अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ फीफा के नैतिक आयोग ने संगठन के प्रमुख योसेफ ब्लाटर और यूरोपीय फुटबॉल महासंघ यूएफा के प्रमुख मिशेल प्लाटिनी पर 8 साल का प्रतिबंध लगा दिया है. अब प्लाटिनी नहीं लड़ पाएंगे फीफा प्रमुख का चुनाव.
विज्ञापन
जर्मनी के न्यायाधीश हंस योआखिम एकर्ट की अध्यक्षता वाले नैतिक आयोग ने यह जानकारी दी है. नैतिक आयोग की कानूनी फैसला लेने वाली समिति ने 2011 में ब्लाटर द्वारा प्लाटिनी को 20 लाख स्विस फ्रैंक के विवादास्पद भुगतान में विश्व संगठन के प्रमुख और यूरोपीय महासंघ के प्रमुख के बीच हितों का टकराव पाया. आयोग ने कहा है कि उन्होंने भुगतान के रिश्वत होने के सबूत नहीं पाए लेकिन भुगतान का कोई कानूनी आधार नहीं था.
फीफा के नैतिक आयोग के इस फैसले के बाद मिशेल प्लाटिनी संभवतः 26 फरवरी को होने वाले चुनाव में अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी नहीं कर सकेंगे. इसी तरह 79 वर्षीय ब्लाटर के खेल अधिकारी वाला करियर भी इसके साथ समाप्त हो गया है. दोनों खेल अधिकारियों ने प्रतिबंध की स्थिति में उसके खिलाफ अपील करने की घोषणा की थी. फीफा के नैतिक आयोग के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय खेल न्यायालय सीएएस और स्विटजरलैंड की संघीय अदालत में चुनौती दी जा सकती है. सेप ब्लाटर ने फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वे अपने लिए और फीफा के लिए फैसले के खिलाफ लड़ेंगे.
विश्व फुटबॉल महासंघ और इलाकाई संगठनों के अध्यक्षों पर एक निगाह डालने पर विश्व फुटबॉल की पूरी समस्या और उहापोह साफ हो जाती है. ब्लाटर और प्लाटिनी को 8 साल के लिए ससपेंड कर दिया गया है. दक्षिण अमेरिका के फुटबॉल संघों के महासंघ कोनमेबोल के प्रमुख खुआन आंखेल नापूट तथा उत्तरी तथा केंद्रीय अमेरिकी महासंघ कोनकाकैफ के प्रमुख अलफ्रेडो हेविट हावेगास को भ्रष्टाचार के संदेह में गिरफ्तार कर लिया गया है. फीफा के अंतरिम प्रमुख और अफ्रीकी महासंघ के प्रमुख इसा हायातू पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. एशियाई महासंघ के प्रमुख शेख सलमान बिन इब्राहिम अल खलीफा को बरहीन में मानवाधिकार के हनन के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. ओसियन फेडरेशन के डेविड चुंग एकमात्र फुटबॉल अधिकारी हैं जो अब तक आरोपों से बचे हुए हैं.
एमजे/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)
सेप ब्लाटर के युग का अंत
17 सालों तक फुटबॉल संगठन फीफा का अध्यक्ष रहने के बाद सेप ब्लाटर ने आखिरकार पद छोड़ दिया. तस्वीरों में देखें कि ब्लाटर दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल के सबसे शक्तिशाली पद तक पहुंचे कैसे. ब्लाटर के करियर पर एक नजर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Yusni
राजा ने छोड़ी गद्दी
पांचवी बार फीफा के अध्यक्ष पद पर चुने जाने के मात्र 4 दिन बाद ही सेप ब्लाटर ने पद छोड़ दिया. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी फुटबॉल संस्था फीफा के सर्वोच्च पद से हटने वाले ब्लाटर खुद को खेल का संरक्षक मानते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Wiegmann
बेहद प्रगतिशील करियर
सन 1975 में फीफा में ब्लाटर के प्रवेश के पहले भी वह कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके थे. स्विस आइस हॉकी एसोसिएशन के सचिव, स्विस स्पोर्ट्स एसोसिएशन के प्रेस सचिव और एक स्विस घड़ी निर्माता कंपनी के जनसंपर्क निदेशक. एडीडास कंपनी के मालिक एडोल्फ डासलर की मदद से ब्लाटर ने फीफा में एंट्री की और 1981 में महासचिव चुने गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Weißbrod
चोटी पर विराजमान
17 सालों तक ज्वाओ आवेलांजी की अध्यक्षता में महासचिव की भूमिका में रहने के बाद अर्थशास्त्र ग्रेजुएट ब्लाटर ने खुद अध्यक्ष पद संभाला. सन 1998 के चुनाव में आवेलांजी के पद का उत्तराधिकारी बनने के लिए उन्होंने तत्कालीन यूईएफए अध्यक्ष और अग्रणी दावेदार लेनार्ट जोहान्सन को पिछाड़ा. इसके बाद अफवाहें उड़ीं कि ब्लाटर ने अपने पक्ष में मत खरीदे थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg
भारी कीमत चुकाई
ब्लाटर पर आर्थिक प्रबंधन में गड़बड़ी के आरोप लगातार लगते रहे. अध्यक्ष पद पर चुने जाने के एक साल के बाद ही उनके सहकर्मी फीफा के महासचिव मिशेल जेन-रुफिनेन ने ब्लाटर पर मार्केटिंग खर्च में करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर के नुकसान का दोष जड़ा. लेकिन ब्लाटर ना केवल आंतरिक जांच और स्विस कोर्ट में लॉसूट से बच निकले बल्कि उन्होंने जेन-रुफिनेन को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Bally
और विजेता है... जर्मनी!
साल 2000 में जर्मनी को फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी दिलाने के पीछे भी ब्लाटर का अहम योगदान माना जाता है. इस बीच ब्लाटर संगठन में अपनी जगह और पक्की करने के लिए समर्थन जुटाते रहे. 2002 में उन्हें फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Limina
मध्यपूर्व में वोटों की खरीद
इस दौरान कतर से फीफा के कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद बिन हम्माम उभरे. 2007 में ब्लाटर को लग गया कि बिन हम्माम अध्यक्ष की गद्दी के लिए उनके प्रतिद्वंद्वी हो सकते हैं. 2011 में जब बिन हम्माम ब्लाटर के खिलाफ अध्यक्ष की कुर्सी के लिए मुकाबले में खड़े हुए, तो अचानक उन पर घूसखोरी के कई आरोप जड़ दिए गए. इसके बाद ना केवल उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ली बल्कि फीफा से उन्हें हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Yusni
दो अग्रणी
बेकेनबाउअर को 2014 में फीफा ने निलंबित किया. उन पर ब्लाटर से जर्मनी का विश्व कप खरीदने का आरोप लगा. एक जमाने में दोनों एक दूसरे के काफी करीबी रहे थे, लेकिन कायजर बेकेनबाउअर ने अपने निलंबन के बाद बताया कि "दोनों के बीच कुछ नहीं बचा."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Weissbrod
ब्लाटर और मंडेला
ब्लाटर के आसपास हमेशा दुनिया भर के शक्तिशाली लोगों का जमावड़ा रहा है. यूएन महासचिव, देशों के राष्ट्रपति यहां तक कि पोप भी. 2004 में जब ब्लाटर दक्षिण अफ्रीका गए तो वे नेल्सन मंडेला से भी मिले. तभी उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और मंडेला दोनों से 2010 का विश्व कप पहली बार वहां करवाने का वादा किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Risch
कैसे इंसान हैं
ब्लाटर ने अपनी ताकत और रुतबे का खूब आनंद लिया है. वह दुनिया भर में यात्राएं करते हैं, जिनमें से कई तो किसी राष्ट्रीय अतिथि जैसी होती हैं. खासकर अफ्रीका और एशिया में तो उन्हें खूब स्वागत सत्कार मिलता है. ब्लाटर ने यहां बहुत बड़ी धनराशि अनुदान के तौर पर भी दी है.