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भाग दौड़ नहीं कर पाते ऑस्ट्रेलियाई बच्चे

२९ जुलाई २०१२

भले ही दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया से नाता रखते हों, लेकिन एक रिसर्च में पता चला है कि ऑस्ट्रेलिया में बच्चों को भागने, कूदने, किक मारने या गेंद पकड़ने के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

तस्वीर: Fotolia/jura

यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में हुए इस शोध में कहा गया है कि बच्चों की खेल कूद की क्षमता में काफी कमी आई है. अधिकतर सात साल के बच्चों को कूदने और बॉल पकड़ने जैसी चीजें सिखाने की जरूरत है. यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की लुईस हार्डी का कहना है, "हमारे यहां अधिकतर बच्चों में यह योग्यता ही नहीं है. यह एक मिथ्या है कि बच्चे अपने आप ही यह सब सीख लेंगे. उन्हें ये सिखाने की जरूरत है."

इस शोध के लिए आंकडें 2010 में जमा किए गए. इसके लिए 16 साल तक की उम्र के आठ हजार बच्चों का डाटा तैयार किया गया. यह सभी बच्चे न्यू साउथ वेल्स राज्य के हैं. शोध में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से काफी बेहतर पाया गया. लड़कियों को भागने और कूदने के लिए लड़कों की तुलना में कम मेहनत करनी पड़ी. लेकिन गेंद के साथ लड़कों का प्रदर्शन लड़कियों से बेहतर रहा. बॉल को कैच करना हो या किक मारना हो, लड़के इसे लड़कियों से ज्यादा अच्छी तरह कर पाए.

रिपोर्ट के अनुसार नौ से दस साल के बच्चों में केवल तीस प्रतिशत ही साधारण रूप से दौड़ भाग करने में सक्षम हैं. इस आयु वर्ग में केवल पांच प्रतिशत लड़कियां ही जानती हैं कि बॉल को किस तरह से फेंकना है या किक मारनी है. हार्डी का कहना है कि इसकी वजह प्राइमरी स्कूलों में खेल के टीचरों की भारी कमी है. न्यू साउथ वेल्स ऑस्ट्रेलिया का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है. रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर माता पिता के पास बच्चों के साथ खेलने का समय नहीं होता और स्कूलों में भी वे इस तरह का प्रशिक्षण नहीं पा रहे हैं.

हालांकि हाई स्कूल में बच्चों का खेल में प्रदर्शन बेहतर होने लगता है, लेकिन हार्डी का कहना है कि कम उम्र में इस पर ध्यान ना देने से उम्र बढ़ने के साथ साथ सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि रिसर्च दिखाती है कि इस से आगे चल कर मधुमेह और दिल के रोग होने का खतरा बढ़ सकता है, "यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों को चलना फिरना सिखाएं और यह भी सिखाएं को उसे ठीक से कैसे करना है."

आईबी/एनआर (एएफपी)

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