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भारतीय रेस का फॉर्मूला बिगड़ा

३१ जुलाई २०१३

कयासों और बयानों के बाद आखिरकार तय हो गया कि भारत में अगले साल फॉर्मूला वन रेस नहीं होगी. जहां फॉर्मूला वन इसकी राजनीति वजह बता रहा है, वहीं भारतीय आयोजक तारीख की समस्या.

तस्वीर: AFP/Getty Images

फॉर्मूला वन के कर्ता धर्ता बर्नी एकलस्टन ने पिछले हफ्ते हंगरी ग्रां प्री के दौरान ही कह दिया था कि राजनीतिक हालात को ध्यान में रखते हुए वह नई जगहों की तलाश कर रहे हैं, जिसमें अमेरिका और रूस भी शामिल है. बाद में यह तय कर दिया गया कि 2014 का भारतीय ग्रां प्री नहीं होगा. हालांकि भारतीय आयोजकों का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं कि भारत में आगे रेस ही नहीं होगी.

नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर रेस कराने वाली कंपनी जेपी के प्रवक्ता असकर जैदी का कहना है कि 2014 में अक्तूबर की तारीखों को लेकर समस्या हो रही थी, जिसकी वजह से यह रेस अब 2015 में हो सकती है. उनका कहना है कि रूस में पहली बार फॉर्मूला वन रेस करानी है और इसकी जगह निकालनी होगी, "यह तारीखों से जुड़ा मामला है, जिसे पूरी तरह ठीक होने में समय लगेगा. नई जगहें आ रही हैं और सब कुछ साल के उसी हिस्से में आ रहा है."

फेटल ने जीती दोनों रेसेंतस्वीर: Reuters

जैदी का कहना है कि जेपी ग्रुप को फॉर्मूला वन के बॉस बर्नी एकलस्टन ने इस बात की जानकारी दे दी है कि अगले कैलेंडर साल में रेस में बदलाव होने वाले हैं, "हमें मार्च 2014 में रेस कराने का प्रस्ताव मिला लेकिन हमने कहा कि इतनी जल्दी जल्दी हम दो रेस नहीं करा सकते हैं. इसके बाद हमने विकल्प दिया कि क्यों न हम अगले साल मार्च में रेस करा लें." भारत में 2011 में पहली रेस हुई और इस साल अक्तूबर में तीसरी फॉर्मूला वन रेस होनी है. पहली दो रेस जर्मनी के रेड बुल ड्राइवर सेबास्टियन फेटल ने जीती है.

जैदी का कहना है, "दरअसल हमें शुरू से ही (2011) मार्च की तारीख दी गई थी लेकिन हमने अक्तूबर तक का समय मांगा था. उस समय वे मान गए थे लेकिन अब वे तारीख बदलना चाहते हैं."

अब 2014 में भारत में रेस नहीं होना और एकलस्टन का "राजनीति" वाला बयान कई तरह के कयास पैदा कर रहा है. भारतीय सरकार ने टीमों और ड्राइवरों पर रेस के दौरान टैक्स लगाने का फैसला किया था, जिसके बाद एकलस्टन से जब पूछा गया कि क्या भारत में रेस होगी, तो उन्होंने कहा था, "शायद नहीं." उनसे जब इसकी वजह पूछी गई, तो उन्होंने कहा, "बहुत राजनीतिक."

जैदी इस बात से इनकार करते हैं, पर इस बात को मानते हैं कि ज्यादा टैक्स एक मुद्दा तो है, "टैक्स का मामला है, जिसे हम हल करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यह ऐसा नहीं कि इसकी वजह से रेस ही न हो."

हालांकि एकलस्टन ने भी 2015 में रेस को पक्का कर दिया है. भारत के एक अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, "इंडिया का सर्किट लाजवाब है. हमें इस बात का दुख है कि हम 2014 में वहां रेस नहीं करा पाएंगे. लेकिन अब हम इस बात पर राजी हो गए हैं कि रेस 2015 में होगी." भारतीय आयोजकों के साथ फॉर्मूला वन ने शुरू में पांच साल तक रेस का करार किया है और अब 2014 में रेस नहीं होने के बाद हो सकता है कि 2016 में भी भारत में फॉर्मूला वन रेस हो.

फॉर्मूला वन चाहता है कि अगले साल रूस के सोची, अमेरिका के न्यू जर्सी और ऑस्ट्रिया के श्पीलबर्ग में भी रेसें हों. वह चाहता है कुल 23 रेसें की जाएं, जबकि टीमें ज्यादा से ज्यादा 20 रेसों में हिस्सा लेना चाहती हैं. आम तौर पर अगले साल की रेस का कैलेंडर सितंबर में तैयार किया जाता है.

एजेए/एनआर (एएफपी, एपी)

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