ब्रेस्ट इंप्लांट में खराब सिलिकोन डालने वाला पकड़ा गया
२६ जनवरी २०१२दुनिया भर में अब तक चार लाख महिलाओं ने पोली इंप्लांट प्रोथेज पीआईपी का इस्तेमाल ब्रेस्ट इंप्लांट में कराया है. 2010 में जब पता चला कि खराब औद्योगिक सिलीकोन का इस्तेमाल करने के कारण कई महिलाओं के स्तन फट गए, तब इस कंपनी को बंद कर दिया गया. इस कंपनी पर फिलहाल मानवहत्या के आरोपों के सिलसिले में जांच चल रही है.
मारसे के अभियोजन अधिकारी जाक डालेस्ट ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "ज्यां क्लोद मास को सुबह पकड़ कर हिरासत में ले लिया गया है." मास को पकड़ने के लिए मामले की जांच कर रहे जज ने आदेश दिए थे. अभियोजन अधिकारी ने बताया कि मास को 48 घंटे के लिए हिरासत में लिया गया है. मारसे में मानवहत्या के इस मामले की जांच पिछले साल दिसंबर में शुरू की गई.
पुलिस के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि मास की गिरफ्तारी दक्षिण फ्रांस में उसके एक साझीदार के घर से हुई. पुलिस ने बताया कि सबूतों की तलाश में उसके घर की भी तलाशी ली गई है. मास के वकील इव हदाद ने अपने 72 साल के मुवक्किल के बारे में कहा, "उनकी तबीयत ठीक नहीं है और वह थके हुए हैं. उन्हें अपने डॉक्टर का इंतजार है."
लोगों के स्वास्थ्य पर इसका कितना बुरा असर पड़ सकता है, इसका अंदाजा इस बात से भी हो जाता है कि फ्रांस के स्वास्थ्य विभाग ने 30 हजार से ज्यादा महिलाओं को इंप्लांट निकलवाने की सलाह दी है क्योंकि उनके फटने का खतरा है. 64 देशों की चार से पांच लाख महिलाओं ने पीआईपी इंप्लांट कराए हैं. इनमें कितने लोगों के इंप्लांट खराब जेल से बनी हुई हैं, इसका ठीक ठीक पता नहीं चल सका है. दुनिया की सबसे बड़ी इंप्लांट कंपनी समझे जाने वाले इस संगठन ने पैसे बचाने के लिए खराब सिलीकोन का इस्तेमाल किया.
एक इंटरव्यू में मास ने यह तो मान लिया है कि सस्ते सिलीकोन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि इसका लोगों की सेहत पर कोई बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि इस जेल के लिए मंजूरी नहीं ली गई थी, लेकिन मैंने जान बूझ कर ऐसा किया क्योंकि पीआईपी जेल सस्ता है और बहुत अच्छी क्वालिटी का है."
फ्रांस के बाद जर्मनी और चेक रिपब्लिक समेत कई देशों ने सावधानी के लिहाज से लोगों को इंप्लांट निकलवाने की सलाह दी, हालांकि ब्रिटेन ने ऐसा करने से मना कर दिया. यूरोप के 13 देशों और दक्षिण अमेरिका के लगभग सारे देशों ने भी अपने यहां इंप्लांट कराने वाली महिलाओं से कहा कि वे अपनी जांच कराएं. फ्रांस के अधिकारियों का कहना है कि इंप्लांट के बाद फ्रांस की 20 में से 16 महिलाओं में कैंसर(स्तन कैंसर) का पता चला है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि दोनों के बीच कोई कड़ी अभी तक नहीं मिली है.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः एम गोपालकृष्णन