बॉलवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा अपने चाहने वालों मुलाकात का मौका देने जा रही है, वो भी अपने खास बार टेंडिंग के गुर की मदद से.
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प्रियंका चोपड़ा के भाई सिद्धार्थ पुणे में 'द मगशॉट लाउंज' शुरू कर रहे हैं. प्रियंका इस बात को लेकर बेहद उत्साहित हैं और अपने भाई की मदद की हर संभव कोशिश कर रही हैं. प्रियंका चोपड़ा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, "मेरे छोटे भाई सिद्धार्थ का नया ठिकाना पुणे में. इसके शुरू होने का इंतजार नहीं कर सकती. अपनी बारटेंडिंग प्रतिभा निखार रही हूं." प्रियंका ने द मगशॉट लाउंज का लिंक भी साझा किया. यह एक निमंत्रण है जो उनके प्रशंसकों को सात सितंबर को उनसे लाउंज में मिलने का एक अवसर दे रहा है.
मेरी कॉम को गुरू दक्षिणा
इस बीच प्रियंका की फिल्म 'मेरी कॉम' भी जल्द ही रिलीज होने जा रही है. प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि वह अपनी इस फिल्म के जरिए ओलंपिक विजेता मुक्केबाज मेरी कॉम को गुरू दक्षिणा देना चाहती हैं. फिल्म में प्रियंका ने मेरी कॉम का किरदार निभाया है. प्रियंका ने इस फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की है. उन्होंने फिल्म में एक प्रोफेशनल बॉक्सर की तरह दिखने के लिए महीनों एक्सरसाइज और बॉक्सिंग का अभ्यास भी किया.
प्रियंका ने कहा कि वह मेरी कॉम की बहुत आभारी हैं और फिल्म उन्हें समर्पित करना चाहती हैं. उन्होंने बताया, "इस भूमिका को निभाना चुनौती भरा काम था. फिल्म के लिए मेरी कॉम ने मुझे बॉक्सिंग के कई गुर सिखाए हैं, इसलिए मैं फिल्म को उनके सामने गुरू दक्षिणा के रूप में प्रस्तुत करना चाहूंगी." यह फिल्म एक महिला की जिंदगी के संघर्ष की कहानी बयान करती है.
प्रियंका ने कहा, "यह फिल्म मेरी कॉम के जीवन के साथ साथ आम महिला के जीवन में आने वाले संघर्षों की बात कहती है." संजय लीला भंसाली निर्मित और उमंग कुमार के निर्देशन में बनी फिल्म मेरी कॉम 5 सितंबर को रिलीज होने जा रही है.
एसएफ/आईबी (वार्ता)
कुछ यूं रही कान की शाम
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फ्रांस के नाम हुआ गोल्डेल पाम
कान फिल्म समारोह का सबसे महत्वपूर्ण गोल्डन पाम इनाम फ्रांसीसी निर्देशक अब्दुल्लतीफ केशीश ने अपने नाम किया. उनकी फिल्म 'ला वी डाडेल' दो युवा लड़कियों की कहानी है जो एक दूसरे से प्रेम करती हैं.
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जूरी की पसंद
दस दिन चलने वाले इस महोत्सव में जूरी सदस्यों ने एक साथ उठते बैठते 20 फिल्मों को देखा और उनका आंकलन किया. समीक्षकों का मानना है कि इस साल महोत्सव में शामिल हुई फिल्मों का स्तर कहीं ऊंचा और मुकाबला खासा मुश्किल था.
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एक बार फिर बाजी हमारी
अमेरिकी भाइयों जोएल और ईथन कोएन की फिल्म 'इंसाइड लेविन डेविस' को समारोह का दूसरा सबसे अहम इनाम ग्रां प्री हासिल हुआ. कोएन भाई सालों से कान फिल्म समारोह में शामिल होते और कई महत्वपूर्ण इनाम जीतते आए हैं. 1991 में फिल्म 'बार्टन फिंक' के लिए उन्हें गोल्डन पाम मिला था.
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सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार हुआ फ्रांसीसी अभिनेत्री बेरेनीस बेजो के नाम. उन्हें यह इनाम ईरानी फिल्म निर्देशक अस्गर फरहादी की फिल्म 'द पास्ट' के लिए मिला जो कि एक टूटती शादी की कहानी है. पिछले साल फिल्म 'द आर्टिस्ट' में उनकी भूमिका से उन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
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सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
परुष कलाकारों में 76 साल के अमेरिकी अभिनेता ब्रूस डर्न ने जूरी का दिल जीत लिया. फिल्म 'नेबरास्का' में एक ऐसे शराबी व्यक्ति का पात्र जो अपने बेटे के साथ अमेरिका की यात्रा पर है, उन्होंने बखूबी निभाया.
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चीन के नाम
एशियाई फिल्मों के लिए भी एक विशेष पुरस्कार था. चीनी निर्देशक जिया झानके की फिल्म 'अ टच ऑफ सिन' को सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए पुरस्कार से नवाजा गया. मनोरंजक होने के साथ ही फिल्म आधुनिक चीन में सामाजिक परिवर्तनों के मुद्दों को भी टटोलती है.
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विश्व सिनेमा
कान के दूसरे मुख्य पुरस्कार मेक्सिको और जापान को मिले. फिल्म 'हेली' के लिए मेक्सिको के अमात एस्कलांते को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक चुना गया. जापानी निर्देशक हीरोकाजू कोरे ईडा को उनकी फिल्म 'लाइक फादर लाइक सन' के लिए जूरी पुरस्कार मिला. प्रांसीसी अभिनेत्री औद्रे तोतू ने इस मौके पर अपनी लाल ड्रेस में कुछ यूं रंग बिखेरे.
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सच्चाई से दो चार
दूसरी श्रेणियो में दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं के काम ने दर्शकों के साथ ही जूरी को भी प्रभावित किया. प्रांसीसी-कंबोडियाई निर्देशक रिथी पान्ह को उनके प्रायोगिक और साहसी काम के लिए 'अनसरटेन रिगार्ड' पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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जर्मनी के नाम
जर्मनी की ए फिल्म को भी कान फिल्म समारोह में पुरस्कृत होने का गौरव मिला. हालांकि जर्मनी की फीचर फिल्में प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुईं लेकिन शॉर्ट फिल्म श्रेणी में 'कौम उंड श्पील' को अंरराष्ट्रीय समीक्षकों की पसंद चुना गया. यह पुरस्कार नए निर्देशकों के लिए अहम माना जाता है, इस बार यह डारिया बिलोवा के नाम हुआ.
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इतिहास के अंधेरों से
कान की चमक दमक की तस्वीरों के बीच नाजी कैंप की ये स्याह तस्वीर अजीब लगती है लेकिन यह 87 साल के निर्देशक क्लोद लांजमान की डॉक्यूमेंट्री 'डेयर लेट्जटे डेयर उंगेरेश्टेन' की झलक है.
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और यह खुमार
66वें कान फिल्म समारोह में सितारों की चहल पहल से लेकर रंगारंग कार्यक्रमों और पुरस्कार वितरण तक सभी कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कान को एक अहम पुरस्कार समारोह के रूप में स्थापित करने में एक बार फिर कामयाब रहा.