भारत में इस साल अप्रैल से लेकर अभी तक बिजली गिरने से करीब 750 लोग मारे जा चुके हैं. सरकारें बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का भी ग्लोबल वॉर्मिंग से संबंध है.
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उत्तर प्रदेश में 28 जुलाई को कौशंबी के पास बिजली गिरने से सात लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में अधिकतर किसान थे. मरने वालों में से सभी ने भारी बारिश में भींगने से बचने के लिए पेड़ों के नीचे शरण ली थी. वहीं उन पर बिजली गिरी और उनकी तुरंत मौत हो गई.
इसी के साथ सिर्फ एक हफ्ते में पूरे राज्य में बिजली गिरने से मरने वालों की संख्या 49 हो गई. राज्य सरकार के प्रवक्ता शिशिर सिंह ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए बिजली से बचने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
क्यों आसमान से गिरती है बिजली
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सिंह ने कहा, "यह ऐसा समय है जब लोग बाढ़ या बारिश से जुड़ी दूसरी वजहों से मारे जाते हैं, लेकिन इस बार ज्यादा लोग बिजली गिरने से मारे जा रहे हैं." भारतीय मौसम विभाग के लिए काम करने वाले कर्नल संजय श्रीवास्तव का कहना है कि देश में अप्रैल से लेकर अभी तक बिजली गिरने से करीब 750 लोगों की जान चली गई है.
उन्होंने बताया कि पेड़ों का काटा जाना, जलाशयों का सूख जाना और प्रदूषण का जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है जिसकी वजह से बिजली का गिरना बढ़ता है. एनजीओ सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बताया कि बिजलियों के ज्यादा गिरने में जलवायु परिवर्तन की भूमिका है.
बादल गरजने और बिजली चमकने का विज्ञान
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धरती के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से बिजली गिरने में 12 गुना वृद्धि होती है. मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि इस साल प्रदूषण के स्तर के बढ़ने की वजह से तूफान और बिजली गिरने की घटनायीं बढ़ गई हैं.
गुप्ता ने बताया, "सतह पर ज्यादा तापमान की वजह से जलाशयों में से पानी भाप बन कर उड़ जाता है, जिसकी वजह से वातवरण में नमी बढ़ती है. प्रदूषण की वजह से एयरोसोल निकलते हैं उनसे तूफान वाले बादलों में से बिजली के निकलने के हालात बनते हैं."
एक अनुमान के मुबारक देश में हर साल बिजली गिरने से करीब 2,000 से 2,500 लोगों की मौत हो जाती है. 2019-20 में देश में बिजली गिरने की 1.4 करोड़ घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2020-21 में बढ़ कर 1.85 करोड़ हो गईं.
बदलेगा मौसम तो ऐसा होगा मंजर..
जलवायु परिवर्तन हमारी जिंदगी को आश्चर्य से भर देगा. न केवल पर्यावरण पर इसका असर होगा बल्कि यह इंसानों के मस्तिष्क को भी प्रभावित करेगा. बिजली कड़केगी, ज्वालामुखी फटेगा और हो सकता है कि रेगिस्तान की मिट्टी भी उड़ जाये.
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आकाश में बढ़ेगी हलचल
ब्रिटेन की एक स्टडी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का असर विमानों की उड़ान पर भी होगा. विमानों को आकाश में अधिक हलचल (टर्ब्युलेंस) का सामना करना होगा. इसमें तकरीबन 149 फीसदी की वृद्धि होगी.
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जहाजों के रास्ते होंगे बाधित
विशेषज्ञों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते बड़े ग्लेशियर टूट सकते हैं, जो समुद्री यातायात प्रभावित करेंगे. असर कितना होगा, इस पर मोटा-मोटी कुछ कहना फिलहाल मुश्किल है.
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बिजली की कड़कड़ाहट बढ़ेगी
ताप ऊर्जा, तूफानी बादलों के लिये ईंधन का काम करती है. आशंका है कि अगर तापमान बढ़ता रहा तो आकाश में बिजलियों की कड़कड़ाहट बढ़ जायेगी, जिसके चलते जंगली आग एक समस्या बन सकती है.
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ज्वालामुखी होंगे सक्रिय
निष्क्रिय अवस्था में पड़े ज्वालामुखी सक्रिय हो सकते हैं. ग्लेशियर पिघलने से पृथ्वी की भीतरी परत पर पड़ने वाला दबाव घटेगा, जिसका असर मैग्मा चेंबर पर पड़ेगा और ज्वालामुखियों की गतिविधियों में वृद्धि होगी.
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आपका गुस्सा बढ़ेगा
हमारा मूड भी बहुत हद तक मौसम पर निर्भर करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि होगी लोगों में गुस्सा बढ़ेगा. यहां तक कि हिंसा की प्रवृत्ति में भी इजाफा होगा.
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समुद्रों में बढ़ेगा अंधेरा
कयास हैं कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर समंदरों में दिखेगा. तापमान बढ़ने से जलस्तर बढ़ेगा साथ ही इनका अंधेरा और भी गहरा होगा. कई इलाकों में वार्षिक वर्षा के स्तर में भी वृद्धि होगी.
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एलर्जी की समस्या
आपको न सिर्फ जल्दी गुस्सा आयेगा बल्कि इंसानों में एलर्जी की शिकायत भी बढ़ेगी. तापमान बढ़ने से मौसमी क्रियायें बदलेगी, पर्यावरण का रुख बदलेगा और बदले माहौल में ढलना इंसानों के लिये आसान नहीं होगा.
तस्वीर: imago/Science Photo Library
पशुओं का आकार घटेगा
तापमान का एक असर स्तनपायी जीवों के आकार पर दिखेगा. एक अध्ययन के मुताबिक लगभग 5 करोड़ साल पहले जब तापमान बढ़ा था तब स्तनपायी जीवों का आकार घटा था, जो भविष्य में भी नजर आ सकता है.
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रेगिस्तान में रेत होगी कम
रेगिस्तान में कुछ ऐसे बैक्टरीया होते हैं जो मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिये बायोक्रस्ट जैसी मजबूत परत का निर्माण करते हैं लेकिन तापमान बढ़ने से इनका आवास स्थान प्रभावित होगा और मिट्टी का क्षरण बढ़ेगा.
तस्वीर: picture-alliance/Zuma Press/B. Wick
चींटियों का व्यवहार बदलेगा
चींटियां पारिस्थितिकी के संतुलन में अहम भूमिका अदा करती है. अध्ययन बताते हैं कि चींटियां खेतों में कीड़े-मकौड़ों का सफाया करती हैं और मिट्टी के पोषक तत्वों को बनाये रखने में मददगार साबित होती है.
रिपोर्ट- इनेके म्यूल्स