उत्तर प्रदेश में एक महिला पर पांचवी बार एसिड हमला हुआ है. 2008 में गैंगरेप और उसके बाद कई एसिड अटैक झेल चुकी महिला पर इन्हीं हमलावरों ने तीन महीने पहले भी हमला किया था, लेकिन जमानत पर बाहर आकर इन्होंने फिर से हमला किया.
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एक 35 वर्षीया महिला पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एसिड अटैक हुआ है. राज्य पुलिस का कहना है कि पीड़िता पर पहले भी चार बार ऐसे ही हमले किये जा चुके हैं. पीड़ित महिला लखनऊ के एक वीमेंस हॉस्टल में रह रही थी, जहां हमलावर ने दीवार पर चढ़ कर उस पर केमिकल फेंक दिया. स्थानीय पुलिस प्रमुख विवेक त्रिपाठी ने बताया, "वह हैंड पंप पर पानी भर रही थी, जब हमला हुआ. हमलावर तुरंत घटनास्थल से भाग गया." पुलिस का कहना है कि उसने हमलावर की पहचान के लिए खोज अभियान चला रखा है.
महिलाओं पर एसिड हमले जारी हैं
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और कंबोडिया सहित कई एशियाई देशों में महिलाओं पर एसिड से हमला करने का घिनौना अपराध जारी है. सरकारी कोशिशों के अलावा मानसिकता में बदलाव होना सबसे जरूरी है, तभी ये रुक सकता है.
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लक्ष्मी की ताकत
महिलाओं पर होने वाले एसिड हमलों के खिलाफ अभियान छेड़ने वाली लक्ष्मी को अमेरिका में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया. प्रथम अमेरिकी महिला मिशेल ओबामा ने उन्हें 'इंटरनेशनल विमेन ऑफ करेज' अवॉर्ड दिया.
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बदलाव की उम्मीद
अवॉर्ड समारोह में लक्ष्मी ने अपनी भावनाएं कविता के जरिए उकेरीं और कहा कि ये सम्मान मिलने के बाद उन्हें भारत में बदलाव की उम्मीद है. वो मानती हैं कि शायद दूसरी लड़कियां सोचें कि वे भी लड़ाई में शामिल हो सकती हैं.
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश
लक्ष्मी की अपील के बाद भारत की सर्वोच्च अदालत ने सरकार को हुक्म दिया है कि वो एसिड के कारोबार को नियमों में बांधें. महिलाओं पर हमले के लिए एसिड का दुरुपयोग किया जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में अकसर महिला से बदला लेने के लिए पुरुष ये हमले करते हैं.
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जब तक है जज्बा
भारत में एसिड हमले की शिकार महिलाओं में जीवन का जज्बा जगाने की कोशिश की जा रही है. उनके पुनर्वसन की भी कोशिश है. लक्ष्मी चाहती हैं कि इस तरह के अपराधों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए.
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मदद
पाकिस्तान की शरमीन ओबैद चिनॉय की एसिड हमलों के पीड़ितों पर बनाई फिल्म को 2012 में ऑस्कर दिया गया था. लेकिन इसके बाद ये पीड़ित और घबरा गईं कि अब उनसे बदला लिया जा सकता है.
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हजारों शिकार
पाकिस्तान में हर साल हजारों लोग तेजाब हमलों का शिकार बनते हैं. इनमें 60 फीसदी महिलाएं हैं. पाकिस्तान में एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन के मुताबिक 2012 में 7,516 लोग ऐसे हमलों का शिकार बने.
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एशिया में
महिलाओं पर एसिड हमलों के मामले में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देश खासे बदनाम हैं. लेकिन कंबोडिया में भी इस तरह के अपराध होते हैं.
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अंतहीन दर्द
एसिड हमले के शिकार लोगों का जीवन बहुत मुश्किल हो जाता है. उनका चेहरा और गला जल जाता है और इसे ठीक करने के लिए फिर बार बार कॉस्मेटिक सर्जरी करनी पड़ती है, जो मध्यवर्ग के लिए बहुत खर्चीली साबित होती है.
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इसी महिला को दो लोगों ने संपत्ति के विवाद को लेकर 2008 में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार और फिर एसिड हमले का शिकार बनाया था. इसके बाद साल 2012 और 2013 में भी उन्हीं दो लोगों ने उस पर एसिड फेंका क्योंकि वे महिला पर उनके खिलाफ दर्ज कराये गये पुलिस केस को वापस लेने का दबाव डाल रहे थे. इसी साल मार्च में ट्रेन में अपनी एक बेटी के साथ सफर कर रही महिला पर दो लोगों ने फिर से एसिड अटैक किया था, जिसके कारण उसका चेहरा और कंधा गंभीर रूप से जल गया था. फिलहाल वह अस्पताल में उस चोट का इलाज करवा रही थी.
इन दोनों हमलावरों पर इन सभी आरोपों को लेकर कार्रवाई चल रही है. लेकिन फिर भी अप्रैल में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. पहले भी हमलों की शिकार बन चुकी महिला को सुरक्षित रखने के लिए 24-घंटे की पुलिस सुरक्षा दी गयी थी. लेकिन एसिड हमलों का शिकार हुई महिलाओं की आवाज उठाने वाले भारत के कैंपेन 'स्टॉप एसिड अटैक' के संयोजक आलोक दीक्षित ने डॉयचे वेले को बताया कि इस मामले में पीड़िता को सुरक्षा देने वाली पुलिस वहां मौजूद नहीं थी. दीक्षित ने कहा, "पुलिस अभी इस बात को छुपा रही है कि घटना के समय सुरक्षा गार्ड छुट्टी लेकर कहीं चले गये थे." आलोक दीक्षित का कहना है कि सरकार ने एसिड अटैक के मुद्दे पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जब जब कोर्ट से इस बारे में आदेश आये हैं तभी इस बारे में नीतियां बनी हैं.
आलोक दीक्षित से बातचीत
आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो साल 2015 में भारत भर में एसिड अटैक के करीब 300 मामले दर्ज हुए. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता और विशेषज्ञ असली संख्या इससे कहीं ज्यादा होने की बात कहते हैं. किसी इंसान के चेहरे को बिगाड़ने, अंधा करने या अपाहिज बनाने के लिए उस पर तेज अम्लीय तरल फेंक देना अब एक स्थापित अपराध बन चुका है. कंबोडिया के बाद इसके मामलों में बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत का नाम आता है. दुनिया भर के कुल एसिड हमलों में से 80 फीसदी का निशाना महिलाएं होती है. लंदन स्थित समाजसेवी संस्था एसिड सर्वाइवर ट्रस्ट इंटरनेशनल के अनुसार हर साल दुनिया भर में 1,500 से अधिक लोगों पर तेजाब का हमला होता है.
भारत में 2013 में इसके खिलाफ कड़े कानून बनाये गये. एसिड की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए भी कई पाबंदियां लगायी गयीं. एसिड हमले का दोषी सिद्ध होने पर भारत में कम से कम 10 साल की जेल का कानून है. लेकिन बार बार हो रही घटनाओं से साफ है कि हमलावरों के लिए आज भी एसिड खरीदना संभव है और केवल कानून बनने से इन अपराधों पर रोक नहीं लग सकती है.
ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)
एसिड अटैक का मुकाबला!
जर्मनी की फोटोग्राफर ऐन क्रिस्टीने वोर्ल ने दुनिया भर में उन महिलाओं की तस्वीरें लीं जिन्होंने खुद पर एसिड अटैक जैसे खतरनाक और जघन्य अपराध को झेला और उससे मजबूत होकर उबरीं.
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भारत से निहारी
निहारी जब केवल 19 साल की थी, उसने खुदखुशी की कोशिश की थी. वह अपने जीवन से पूरी तरह निराश हो चुकी थी. वह अपने पति की ओर से मिल रही शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से बेहद परेशान थी.
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बांग्लादेश से फरीदा
फरीदा के पति को ड्रग्स और जुए की इतनी बुरी लत थी कि उसके लिए अपना घर तक बेच दिया. तंग आकर जब फरीदा ने उसे छोड़ने की धमकी दी तो उसके पति ने सोती हुई फरीदा पर एसिड डाल कर उसे कमरे में बंद कर दिया. उसके दर्द से बिलबिला कर चीखने से पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर फरीदा को बाहर निकाला.
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जीवनभर का जख्म
हमले के समय फरीदा की उम्र केवल 24 साल थी. तबसे अब तक वह 17 बार सर्जरी करवा चुकी हैं. फरीदा की मां भी उसके जख्मों की नियमित देखभाल करती हैं. अब फरीदा अपनी बहन के साथ रहती हैं. उनका अपना कोई घर नहीं रहा.
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युगांडा से फ्लाविया
साल 2009 में फ्लाविया पर उसके घर के ही ठीक सामने एक अजनबी ने एसिड फेंक दिया. उसे आजतक नहीं पता कि वह हमलावर कौन था और उसने ऐसा क्यों किया. कई साल तक घर की चारदिवारी में छुप कर काटने के बाद उसने तय किया कि उसे अपनी जिंदगी आगे बढ़ानी ही होगी. यहां फ्लाविया एक साल्सा डांस नाइट में जाने के लिए तैयार होती दिख रही हैं.
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परिवार का सहारा
फ्लाविया हर हफ्ते कम से कम एक बार डांस के लिए जरूर जाती हैं. बेहतरीन डांस करने के कारण उन्हें सब पसंद भी करते हैं. अपने परिवार और दोस्तों से मिल रही मदद से फ्लाविया अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर ला पाई है.
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नई खूबसूरती
यहां जिस कमरे में निहारी मेकअप करती दिख रही है, यहीं उसने खुद को आग लगा ली थी. आज वह अपने उस कदम पर शर्मिंदा है और अब जली हुई महिलाओं को लेकर अपना एक संगठन चलाती है. निहारी के संगठन का नाम है 'ब्यूटी ऑफ दी बर्न्ड विमेन'.
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पाकिस्तान से नुसरत
नुसरत पर दो बार एसिड हमला हुआ. पहले पति ने और फिर परिवार के एक और शख्स के उस पर एसिड फेंक दिया. किस्मत से वह बच गईं. एक नए दिन का सामना करने के लिए तैयार होती हुई नुसरत.
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उम्मीद से भरी
एसिड के कारण नुसरत के सिर के कुछ हिस्सों से बाल खत्म हो गए. अपने डॉक्टर की सलाह से खुद को ठीक करने के तरीकों और अपनी हेयरस्टाइल पर राय लेती नुसरत.
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दोस्तों का साथ
नुसरत अपने जैसी दूसरी औरतों से मिल कर एक दूसरे की तकलीफें साझा करना बहुत जरूरी मानती है. एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन की बैठकों में नियमित रूप से जाकर हर किसी को तसल्ली मिलती है कि दुनिया में वह अकेली नहीं हैं.