इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम जैसी मशीन भी हार्ट अटैक का खतरा पूरी तरह नहीं भांप पाती है. लेकिन भविष्य में ब्लड टेस्ट, दिल के दौरे की पहले ही सटीक चेतावनी देगा. कैसा होगा यह टेस्ट.
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हार्ट अटैक का सटीक पूर्वानुमान लगाना अब तक मेडिकल साइंस के लिए एक चुनौती है. अब तक हार्ट अटैक का अनुमान लगाने के लिए ईसीजी और फिर खून में कार्डिएक ट्रोपोनिन की मात्रा जांची जाती है. ट्रोपोनिन, हृदय की कोशिकाओं का प्रोटीन है. हार्ट की कोशिकाओं के घायल होने या हार्ट की मसल्स के संक्रमित होने पर खून में ट्रोपोनिन का रिसाव होता है. ट्रोपोनिन का स्तर बहुत कम होने पर माना जाता है कि हार्ट अटैक की संभावना बहुत कम है. लेकिन नई रिसर्च में पता चला है कि यह भी बहुत सटीक तरीका नहीं है.
लंदन के सेंट थोमास हॉस्पिटल में 4,000 रोगियों के खून की कई तरह से जांच की गई. इन जांचों में पता चला कि 47 फीसदी रोगियों को हार्ट अटैक का बहुत ज्यादा खतरा है. फिर वैज्ञानिकों ने दान किये गए हृदय के ऊतकों की जांच की. प्रयोग में पता चला कि हार्ट की 0.001 फीसदी कोशिकाओं की मृत्यु होने पर ही उनका पता ब्लड टेस्ट में चलता है.
हार्ट अटैक में क्या होता है?
दिल का दौरा आखिर क्यों पड़ता है. हार्ट अटैक के दौरान शरीर के भीतर क्या होता है, जानिये ये जरूरी जीवनरक्षक जानकारी.
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हार्ट अटैक से पहले
आमतौर पर दिल बेहद स्वस्थ और मजबूत कोशिकाओं से बना होता है. लेकिन आलसी जीवनशैली, बहुत ज्यादा फैट वाला खाना खाने और बहुत ज्यादा धूम्रपान करने के अलावा आनुवांशिक कारणों से भी दिल की सेहत खराब होने लगती है.
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रक्त वाहिकाओं में गड़बड़
हमारा हृदय लगातार शरीर के हर हिस्से को ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है. फेफड़ों से आने वाली ऑक्सीजन खून में मिलकर शरीर के बाकी हिस्सों तक जाती है. हार्ट खून को पंप कर शरीर में दौड़ाता है. लेकिन बढ़ती उम्र या खराब जीवनशैली से हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियां बाधित होने लगती हैं.
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धमनियों के भीतर
आर्टिलरी कही जाने वाली धमनियों के भीतर धीरे धीरे प्लैक जम जाता है. प्लैक नसों को संकरा बना देता है, इससे खून का बहाव बाधित होने लगता है. यहां से हार्ट अटैक के खतरे की शुरूआत होती है.
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आर्टिलरी का बंद होना
धमनी में बहुत ज्यादा प्लैक जमने के बाद पीड़ित इंसान अगर दौड़ भाग वाला काम करे गंभीर नतीजा होता है. शरीर को ज्यादा ऊर्जा देने के लिए हार्ट बहुत तेजी से धड़कने लगता है. लेकिन इस दौरान संकरी धमनी में लाल रक्त कणिकाएं का जमावड़ा होने लगता है और रक्त का प्रवाह रुक जाता है.
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ऑक्सीजन की कमी
बंद धमनी, हार्ट को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन मुहैया नहीं पाती है. बस फिर हमारा हृदय ऑक्सीजन के लिए छटपटाने लगता है. धड़कन और तेज हो जाती है. सांस लेने में हरारत होने लगती है.
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इमरजेंसी सिग्नल
ऑक्सीजन के लिए छटपटाता दिल मस्तिष्क को इमरजेंसी सिग्नल भेजता है. वहीं दूसरी तरफ पसीना आने लगता है, जी मचलने लगता है. ऐसा होने पर बिना देर किये तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.
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सीने में मरोड़
मस्तिष्क से इमरजेंसी सिग्नल रीढ़ की हड्डी को भेजे जाते हैं. मस्तिष्क शरीर के दूसरे हिस्सों की ऑक्सीजन सप्लाई कम कर देता है. इसके चलते शरीर में दर्द होने लगता है. गर्दन, जबड़े, कान, कंधे, बांह दुखने लगते हैं. सीने के बीचों बीच मरोड़ सा दर्द उठने लगता है.
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दर्द कब तक
जवान लोग हल्का फुल्का अटैक झेल लेते हैं. वैसे हार्ट अटैक के चलते उठने वाला दर्द कुछ मिनट से लेकर कई घंटों तक रह सकता है. यह फिर लौटता भी है. अगर ऐसा हो तो तुरंत बेहद आरामदायक तरीके से अस्पताल जाना चाहिए.
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अंत में कार्डिएक अरेस्ट
अगर समय पर इलाज न किया जाए तो हार्ट अटैक के बाद दिल की मांसपेशियां धीरे धीरे मरने लगती है. और आखिरकार दिल काम करना बंद कर देता है. इसके बाद तीन से सात मिनट के बीच मस्तिष्क की कोशिकाएं भी मरने लगती है.
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अटैक के बाद
अटैक के दौरान हार्ट का जो हिस्सा मर जाता है, वो कभी ठीक नहीं हो पाता. इसीलिए हर पल महत्वपूर्ण होता है. इसीलिए हृदय रोगियों को खास मशविरे दिये जाते हैं.
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यह भी जरूरी
अगर हार्ट अटैक के बाद धड़कन बंद हो जाए और रोगी बेहोश हो जाए तो एक हथेली को दूसरे हाथ के ऊपर रख कर जोर जोर से उसके सीने को बीच में दबाना चाहिए. ऐसा कम से कम 120 बार करना चाहिए. कई बार यह बहुत मददगार साबित होता है.
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कैसे रहे दिल सेहतमंद
बहुत ज्यादा वसा वाला खाना न खाएं. नियमित रूप से फल, सलाद और हरी सब्जी खाएं. शरीर को थकाना बहुत जरूरी है, इसीलिए नियमित कसरत करें. इसके अलावा तबियत खराब होने पर खुद डॉक्टर न बनें.
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लेकिन अगर खून में माइयोसिन बाइडिंग प्रोटीन सी की जांच की जाए तो ज्यादा सटीक तस्वीर सामने आती है. प्रति 0.00002 फीसदी क्षतिग्रस्त हार्ट कोशिकाओं में 0.007 मिलीग्राम मायोसिन बाइडिंग प्रोटीन सी होता है. खून की जांच में इसका पता ट्रोपोनिन की तुलना में कहीं ज्यादा आसानी और तेजी से चलता है.
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर नीलेश समानी टेस्ट को सफल मानते हैं, "यह नया टेस्ट हार्ट अटैक का पता लगाने के हमारे तरीके में क्रांतिकारी बदलाव करेगा, इससे संवेदनशीलता बढ़ेगी और यह तय होगा कि खून में ट्रोपोनिन का स्तर नीचे होने पर भी हार्ट अटैक लापता नहीं रहेगा."
किंग्स कॉलेज लंदन के कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट टॉम कायनर भी इसे डायग्नोस की बड़ी कामयाबी मान रहे हैं. रिसर्च पेपर मेडिकल सांइस के जनरल क्लीनिकल में भी प्रकाशित हुआ है.
(कॉलेस्ट्रॉल पर वार करने वाली 7 चीजें)
कॉलेस्ट्रॉल पर वार करने वाली 7 चीजें
खून में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाने से सिर्फ दिल को ही नहीं, शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचता है. इससे आंखें खराब हो सकती हैं, याददाश्त कमजोर पड़ सकती है और पुरुषों में इसका नतीजा यौन निष्क्रियता भी हो सकता है.
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लहसुन
प्याज और टमाटर के बाद खाना पकाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल लहसुन का ही होता है. इस पर कई शोध हुए हैं और स्वास्थ्य के लिए इसके कई फायदों का पता भी चला है. एक शोध के अनुसार हर दिन लहसुन की एक डली कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करती है.
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जैतून
धीरे धीरे भारत में भी ऑलिव ऑइल रसोई में अपनी जगह बनाने लगा है. जैतून में मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं जो रक्तचाप को कम करते हैं और कॉलेस्ट्रॉल को काटते हैं. सुबह उठ कर लहसुन को जैतून के तेल में मिला कर भी लिया जा सकता है.
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मेवे
खास कर बादाम दिल के लिए काफी अच्छे होते हैं. इनमें प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक होती है और ये कॉलेस्ट्रॉल को खून में मिलने से रोकते हैं. लेकिन क्योंकि इनमें कैलोरी भी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए इन्हें संभल कर खाना चाहिए.
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जई
नाश्ते के लिए जई यानि ओट्स बेहतरीन विकल्प हैं. ना केवल ये आपके दिल को खुश रखते हैं, बल्कि इनसे लंबे समय तक पेट भी भरा रहता है. ओट्स को दूध में मिला कर खाया जा सकता है. अच्छा लगे तो उसमें मेवे भी मिलाए जा सकते हैं.
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ग्रीन टी
चीन और मध्य एशिया के अन्य देशों में खाने के बाद ग्रीन टी पीने का चलन रहा है. आम धारणा रही है कि यह शरीर से वसा को निकाल बाहर करती है. अब कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि दिन में दो से तीन बार ग्रीन टी पीने से कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है.
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मछली
हिल्सा, सैलमन और ट्राउट जैसी मछलियां ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होती हैं. ये रक्तवाहिनियों को साफ रखने का काम करते हैं और वहां कॉलेस्ट्रॉल को जमा नहीं होने देते. इसलिए डॉक्टर हफ्ते में कम से कम दो बार मछली खाने की सलाह देते हैं.
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सोयाबीन
प्रोटीन से भरपूर सोयाबीन अपने आप में संपूर्ण आहार का काम करता है. सोयाबीन में आइसोफ्लैवोन होते हैं, जो कॉलेस्ट्रॉल पर वार करते हैं. इसके अलावा दालें भी फायदेमंद होती हैं, जिनमें प्रोटीन भी होता है और फाइबर भी.