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समाज

भारतीय पुरुषों में बढ़ती सुंदर दिखने की चाहत

प्रभाकर मणि तिवारी
२२ जनवरी २०१८

अब तक सजना-संवरना महिलाओं का काम समझा जाता था. पुरुष तो शादी-ब्याह या कुछ खास समारोहों के मौके पर ही थोड़ा-बहुत इत्र-फुलेल और क्रीम लगा लेते थे. लेकिन भारत में अब यह तस्वीर तेजी से बदल रही है.

Screenshot www.emamiltd.in
तस्वीर: www.emamiltd.in

भारतीय पुरुष भी सजने-संवरने और सौंदर्य प्रसाधनों पर खर्च के मामले में महिलाओं से पीछे नहीं हैं. दिलचस्प बात यह है कि आम धारणा के विपरीत भारतीय पुरुष यह सब महिलाओं को आकर्षित करने के लिए नहीं करते. दूसरों से स्मार्ट और बेहतर दिखने की चाहत और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए लोग अब खुल कर ब्यूटी पार्लरों में जाकर अपनी जेबें ढीली कर रहे हैं. इसके साथ ही वे अब कास्मेटिक सर्जरी से भी नहीं हिचक रहे हैं. एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय पुरुष हर साल सजने-संवरने पर 50 अरब रुपये की भारी–भरकम रकम खर्च कर देते हैं. और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है.

स्टडी रिपोर्ट

मार्केट रिसर्च करने वाली कंपनी नीलसन के एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय पुरुष हर साल अपने सजने-संवरने की चाहत में पांच हजार करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं. कुछ साल पहले तक इस बारे में कल्पना तक नहीं की जा सकती थी. रिपोर्ट के मुताबिक पुरुष यह रकम महिलाओं को आकर्षित करने के लिए नहीं बल्कि दफ्तरों या कामकाज की जगह पर दूसरों से बेहतर व स्मार्ट दिखने के लिए करते हैं. एक निजी कंपनी में काम करने वाले मोहित सेन कहते हैं, "इससे दूसरे कर्मचारयों के मुकाबले स्मार्टनेस तो आती ही है, आत्मविश्वास भी बढ़ता है."

नीलसन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अब एक दशक पहले के मुकाबले पुरुष भारी तादाद में फेसवाश और क्रीम खरीद रहे हैं. वर्ष 2009 से 2016 के दौरान चेहरा साफ करने वाली क्रीमों (फेस क्रीम्स) की बिक्री में 60 गुनी वृद्धि हुई है. पुरुषों में सजने-संवरने की तेजी से बढ़ती चाहत की वजह से अब तमाम कंपनियां उनके लिए लगभग हर महीने नए-नए उत्पाद बाजार में उतार रही हैं. कुछ साल पहले तक पुरुषों की सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के नाम पर एकाध फेसवाश और बोरोलीन क्रीम ही बाजार में उपलब्ध थी. लेकिन अब ऐसे सैकड़ों उत्पाद उपलब्ध हैं. पुरुषों की सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने वाली कंपनियों के लिए साल 2017 तो वरदान साबित हुआ है.

तेजी से बढ़ता बाजार

पुरुषों की सौंदर्य सामग्री पर टेकसी की एक हालिया स्टडी में कहा गया है कि 2020 तक इस बाजार के सालाना 20 से 22 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति सालाना आय में वृद्धि, शहरी मध्यवर्ग की आबादी बढ़ने और पुरुषों में सुंदर दिखने की बढ़ती चाहत के चलते यह बाजार तेजी से बढ़ रहा है. ऐसा सिर्फ महानगरों में ही नहीं छोटे-छोटे शहरों में भी हो रहा है. पुरुषों में इस बढ़ती चाहत को भुनाने के लिए अब टीवी पर भी पुरुष सौंदर्य प्रसाधनों के विज्ञापनों की भरमार हो गई है.पहले महज गोरे होने की क्रीम के विज्ञापन ही नजर आते थे. लेकिन अब प्रचार के मामले में यह महिला सौंदर्य प्रसाधनों से पीछे नहीं है.

व्यापार संगठन एसोचैम की 2016 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय सौंदर्य उत्पादों का बाजार साढ़े छह अरब अमेरिकी डॉलर का है जिसके वर्ष 2025 तक बीस अरब डॉलर होने की उम्मीद है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय पुरुषों में सौंदर्य के प्रति बढ़ती जागरूकता की वजह से बीते पांच वर्षों में सौंदर्य प्रसाधन का बाजार 42 फीसदी से अधिक बढ़ा है. सौंदर्य प्रसाधनों पर भारतीय किशोरों का औसतन मासिक खर्च बीते एक दशक में तीन से चार गुना बढ़ गया है.

लुक को लेकर जागरुक

उपभोक्ता फर्म डेलायट इंडिया के साझीदार रजत वाही कहते हैं, "सजने-संवरने पर अब सिर्फ महिलाओं का एकाधिकार नहीं रहा. अब पुरुष भी अपने लुक को लेकर काफी जागरुक व संवेदनशील हो गए हैं." सौंदर्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की आबादी में से लगभग आधे लोगों के 18 से 30 साल के आयुवर्ग में होने के कारण आने वाले वर्षों में पुरुष सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का बाजार तेजी से बढ़ने की संभावना है. एसोचैम ने भी अपनी एक स्टडी में खुलासा किया कि देश में 18 से 25 साल की उम्र वाले पुरुष अपने संजने-संवरने और सौंद्रय प्रसाधनों पर महिलाओं के मुकाबले ज्यादा खर्च करते हैं.

पुरुष सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने वाली एक कंपनी के प्रबंध निदेशक मोहन अग्रवाल कहते हैं, "अपनी छवि को लेकर सजग पुरुष अब खुद को निखारने पर खासी रकम खर्च करते हैं. इससे इन उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है." पहले पुरुषों के किट में कंघी, सेविंग के सामान, डियोडोरेंट और बालों में लगाने के जेल के अलावा कुछ और नहीं होता था.

अब बाल काटने वाले ज्‍यादातर हेयर कटिंग सैलून अब पुरुषों के ब्यूटी पार्लर के रूप में बदल गए हैं. अग्रवाल कहते हैं, "पुरुष अब अच्छे लुक के प्रति काफी जागरुक हैं. वह अपने शरीर को फिट रखने के साथ ही सजने-संवरने पर भी दिल खोल कर खर्च कर रहे हैं." ऑडिट कंपनी केपीएमजी के मुताबिक 2018 के अंत तक भारत में सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का सालाना कारोबार बढ़ कर 800 अरब का आंकड़ा पार कर लेगा.

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