नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाके में एक पीड़ित के सिर से खून बह रहा था. उसके पास एक भारतीय टीवी पत्रकार पहुंचा और सवाल किया, "आपको कैसा लग रहा है?"
एक और वाकया तब सामने आया जब राहत सामग्री के बंटवारे के दौरान मारपीट होने लगी. एक भारतीय टीवी चैनल का एक कैमरा इस मारपीट को दर्ज करता रहा. पत्रकार के सामने महिला की पिटाई होती रही. उसके सिर से खून बहने लगा. कैमरा इसे रिकॉर्ड करता रहा, ताकि एक्सक्लूसिव स्टोरी हो जाए. बाद में इस घटना को दिखाते वक्त महिला के आस पास लाल घेरा बन जाए. स्टूडियो में न्यूज प्रजेंटर चीख चीखकर कहने लगे कि ये तस्वीरें आप सिर्फ इसी चैनल पर देखेंगे.
नेपाल से सुरक्षित स्वदेश लौटे भारतीय भी भारत के टीवी चैनलों की कवरेज से आहत हैं. दुनिया और नेपाल में हर कोई इस बात से सहमत है कि ऐसी भीषण प्राकृतिक आपदा की घड़ी में भारत ने बड़ी तेजी और कुशल तरीके से काठमांडू की मदद की. लेकिन क्या भारतीय मीडिया जिम्मेदारी से काम करने में चूक गया? सोशल मीडिया पर फिलहाल #GoHomeIndianMedia नाम का हैशटैग चर्चा में है, इसका मतलब है, "भारतीय मीडिया वापस जाओ." ट्वीट के जरिए एक नेपाली नागरिक ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वो भारतीय मीडिया को वापस बुलाएं.
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर ने ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें एक भारतीय पत्रकार नेपाल के सुरक्षाकर्मियों से उलझते दिख रहे हैं. ट्वीट के मुताबिक, सुरक्षाकर्मी ने कहा, "अपना पहचान पत्र दिखाओ." इसके जवाब में भारतीय पत्रकार ने कहा, "हमें रोकने वाला तू कौन है?"
शोएब से जब इस तस्वीर की विश्वसनीयता पूछी गई तो एक और यूजर ने लिखा कि यह सच्ची घटना है जो पोखरा में हुई. खबर में सनसनी और मसाला ढूंढने की आदत, कुछ टीवी पत्रकारों के लिए पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसी साबित हुई. वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता के मुताबिक, "देशभक्त चैनल यह भूल गए कि नेपाल भारतीय राज्य नहीं है."
(Oops, see what's trending in Nepal, #GoHomeIndianMedia Anger at "patriotic" channels forgetting Nep not Indian state)
हर देश में विदेशी प्रेस के लिए खास कानून होते हैं. भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा होने का यह मतलब नहीं है कि नेपाल में भारतीय प्रेस मनमुताबिक काम करेगी. सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर हर देश को यह अधिकार है कि वह विदेशी प्रेस को एक सीमा में रखे. ऐसी आपदाओं के समय आम तौर पर ऐसी बातें नहीं सोची जाती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नियमों का उल्लंघन किया जाए.
ओएसजे/आरआर
नेपाल में आए भयानक भूकंप में हजारों लोग मारे गए हैं और कई हजार घायल हैं. हिमालय में स्थित देश की सांस्कृतिक धरोहरों को भी भूकंप ने काफी नुकसान पहुंचाया है.
तस्वीर: P. Mathema/AFP/Getty Imagesभूकंप ने नेपाल के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र को व्यापक नुकसान पहुंचाया है. काठमांडू घाटी में कुछ ही किलोमीटर के अंदर यूनेस्को की सात विश्व धरोहर हैं. स्वयंभुनाथ मठ का यह चित्र भूकंप से पहले लिया गया था.
तस्वीर: Imagoस्वयंभुनाथ मठ और बौद्ध स्तूप नेपाल के आध्यात्मिक केंद्र के प्रतीक हैं. बोधनाथ का स्तूप और तीन शाही शहरों के दरबार चौकों के अलावा पशुपतिनाथ और चंगु नारायण मंदिर भी यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल हैं.
तस्वीर: picture alliance/Bildagentur-online/Tips Imagesभक्तपुर के दरबार चौक की भूकंप से पहले की तस्वीर. काठमांडू, पाटन और भक्तपुर के दरबार चौक पर स्थित महलों में शाही परिवार रहता था. 2007 में नेपाल ने राजशाही का अंत कर दिया और एक साल बाद गणतंत्र की घोषणा की.
तस्वीर: picture alliance / ZUMAPRESS/P. Gordonभक्तपुर, पाटन और काठमांडू के शाही शहरों में 12वीं से 18वीं सदी के कई मंदिर और मूर्तियां या तो नष्ट हो गईं या उन्हें भारी नुकसान हुआ. यूनेस्को अभी सूचना जुटाने में लगा है लेकिन उसे गंभीर नुकसान की आशंका है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Shresthaराजधानी काठमांडू के दरबार चौक इलाके में नेपाली वास्तुकला का प्रदर्शन करने वाले दो या तीन मंजिल के पगोडा वाले कई मंदिर थे. नेपाल के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों में यह इलाका बहुत ही लोकप्रिय था.
तस्वीर: P. Mathema/AFP/Getty Imagesभूकंप ने पगोडा वाले मंदिरों को नष्ट कर दिया. मद्रास यूनिवर्सिटी के पीडी बालाजी को इसमें संदेह ही है कि ये मंदिर अपने पुराने रूप में कभी बनाए जा सकेंगे, "यह नेपाल और बाकी दुनया के लिए अपूर्णीय क्षति है."
तस्वीर: P. Mathema/AFP/Getty Imagesकाठमांडू के दर्शनीय स्थलों में भूकंप से पहले तक 62 मीटर ऊंचा यह धरहरा टॉवर भी शामिल था. यह भी शनिवार को आए भूकंप के हमले को बर्दाश्त नहीं कर पाया और ताश के पत्ते की तरह ढहकर ढेर हो गया.
तस्वीर: imago200 घुमावदार सीढ़ियों वाली मीनार का फाउंडेशन के अलावा और कुछ नहीं बचा. 1934 के भूकंप में भी 1826 में बनी 12 मंजिलों वाली मीनार को नुकसान पहुंचा था, लेकिन बाद में उसकी मरम्मत कर दी गई.
तस्वीर: P. Mathema/AFP/Getty Imagesनेपाल के चार कलात्मक मंदिरों और तीन महलों को यूनेस्को ने 2006 में सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया था. ये हिमालय में बसे इस देश के गहरे धार्मिक और राजनीतिक इतिहास के गवाह हैं.
तस्वीर: imagoपांचवी सदी में बना पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल में अपनी तरह का अकेला है और नेपाल तथा बारत के हिंदुओं में अत्यंत लोकप्रिय है. हिंदू व बौद्ध धर्म ने सैकड़ों सालों में नेपाल में अपनी जड़ें गहरी की है.
तस्वीर: picture alliance/ANN/The Starकाठमांडू घाटी के अलावा नेपाल में तीन और विश्व सांस्कृतिक धरोहर हैं. लुम्बिनी, चितवन नेशनल पार्क और सगरमाथा नेशनल पार्क. यूनेस्को पता लगा रहा है कि बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी की क्या हालत है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/K. Knightकाठमांडू से 80 किलोमीटर दूर पशिचमोत्तर में आए भूकंप का केंद्र 2 किलोमीटर नीचे था. इसकी वजह से ज्यादा नुकसान हुआ. 2.8 करोड़ की आबादी वाला देश मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है.
तस्वीर: Reuters/N. Chitrakar