फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक, "2016 में यूके की जीडीपी 1870 अरब डॉलर थीं, वहीं भारत की जीडीपी 2300 अरब डॉलर रही." 150 साल बाद यह पहला मौका है जब भारतीय अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है. पहले अनुमान लगाया गया था कि भारत 2020 तक ब्रिटेन को पीछे कर देगा. लेकिन इसी साल हुए ब्रेक्जिट के चलते ब्रिटिश इकोनॉमी को खासी चपत लगी. पाउंड ने गोता खाया. वहीं भारत की विकास दर तेज बनी रही और वह छठे नंबर पर पहुंच गया.
2025 तक दुनिया का आर्थिक नक्शा बदल जाएगा. चीन, जापान और भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्थाओं के चलते वह विकास की धुरी बन जाएगा. जानिए इस वक्त कौन सा देश कहां खड़ा है और बाद में कहां होगा.
तस्वीर: AFP/Getty Images/R. Miachael18,100 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वाला अमेरिका आर्थिक रूप से दुनिया की महाशक्ति है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 22.4 फीसदी है. अगले एक दशक तक अमेरिका के चोटी पर बने रहने का अनुमान है.
तस्वीर: Imago11,200 अरब डॉलर जीडीपी वाला चीन दुनिया की दूसरी और एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 1970 के दशक में औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद चीन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. चीनी अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 45 फीसदी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Xiaofeiएशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान का सकल घरेलू उत्पाद 4,200 अरब डॉलर है. लेकिन 2008 की वैश्विक मंदी के बाद से जापान की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है. इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रोडक्ट्स के लिए विख्यात जापान को अमेरिका और दक्षिण कोरिया से कड़ी टक्कर मिल रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Ymanakaमशीन, वाहन, घरेलू मशीनरी और केमिकल उद्योग में धाक जमाने वाला जर्मनी चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है. जर्मनी की जीडीपी 3,400 अरब डॉलर है. जर्मनी के पास कुशल कामगार हैं लेकिन देश युवाओं की कमी से जूझ रहा है. 2022 तक जर्मनी के फिसलकर छठे नंबर पर आने का अनुमान है.
तस्वीर: picture alliance/dpaफ्रांस दुनिया की पांचवीं और यूरोप की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. फ्रांस की जीडीपी 2,900 अरब डॉलर है. अनुमान है कि 2022 तक फ्रांस नौवें नबंर पर आ जाएगा. टैक्स नीति और यूरो संकट भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे.
तस्वीर: AFP/Getty Images/F. Dufour2,850 अरब डॉलर जीडीपी वाला ग्रेट ब्रिटेन छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है. सर्विस और बैंकिंग सेक्टर ब्रिटिश अर्थव्यवस्था का मजबूत हिस्सा है. लेकिन अगले 10 साल में दूसरे देश ब्रिटेन से आगे निकल जाएंगे. देश आठवें नंबर पर होगा.
तस्वीर: picture-alliance/ EPA/A. Rain2,300 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद वाला भारत दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है. 7.5 फीसदी विकास दर के साथ भारत इस वक्त दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. 2022 तक भारत ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथे नंबर पर आ सकता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjeeकुछ साल पहले तक ब्रिटेन से आगे रहने वाला ब्राजील आंतरिक परेशानियों और धीमी विकास दर से जूझ रहा है. ब्राजील की जीडीपी 1,900 अरब डॉलर है. फिलहाल ब्राजील का आर्थिक विकास ठंडा पड़ा है.
तस्वीर: Reuters/P. Whitaker1,800 अरब डॉलर की जीडीपी वाले इटली के लिए बीते 10 साल बेहद दुश्वार रहे हैं. वित्तीय संकट के चलते इटली काफी नीचे आया है.
तस्वीर: Reuters/Alessandro Bianchiकनाडा की अर्थव्यवस्था 1,600 अरब डॉलर की है. पेट्रोलियम और खनिजों के लिए मशहूर कनाडा निवेशकों को नहीं लुभा पा रहा है.
तस्वीर: Reuters रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भी ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. आर्थिक विकास की रफ्तार 1.8 फीसदी से गिरकर 1.1 फीसदी हो जाएगी. वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर छह से आठ फीसदी बने रहने का अनुमान है. जीडीपी के मामले में भारत ब्रिटेन से आगे भले ही निकल गया हो लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश काफी पीछे है.
भारत से आगे अब अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और फ्रांस हैं. फोर्ब्स ने इस आर्थिक विकास का श्रेय 1991 में किये गए आर्थिक सुधारों को दिया है. 1991 में मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री थे. खस्ताहाल हो चुकी भारतीय अर्थव्यस्था को दुरुस्त करने के लिए मनमोहन सिंह ने उदारवादी नीतियां अपनाई. उन्होंने भारत के बाजार को प्रतिस्पर्धी बनाया और उसे् अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खोल दिया. बाद में वाजपेयी सरकार और फिर प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह ने इन सुधारों को आगे बढ़ाया.
भारत की आधी से ज्यादा आबादी 35 साल से कम उम्र की है. वहीं चीन और दूसरे विकसित देश बूढ़ी होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं. अनुमान है कि भारत विशाल मानव संसाधनों के चलते 2022 तक जापान, जर्मनी और फ्रांस को भी पीछे छोड़ देगा.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े बताते हैं कि 2015 में भारत ने 264 अरब डॉलर का निर्यात किया. 2014 के मुकाबले 16.9 फीसदी कम. देखिए, क्या-क्या बेच पाया भारत.
तस्वीर: DW/A. Andréसबसे ज्यादा हीरे जवाहारात बेचे हैं. 38.8 अरब डॉलर के. यानी कुल निर्यात का 14.7 फीसदी
तस्वीर: picture-alliance / dpaभारत के कुल निर्यात का 11.7 फीसदी तेल है. कुल 30.9 अरब डॉलर का तेल बिका.
तस्वीर: picture alliance/AP Photoतीसरे नंबर पर गाड़ियां रहीं. भारत ने कुल 14.1 अरब डॉलर की गाड़ियां बेचीं. निर्यात का 5.3 फीसदी.
तस्वीर: AP13.2 अरब डॉलर की मशीनें भारत से निर्यात हुईं जो उसके कुल निर्यात का 5 प्रतिशत है.
तस्वीर: Reuters/A. Abidiनिर्यात का 4.7 फीसदी हिस्सा दवाओं से आया. कुल 12.5 अरब डॉलर की दवाएं बिकीं.
तस्वीर: Manan Vatsyayana/AFP/GettyImages11.2 अरब डॉलर के ये केमिकल भारत के कुल निर्यात का 4.3 फीसदी हिस्सा हैं.
तस्वीर: LANXESS9.4 अरब डॉलर के कपड़े बेचकर भारत ने 3.5 फीसदी हिस्सा इस उद्योग को दिया.
तस्वीर: Andrew Caballero-Reynolds/AFP/Getty Imagesभारत के निर्यात का 3 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक सामान से आता है. मिले 7.9 अरब डॉलर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar7.8 अरब डॉलर के बुने या कढ़ाई वाले कपड़े बिके जो कुल निर्यात का 2.9 फीसदी है.
तस्वीर: Reutersटॉप 10 में दसवां आइटम कपास है जो कुल निर्यात का 2.8 फीसदी है. 7.5 अरब डॉलर.
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