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भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव

१९ जुलाई २०१२

भारत में राष्ट्रपति चुनाव की औपचारिकता होने वाली है, जिसमें यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी की जीत पक्की है. उनके खिलाफ पूर्व लोकसभा स्पीकर पीए संगमा मैदान में हैं, जिन्हें बीजेपी का समर्थन हासिल है.

तस्वीर: Reuters

दो दिन पहले तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी से समर्थन मिलने के बाद प्रणब मुखर्जी की जीत पक्की हो चुकी है. चुनाव की रस्म अदायगी 19 जुलाई को होगी. इसमें 776 सांसदों और 4120 विधायकों सहित कुल 4,896 लोग मतदान करेंगे. वोटों का कुल मूल्य 10.98 लाख है और जीतने वाले उम्मीदवार को कम से कम 5,49,442 वोट पाने हैं. यूपीए के चुनाव अधिकारियों का दावा है कि प्रणब मुखर्जी को साढ़े सात लाख से ज्यादा वोट हासिल होंगे.

वोटों की गिनती का काम रविवार को होगा और समझा जाता है कि उसी दिन शाम तक नतीजे का एलान कर दिया जाएगा. इस साल का राष्ट्रपति चुनाव बेहद गहमा गहमी के बीच हो रहा है. यूपीए की घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने पहले प्रणब मुखर्जी के नाम का विरोध किया लेकिन दो दिन पहले कहा कि वह भारी मन के साथ मुखर्जी के नाम का समर्थन करती है.

संगमा दे रहे हैं प्रणब मुखर्जी को टक्करतस्वीर: picture-alliance/dpa

यूपीए के अलावा समाजवादी पार्टी, बीएसपी, आरजेडी, जेडीएस, जेडीयू, शिव सेना और सीपीएम भी मुखर्जी के नाम का समर्थन कर रही हैं. समझा जाता है कि सीपीआई, आरएसपी, टीडीपी और टीआरएस वोटिंग में हिस्सा नहीं लेंगी. इनके पास कुल मिला कर 36,000 वोट हैं. करीब 32,000 वोट ऐसी छोटी पार्टियों के पास हैं, जिनका कोई सांसद संसद में नहीं है, लेकिन राज्य विधानसभाओं में उनके नुमाइंदे हैं.

इस चुनाव में हिस्सा लेने के लिए एनसीपी के संस्थापक सदस्य पीए संगमा ने पार्टी छोड़ दी है. उनके साथ बीजेपी के अलावा अकाली दल और अन्नाद्रमुक हैं. लेकिन वोटों का समीकरण देखते हुए संगमा इस मुकाबले में कहीं नहीं टिकते दिख रहे हैं. उन्हें ज्यादा से ज्यादा साढ़े तीन लाख वोट मिल सकते हैं.

चुनाव से पहले यूपीए की घटक पार्टियां अपनी एकता दिखाने के लिए एक साथ खड़ी दिखीं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोपहर के खाने का भोज दिया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस सहित सभी सहयोगी पार्टियों के नेता शामिल हुए. तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राज्यसभा सांसद केडी सिंह और सुखेंदु शेखर राय को इस भोज में भेजा.

संगमा इस बाता को मानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने आखिरी वक्त में प्रणब मुखर्जी का साथ देने का फैसला किया है, जिससे उनकी संभावना कम हुई है. हालांकि वह आखिर तक हार नहीं मानने को तैयार हैं. उनका कहना है कि 22 जुलाई तक इंतजार करना चाहिए.

एजेए/एमजे (पीटीआई)

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