पेप्सिको ने कुछ भारतीय किसानों पर कंपनी के ट्रेडमार्क वाले आलू उगाने का आरोप लगाया है. इसके खिलाफ कंपनी के मुकदमे का सामना करने के लिए किसान संगठन भी किसानों को कानूनी मदद मुहैया करवाएंगे.
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किसान संगठनों का कहना है कि वे उन किसानों को कानूनी मदद दिलवाएंगे, जिनके खिलाफ खानपान की चीजें बनाने वाली दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों में से एक पेप्सिको ने मुकदमा ठोका है. कंपनी ने किसानों पर आरोप लगाया है कि वे आलू की ऐसी किस्में उगा रहे थे जो पेप्सिको की ट्रेडमार्क किस्म है. पेप्सिको इन ट्रेडमार्क आलुओं से चिप्स बनाती है.
कुल नौ किसानों के खिलाफ कंपनी ने मुकदमा दायर किया है. ये किसान गुजरात के हैं. भारतीय किसान संघ के उपाध्यक्ष अंबालाल पटेल ने बताया कि कंपनी ने अपने ट्रेडमार्क के अधिकारों का उल्लंघन करने के एवज में हर एक किसान से एक से दो करोड़ रूपये चुकाने को कहा है.
ट्रेडमार्क वाले आलुओं से लेज ब्रांड की चिप्स बनाती है पेप्सिको कंपनीतस्वीर: Imago-Images/R. Levine
पेप्सिको का कहना है कि बिना कंपनी की इजाजत के इन किसानों को खास आलू उगाते हुए पकड़ा गया. इन आलुओं से कंपनी अपने लेज ब्रांड के चिप्स बनाती है. इनमें से चार किसानों के ऊपर लगे आरोपों की सुनवाई अहमदाबाद के कमर्शियल कोर्ट में हो चुकी है.
अहमदाबाद के किसानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट कपिल शाह ने बताया, "पेप्सिको ने कोर्ट में कहा कि वे इस विवाद को सुलझाना चाहते हैं और इसके लिए एक प्रस्ताव भी दिया है, जिस पर किसान विचार करेंगे. शाह का कहना है कि किसानों को किसी ट्रेडमार्क समस्या का पता नहीं था और ना ही ये पता था कि भारतीय कानून में भी बीजों और पौधों को लेकर कुछ अधिकार बनते हैं.
किसान संगठन के अंबालाल पटेल और कई अन्य किसान समूहों की मांग है कि "पेप्सिको इन किसानों के खिलाफ दायर मामले वापस ले." पटेल ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है. पेप्सिको की तरफ से केस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है. आलू के मामले पर कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, "पेप्सिको कई सालों से हजारों स्थानीय किसानों के साथ आलू की खास किस्में उगाने पर काम कर रहे हैं."
आरपी/आईबी (डीपीए)
मूर्ख किसान मोटा आलू ही उगायेगा...
रोजाना भोजन में इस्तेमाल होने वाले आलू की खेती किसी दौर में सेनाओं के संरक्षण में हुआ करती थी. भारत की ही तरह आलू जर्मन लोगों के खाने में अहम जगह रखते हैं. एक नजर आलू से जुड़े अजब-गजब तथ्यों पर.
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आलू है मुख्य आहार
आलू जर्मन लोगों का मुख्य आहार है. कभी सूप में, कभी तल कर, कभी फ्रेंच फ्राइज में तो कभी चिप्स में, जर्मन लोगों को आलू बहुत भाते हैं. जर्मनी में प्रति व्यक्ति सालाना तकरीबन 60-65 किलोग्राम आलू की खपत है.
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सेना के संरक्षण में थे आलू
जर्मनी में सन 1630 में आए. कहते हैं कि प्रशिया के राजा फ्रेडरिक द्वितीय आलू के आर्थिक और पोषक फायदों को मानते थे. उन्होंने किसानों से आलू की खेती करवाने के लिये चालबाजियां की और आलू के खेतों की देख-रेख के लिये सेना नियुक्त की.
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बनावट है अहम
आज आलू के तकरीबन 5 हजार प्रकार उपलब्ध हैं. इसलिये डिश के हिसाब से सही आलू चुनना जरूरी होता है. रूप-रंग मसला नहीं है बल्कि बनाने के तरीके पर स्वाद निर्भर करता है. कुछ आलू, सलाद बनाने के लिये उपयुक्त होते हैं तो कुछ बेकिंग और मैश करने के लिये इस्तेमाल होते हैं.
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आलू का सलाद
आलू का इस्तेमाल सलाद बनाने में भी किया जाता है. लेकिन इसे तैयार करने के तरीके अलग-अलग हैं. कुछ लोग आलू के पतले-पतले टुकड़े कर इन्हें गर्म तेल में तलते हैं, वहीं कुछ लोग इसे मायोनीज और अचार के साथ भी खाना पसंद करते हैं.
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पोटैटो डंपलिंग
जर्मन लोग उबले आलू को भी अपने खाने में पसंद करते हैं और ये अलग-अलग तरीकों से तैयार होते हैं. उबले आलू की पकौड़ी (पोटैटो डंपलिंग) को भुने हुये पोर्क के साथ खाना जर्मन लोग बहुत पसंद करते हैं.
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जर्मन स्टाइल चिप्स
एक जर्मन सालाना औसतन 60 किलो आलू के चिप्स खा लेता है. चिप्स की खोज जर्मनी में नहीं हुईं थी लेकिन कुछ फ्लेवर यहीं बने. शिमला मिर्च और नमक वाले चिप्स जर्मनी के थे. अब तो यहां करी, मायोनीज सभी स्वाद उपलब्ध हैं.
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भोजन में फ्रेंच फ्राइज
जर्मनी में पॉमेस नाम से मशहूर इन फ्रेंच फाइज को अक्सर करी या किसी साइड डिश के साथ सर्व किया जाता है. गली-नुक्कड़ों की कई छोटी दुकानों में इसे कई तरह के सॉस के साथ भी देते हैं. ये तरीका पड़ोसी देशों में भी लोकप्रिय है.
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शाकाहारियों की पहली पसंद
आलू को जर्मन किचन का सबसे लजीज और बुनियादी पकवान माना जाता है. आलू को इसके छिलके समेत ही बेक किया जाता है और एल्यूमिनियम फॉइल में लिपटे इन आलुओं को किसी साइड डिश या सलाद के साथ सर्व किया जाता है.
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क्रिसमस मार्केट के राइबेकुखन
कसे हुए आलू, प्याज और कई तरह की चीजें मिलाकर चपटी टिक्की की तरह तल कर बनायी जाने वाली डिश 'राइबेकुखन' कई तरह के सॉस के साथ खाई जाती है. जर्मन क्रिसमस मार्केटों में लोग इसे खूब पसंद करते हैं, खासकर बच्चे.
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जर्मन भाषा में आलू
जर्मन भाषा में आलू पर कई मुहावरे हैं. अंग्रेजी कहावत "फॉरच्यून फेवर फूल्स" (भाग्य मूर्खों का साथ देता है) की तरह, जर्मन में कहते हैं "मूर्ख किसान मोटा आलू ही उगायेगा". जर्मन लोगों को आलू खाना ही नहीं बल्कि इसकी बातें करना भी पसंद है. (कॉर्टनी टेंस, डाग्मार ब्राइटेनबाख/एए)