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भारतीय मूल के मेयर पर दीवाना भारतीय मीडिया

१५ सितम्बर २०१५

अशोक आलेक्सांडर श्रीधरन की जर्मनी की पू्र्व राजधानी बॉन में जीत पर भारत में खासा उत्साह दिखा. श्रीधरन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के हैं.

तस्वीर: DW/B. Frommann

भारत का शायद ही कोई मीडिया हाउस होगा जिसे श्रीधरन की जीत की खबर ना छापी हो. उनके नाम के आगे "भारतवंशी" और "भारतीय" लगाना कोई नहीं भूला. लेकिन अशोक और श्रीधरन के बीच "आलेक्सांडर" लिखना लगभग हर कोई भूल गया.

बॉन के नए मेयर अशोक आलेक्सांडर श्रीधरनतस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg

प्रवासी मूल के एक व्यक्ति के चुने जाने को ऐतिहासिक है. लेकिन जितनी कवरेज रही, दरअसल जीत उतनी बड़ी भी नहीं है. यह सच है कि बॉन जर्मनी की पूर्व राजधानी है. लेकिन महज तीन लाख की आबादी वाला बॉन एक बेहद छोटा शहर है. यहां सीडीयू की जीत और आप्रवासी का मेयर बनना दोनों नया है. पर जर्मन लोग इस पर कुछ इस तरह से तंज कस रहे हैं..

जर्मन में किए इस मजाकिया ट्वीट में लिखा गया है कि कोई व्यक्ति सीडीयू के एक "बड़े शहर" में जीत हासिल करने पर बहुत खुश हुआ, लेकिन जब उसे शहर का नाम पता चला, तो उसने अपने शब्द वापस ले लिए. ना ही बॉन कोई बड़ा शहर है और ना ही बर्लिन की तरह कोई सिटी स्टेट, जिसे एक राज्य जैसे अधिकार प्राप्त हों.

लेकिन पहली बार किसी भारतीय मूल के व्यक्ति के चुने जाने की खबर भारतीय मीडिया में छाई रही.

जब बर्लिन को जर्मनी की राजधानी बनाने का निर्णय हुआ तब बर्लिन/बॉन कानून 1991 के अनुसार दोनों शहरों के बीच कुछ मंत्रालयों का बंटवारा हुआ. जैसे कि 9 मंत्रालय बर्लिन में और 6 मंत्रालय बॉन में रखे गए. संसद के बर्लिन चले जाने से बॉन का महत्व पहले जैसा नहीं रह गया. श्रीधरन बॉन की एहमियत बढ़ाने की ओर काम करना चाहते हैं. 21 अक्टूबर को मेयर का पद संभालने के बाद वे बॉन को राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक स्तर पर और मजबूत अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के प्रयास करेंगे.

चुनाव अभियान के दौरान श्रीधरन को सोशल मीडिया पर कुछ जेनोफोबिक संदेश भी मिले. ऐसे एक संदेश में किसी ने टिप्पणी की: "पूरी जर्मन आबादी में अब भी केवल 25 फीसदी प्रवासी ही हैं. बॉन सीडीयू ने कोई जर्मन उम्मीदवार क्यों नहीं चुना?" श्रीधरन ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्होंने ऐसे संदेशों को गंभीरता से नहीं लिया, "मैंने उन्हें नजरअंदाज कर दिया. मैंने इस पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी."

कुछ नगरपालिकाओं में मेयर पद के लिए उम्मीदवार मिलने में भी दिक्कत हुई. उहादरण के लिए कोलोन के पूर्व में स्थित वीह्ल शहर में उम्मीदवार की तलाश में ऑनलाइन विज्ञापन जारी किए गए थे. जर्मनी के सबसे घनी आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के स्थानीय चुनावों में शरणार्थी समस्या का भी साया रहा.

ऋतिका राय/ईशा भाटिया

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