संग्रह के माध्यम से ब्रिटेन की 51 फीसदी जनता ने ब्रेक्जिट का रास्ता चुना था.
यूके, जीबी, ब्रिटेन और इंग्लैंड में फर्क
कभी यूके, कभी ग्रेट ब्रिटेन तो कभी इंग्लैंड, आखिर ये चक्कर क्या है. चलिए इस समझते हैं ताकि आगे ये कंफ्यूजन न रहे.
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यूनाइटेड किंगडम (यूके)
असल में इसका पूरा नाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉदर्न आयरलैंड है. यूके में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स आते हैं. इन चारों के समूह को ही यूके कहा जाता है.
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ग्रेट ब्रिटेन
इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के संघ को ग्रेट ब्रिटेन कहा जाता है. तीनों अलग अलग प्रांत हैं. तीनों प्रांतों की अपनी संसद है लेकिन विदेश नीति और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर फैसला ग्रेट ब्रिटेन की संघीय संसद करती है. तस्वीर में बायीं तरफ इंग्लैंड का झंडा है, दायीं तरफ स्कॉटलैंड का. बीच में ग्रेट ब्रिटेन का झंडा है.
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ब्रिटेन
यह नाम रोमन काल में इस्तेमाल हुए शब्द ब्रिटानिया से आया है. ब्रिटेन इंग्लैंड और वेल्स को मिलाकर बनता है. हालांकि अब सिर्फ ब्रिटेन शब्द का इस्तेमाल कम होता है. यूरो 2016 में इंग्लैंड बनाम वेल्स का मैच.
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इंग्लैंड
इंग्लैंड एक देश है. जिसकी राजधानी लंदन है. स्काटलैंड और वेल्स की तरह इंग्लैंड की अपनी फुटबॉल और क्रिकेट टीम हैं. इन टीमों में दूसरे प्रांतों के खिलाड़ी शामिल नहीं होते हैं.
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राजधानियां
उत्तरी आयरलैंड की राजधानी बेलफास्ट है. स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबरा है और वेल्स की राजधानी कार्डिफ है.
भाषा
अंग्रेजी भाषा होने के बावजूद इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स में लहजे का फर्क है. आम तौर पर मजाक में लोग एक दूसरे इलाके के लहजे का मजाक भी उड़ाते हैं.
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खासियत
स्कॉटलैंड के लोगों को अपनी विश्वप्रसिद्ध स्कॉच पर गर्व है. बैगपाइपर का संगीत स्कॉटलैंड की पहचान है. वहीं आयरलैंड के लोग आयरिश व्हिस्की और बियर का गुणगान करते हैं. इंग्लैंड मछली और चिप्स के लिए मशहूर है.
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मतभेद
राजस्व के आवंटन के अलावा ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड) के प्रांतों के बीच विदेश नीति को लेकर भी मतभेद रहते हैं. यूरोपीय संघ की सदस्यता को लेकर मतभेद सामने भी आ चुके हैं. अगर ग्रेट ब्रिटेन यूरोपीय संघ से निकला तो स्कॉटलैंड स्वतंत्र देश बनने का एलान कर चुका है.
तस्वीर: Andy Buchanan/AFP/Getty Images
ईयू से मतभेद
यूरोपीय संघ के आलोचकों का कहना है कि ईयू की सदस्यता से ब्रिटेन को आर्थिक और सामाजिक क्षति पहुंची है. तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरे करीब करीब बर्बाद हो चुके हैं. बड़ी संख्या में पोलैंड से आए प्रवासियों का मुद्दा भी समय समय पर उठता रहा है.
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राजनैतिक खींचतान
यूरोपीय संघ की नीतियां सदस्य देशों को लागू करनी पड़ती हैं. चाहे वह बजट का वित्तीय घाटा हो, शरणार्थियों का मुद्दा हो या फिर मार्केट रेग्युलेशन. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इसे राजनीतिक हस्तक्षेप करार दे चुके हैं.