भारतीय टीम की हार, लेकिन निराशा नहीं
११ जनवरी २०१२ बायर्न ने आक्रामक शुरुआत की और पहले ही हाफ में चार दनादन गोल कर दिए लेकिन दूसरे हाफ में कोई गोल नहीं हुआ. बल्कि इस हाल्फ में भारतीय टीम ने बायर्न पर कुछ आक्रमण भी किये यह बात अलग है की वह कोई गोल करने में सफल न हुई हो.
यूरोप के नामी क्लब बायर्न म्यूनिख के कप्तान फिलिप लाम और कोच युप हेंकस ने भारतीय टीम के खिलाफ एक गंभीर मैच का वादा किया था. करीब 30 हजार फुटबॉल प्रेमियों के सामने उनकी टीम ने इसे निभाया भी.
मंगलवार को मैच खत्म होने के बाद दूधिया रोशनी में नहाए जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के विशाल इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड पर बायर्न के नाम 4-0 का स्कोर था. पिंडली में चोट से उबरने के बावजूद भूटिया ने आखिरी बार पूरे 90 मिनट अपनी टीम के लिए खेलने का वादा किया था. उन्होंने इसे लगभग पूरा भी किया क्योंकि मैच खत्म होने के छह मिनट पहले अपने सभी साथियों और जर्मन टीम के सदस्यों से हाथ मिलाने के बाद वह बाहर आए.
शाम छह बजे मैच शुरू होने से पहले ही स्टेडियम के बाहर भारी संख्या में फुटबॉल प्रेमी स्टेडियम में अपनी जगह बनाने के लिए पहुंच चुके थे. मैच शुरू होने तक स्टेडियम 30 हजार से ज्यादा दर्शकों से भरा हुआ था. पिछले महीने इसी स्टेडियम में हुई सैफ फुटबॉल चैंपियनशिप को देखने के लिए मुठ्ठी भर दर्शक ही पहुंच पाए थे. बायर्न म्यूनिख के खेल को देखने भारी संख्या में दर्शकों का पहुंचना यह दर्शाता है कि यदि उच्च स्तरीय फुटबॉल देखने को मिले तो भारतीय दर्शक भी पीछे नहीं हटेंगे.
1990 के बाद पहली बार कोई यूरोपियन क्लब जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में खेलने उतरा था. बायर्न ने वही टीम उतारी जो बुंडेसलीगा में अपना पहला मैच खेलेगी. स्टार फ्रांक रिबेरी को पहले से दो यलो कार्ड मिले हुए थे. पहले हाफ में टीम 4-0 से आगे थी. ऐसे में वह बाहर बैठे जबकि दूसरे में उन्होंने दिल्ली के फुटबॉल प्रेमियों को अपने हुनर से बिलकुल नया अनुभव दिया. बीस साल पहले डच क्लब पीएसवी आइंडहोवन ने इसी मैदान पर भारत को 7-0 से हराया था. टीम इंडिया इस मैच में कैसा खेली इसके लिए यही बताना जरूरी है कि भूटिया और उनके फॉरवर्ड पहली बार 26वें मिनट में बेयर्न के 45 यार्ड के करीब पहुंचे. इससे पहले मारियो गोम्स पहला गोल दाग चुके थे. इसके बाद थोमास म्यूलर ने लगातार दो और बास्टियान श्वाइनश्टाइगर ने एक गोल किया.
आधिकारिक लापरवाही
किसी भी युवा फुटबॉल प्रेमी के लिए बायर्न म्यूनिख के सितारों को अपनी आंखों के सामने खेलते देखना एक सपना ही था. लेकिन नई दिल्ली के खेल प्रेमियों के लिए मंगलवार को जर्मनी के इस नामी क्लब और भारतीय टीम के बीच हुए मैच में काफी शर्मिंदगी और गुस्सा भी हाथ लगा. एक हजार करोड़ रूपये से भी अधिक खर्च कर ठीक किए गए जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में इस मैच को देखने वालों को धूल भरी सीटें खुद ही साफ करना पड़ी. इस मैच के लिए 5800 टिकटें लेने वाले भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने सीटें साफ करने की जरूरत ही नहीं समझी. यह हैरानी की बात है कि आल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन और साई के बीच तीन साल का करार हुआ है. इसके तहत जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम को फुटबॉल हब बनाने की तैयारी हो रही है. लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद पहली बार हुए किसी बड़े आयोजन के दौरान स्टेडियम की यह हालत हैरान कर देने वाली है.
भूटिया को आउडी भेंट
आयोजन में भले कमी रह गयी हो लेकिन भूटिया लिए इससे ज्यादा शानदार विदाई नहीं हो सकती थी. मैच के मध्यांतर में आउडी कंपनी ने उन्हें 60 लाख की कार भेंट की. और जब वो फील्ड से बहार निकले तो फुटबॉल प्रेमियों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. कुछ भावुक हो रहे भूटिया ने भी हाथ हिला हिला कर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया. मैच शुरू होने से पहले दोनों देशों की राष्ट्र धुन बजने के बाद बायर्न म्यूनिख के कप्तान कप्तान फिलिप लाम ने इस मैच के लिए कप्तानी कर रहे भूटिया को अपने क्लब की 15 नंबर की जर्सी भी भेंट की.
भारतीय टीम की प्रशंसा
स्तर के हिसाब से टीमो के बीच जमीन आसमान का फर्क था लेकिन मैच के बाद बायर्न के मिडफील्डर आर्यन रोबेन ने भारतीय खिलाडियों की प्रशंसा की. ‘टीम काफी अच्छा खेली और मुझे यकीन है की बेहतर सुविधाओं के मिलने से वह बहुत ऊपर जा सकती है.' कोच युप हेंक्स ने खिलाडियों के साथ दर्शकों की भी सरहना की.
रिपोर्टः नोरिस प्रीतम, नई दिल्ली
संपादनः आभा एम