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पूर्वोत्तर सीमा पर भारत की चिंता की वजह बनता चीन

प्रभाकर मणि तिवारी
१९ जनवरी २०२१

एक नवंबर 2020 को सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के भीतर एक नया गांव बसा लिया है.

फाइल फोटो तस्वीर: Mukhtar Khan/AP/picture alliance

चीन की निगाहें लंबे अरसे से पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पर रही हैं. वह अकसर उस सीमावर्ती इलाके में कभी ब्रिज तो कभी रेलवे लाइन और बांध बनाता रहा है. अब ताजा मामले में सेटेलाइट तस्वीरों से यह बात सामने आई है कि उसने सीमा पर एक नया गांव बसा लिया है. महज एक साल के भीतर. उस गांव के भारतीय सीमा में होने का दावा किया जा रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह इस मामले पर नजदीकी निगाह रखते हुए जरूरी कदम उठा रहा है.

तस्वीरों के विश्लेषण के बाद विशेषज्ञों ने कहा है कि उक्त गांव भारतीय सीमा में करीब साढ़े चार किलोमीटर भीतर बसाया गया है. इस नई जानकारी ने खासकर पूर्वोत्तर सीमा पर भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं. उस गांव के अरुणाचल के अपर सुबनसिरी जिले में त्सारी नदी के किनारे होने का दावा किया गया है. वह इलाका लंबे अरसे से भारत और चीन के बीच विवादित रहा है और वहां कई बार दोनों देशों की सेना के बीच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं.

विशेषज्ञों ने 26 अगस्त 2019 को ली गई सेटेलाइट तस्वीरों से ताजा तस्वीर के मिलान के बाद कहा है कि उक्त गांव एक साल के भीतर बसाया गया है. गांव में 101 घर हैं. अरुणाचल के बीजेपी सांसद तापीर गाओ ने पहले ही अपर सुबनसिरी में चीन की गतिविधियां तेज होने पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को इसकी जानकारी दी थी. गाओ कहते हैं, "चीन ने इलाके में एक हाइवे का निर्माण किया है. चीन ने अपर सुबनसिरी जिले में भारतीय इलाके में करीब 70 किलोमीटर तक अतिक्रमण कर लिया है. अब नया गांव बसाना भारत के लिए बेहद चिंता की बात है. इससे सीमा सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी."

विदेश मंत्रालय का बयान

इसबीच, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीमावर्ती इलाकों में चीनी गतिविधियों पर नजदीकी निगाह रखी जा रही है. चीन बीते कुछ बरसों से खासकर पूर्वोत्तर सीमा पर तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. इनमें सड़क, ब्रिज, बांध और रेलवे लाइन शामिल हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि भारत भी सीमावर्ती इलाके में बुनियादी ढांचा मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है. उन इलाकों में सड़कों के अलावा ब्रिज बनाए गए हैं. सरकार का कहना है कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. चीन की ओर से भारतीय सीमा में गांव बसाने की पुष्टि के बाद इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी.

वैसे, चीन पहले भी सीमावर्ती इलाकों में सक्रियता दिखाता रहा है. लेकिन बीते साल बलवान घाटी में विवाद के बाद उसने खासकर पूर्वोत्तर सीमा पर अपनी गतिविधियां काफी तेज कर दी हैं. उसने बीते साल के आखिर में चीन सरकार की ओर से अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने के फैसले ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

भारत ने चीन से भी अपनी चिंता जाहिर की है. चीन पहले ही तिब्बत में 11 हजार 130 करोड़ रुपये की लागत से एक पनबिजली केंद्र बना चुका है. 2015 में बना यह चीन का सबसे बड़ा बांध है. चाइना सोसाइटी फॉर हाइड्रोपावर की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन यान झियोंग ने कहा था, "यह बांध अब तक का सबसे बड़ा होगा. यह चीन के पनबिजली उद्योग के लिए भी ऐतिहासिक मौका होगा."

ब्रह्मपुत्र नदी पर ब्रिज

इस बड़े बांध की तैयारी ने भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ा दी है. दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के पानी का इस्तेमाल करते हैं. भारत ने चीन को अपनी चिंताओं से साफ अवगत करा दिया है. हालांकि चीन ने इन चिंताओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह दोनों देशों के हितों का ध्यान रखेगा.

अब अपनी नई रणनीति के तहत वह इलाके में एक नई रेलवे परियोजना पूरा करने की तैयारी में है. इससे अरुणाचल प्रदेश सीमा तक उसकी पहुंच काफी आसान हो जाएगी. चीन की यह परियोजना भारत के लिए खतरे की घंटी बन सकती है. चीन ने हाल में ही सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक रेलवे ब्रिज का काम पूरा कर लिया है.

अरुणाचल में सियांग कही जाने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 525 मीटर लंबा यह ब्रिज नियंत्रण रेखा से महज 30 किलोमीटर दूर है. यह ब्रिज दरअसल 435 किलोमीटर लंबी ल्हासा-निंग्ची (लिंझी) रेलवे परियोजना का हिस्सा है. सामरिक और रणनीतिक रूप से सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन का निर्माण काफी अहम है. यह रेलवे लाइन दक्षिण-पश्चिमी प्रांत सिचुआन की राजधानी चेंग्डू से शुरू होकर तिब्बत के लिंझी तक जाएगी. लिंझी अरुणाचल प्रदेश की सीमा से एकदम करीब है.

इस परियोजना के पूरा होने के बाद चेंग्डू और ल्हासा के बीच की दूरी तय करने में मौजूदा 48 घंटे की जगह महज 13 घंटे का ही समय लगेगा. इस परियोजना पर 47.8 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च होने का अनुमान है. यह तिब्बत इलाके में चीन की दूसरी अहम रेलवे परियोजना है.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ जीके हजरिका कहते हैं, भारत पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति के तहत चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाकों में लंबे अरसे से निर्माण कार्य किया जा रहा है. हाल में उसने अरुणाचल के पांच युवकों का भी अपहरण कर लिया था. वह कहते हैं कि दुर्गम इलाके का फायदा हटा कर चीनी गतिविधयां लगातार तेज हो रही हैं. इसलिए भारत को भी जवाबी रणनीति बना कर ठोस कार्रवाई करनी होगी.

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