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समाज

बार बार फेंका गया तेजाब, नहीं मिला न्याय

३ जुलाई २०१७

उत्तर प्रदेश में एक महिला पर पांचवी बार एसिड हमला हुआ है. 2008 में गैंगरेप और उसके बाद कई एसिड अटैक झेल चुकी महिला पर इन्हीं हमलावरों ने तीन महीने पहले भी हमला किया था, लेकिन जमानत पर बाहर आकर इन्होंने फिर से हमला किया.

Indien - Opfer von Säureangriffen
तस्वीर: DW/S. Waheed

एक 35 वर्षीया महिला पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एसिड अटैक हुआ है. राज्य पुलिस का कहना है कि पीड़िता पर पहले भी चार बार ऐसे ही हमले किये जा चुके हैं. पीड़ित महिला लखनऊ के एक वीमेंस हॉस्टल में रह रही थी, जहां हमलावर ने दीवार पर चढ़ कर उस पर केमिकल फेंक दिया. स्थानीय पुलिस प्रमुख विवेक त्रिपाठी ने बताया, "वह हैंड पंप पर पानी भर रही थी, जब हमला हुआ. हमलावर तुरंत घटनास्थल से भाग गया." पुलिस का कहना है कि उसने हमलावर की पहचान के लिए खोज अभियान चला रखा है. 

इसी महिला को दो लोगों ने संपत्ति के विवाद को लेकर 2008 में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार और फिर एसिड हमले का शिकार बनाया था. इसके बाद साल 2012 और 2013 में भी उन्हीं दो लोगों ने उस पर एसिड फेंका क्योंकि वे महिला पर उनके खिलाफ दर्ज कराये गये पुलिस केस को वापस लेने का दबाव डाल रहे थे. इसी साल मार्च में ट्रेन में अपनी एक बेटी के साथ सफर कर रही महिला पर दो लोगों ने फिर से एसिड अटैक किया था, जिसके कारण उसका चेहरा और कंधा गंभीर रूप से जल गया था. फिलहाल वह अस्पताल में उस चोट का इलाज करवा रही थी.

इन दोनों हमलावरों पर इन सभी आरोपों को लेकर कार्रवाई चल रही है. लेकिन फिर भी अप्रैल में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. पहले भी हमलों की शिकार बन चुकी महिला को सुरक्षित रखने के लिए 24-घंटे की पुलिस सुरक्षा दी गयी थी. लेकिन एसिड हमलों का शिकार हुई महिलाओं की आवाज उठाने वाले भारत के कैंपेन 'स्टॉप एसिड अटैक' के संयोजक आलोक दीक्षित ने डॉयचे वेले को बताया कि इस मामले में पीड़िता को सुरक्षा देने वाली पुलिस वहां मौजूद नहीं थी. दीक्षित ने कहा, "पुलिस अभी इस बात को छुपा रही है कि घटना के समय सुरक्षा गार्ड छुट्टी लेकर कहीं चले गये थे." आलोक दीक्षित का कहना है कि सरकार ने एसिड अटैक के मुद्दे पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जब जब कोर्ट से इस बारे में आदेश आये हैं तभी इस बारे में नीतियां बनी हैं.

आलोक दीक्षित से बातचीत

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आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो साल 2015 में भारत भर में एसिड अटैक के करीब 300 मामले दर्ज हुए. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता और विशेषज्ञ असली संख्या इससे कहीं ज्यादा होने की बात कहते हैं. किसी इंसान के चेहरे को बिगाड़ने, अंधा करने या अपाहिज बनाने के लिए उस पर तेज अम्लीय तरल फेंक देना अब एक स्थापित अपराध बन चुका है. कंबोडिया के बाद इसके मामलों में बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत का नाम आता है. दुनिया भर के कुल एसिड हमलों में से 80 फीसदी का निशाना महिलाएं होती है. लंदन स्थित समाजसेवी संस्था एसिड सर्वाइवर ट्रस्ट इंटरनेशनल के अनुसार हर साल दुनिया भर में 1,500 से अधिक लोगों पर तेजाब का हमला होता है.

भारत में 2013 में इसके खिलाफ कड़े कानून बनाये गये. एसिड की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए भी कई पाबंदियां लगायी गयीं. एसिड हमले का दोषी सिद्ध होने पर भारत में कम से कम 10 साल की जेल का कानून है. लेकिन बार बार हो रही घटनाओं से साफ है कि हमलावरों के लिए आज भी एसिड खरीदना संभव है और केवल कानून बनने से इन अपराधों पर रोक नहीं लग सकती है.  

ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)

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