1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारतीय नौसेना प्रमुख का इस्तीफा

२६ फ़रवरी २०१४

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल डी के जोशी ने हाल के महीनों में नौसेना में हुए हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. पिछले सात महीनों में यह भारतीय नौसेना में नौवां हादसा है.

तस्वीर: UNI

नौसेना में बीते कुछ महीनों में एक के एक बाद कई छोटी बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. सबसे ताजा हादसे में बुधवार को सिंधुरत्न पनडुब्बी से धुआं निकलने के बाद दो नौसैनिक लापता हैं. सरकार ने एक बयान में कहा है कि उसने एडमिरल डी के जोशी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है. नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल आर के धवन से उनका कामकाज संभालने के लिए कहा गया है.

बुधवार तड़के रूस से खरीदी गई पनडुब्बी में मुंबई तट से 80 किलोमीटर दूर हादसा हुआ. इस पनडुब्बी में सवार दो नौसैनिक अब भी लापता हैं और उनकी तलाश का काम जारी है. पिछले ही साल मुंबई बंदरगाह पर आईएनएस सिंधुरक्षक धमाके के बाद डूब गई थी. धमाके में पनडुब्बी में सवार सभी 18 नौसैनिक मारे गए थे. लगातार हो रहे हादसों ने पुरानी होती पनडुब्बियों और उसमें काम करने वालों की ट्रेनिंग को लेकर चिंता बढ़ा दी है. डीजल से चलने वाली आईएनएस सिंधुरत्न पनडुब्बी मुंबई के पास समुद्र में अभ्यास कर रही थी और उस दौरान पनडुब्बी में धुआं भर गया जिसके बाद सात कर्मियों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

नौसेना के प्रवक्ता कमांडर राहुल सिन्हा ने कहा कि धुएं के स्रोत को हटा दिया गया है, लेकिन उन्होंने अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया. सिन्हा के मुताबिक, "पनडुब्बी के भीतर जब कभी भी आग लगती है तो धुआं अत्यंत जहरीला हो जाता है. कक्ष के भीतर घुसने में समय लगता है." हादसे के 12 घंटे बाद भी दो नौसैनिकों के बारे में पता नहीं चल पाया है. सीधे तौर पर बिना दोष लगाते हुए सरकार ने कहा जोशी ने पिछले कुछ महीनों में हुई दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी ली है.

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय नौसेना के पनडुब्बी चालक दल के सदस्यों को पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं मिल रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक से दूसरी पनडुब्बी में जाने से पहले ट्रेनिंग की कमी है. उनके मुताबिक पनडुब्बी में होने वाली छोटी घटना भी जानलेवा साबित हो सकती है.

रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर के मुताबिक यह बहुत ही अशुभ स्थिति है. भास्कर कहते हैं, "भारतीय नौसेना अभिशप्त दौर से गुजर रही है." नई दिल्ली में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में रक्षा विशेषज्ञ भरत कर्नाड कहते हैं जहाजों को संभालना अनुभव के साथ आता है और युवा अफसरों को बड़े पोतों में भेजने से पहले छोटे पोतों में जरूरत के मुताबिक समय बिताने को नहीं मिल रहा है.

एक और जानकार का कहना है कि हालांकि भारत दशकों से पनडुब्बियों का संचालन कर रहा है, लेकिन खरीद में देरी की वजह से उनकी संख्या घट रही है. पुरानी पनडुब्बियां रिटायर कर दी जा रही हैं लेकिन उनकी जगह नई पनडुब्बी नहीं ले रही है. हालांकि कई पनडुब्बियों को आधुनिकीकरण की जरूरत है. रुस से खरीदी गई किलो क्लास पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरत्न 1988 में कमीशन की गई थी. इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

एए/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें