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भारत अमेरिका आतंकवाद पर हुए थे आमने सामने

२५ मार्च २०११

भारतीय अखबार द हिंदू ने विकीलीक्स के हवाले से कहा है कि जमात उद दावा को प्रतिबंधित करने के सिलसिले में भारत ने जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अपनी अर्जी दी, तो अमेरिका को इससे आपत्ति हुई.

तस्वीर: AP

विकीलीक्स के मुताबिक अमेरिका इस बात से परेशान था कि भारत की इस कोशिश से आतंकवाद पर खुद अमेरिकी सूची को सुरक्षा परिषद पारित नहीं करेगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति ने 11 दिसंबर 2008 में जमात उद दावा को आतंकवादी संगठन घोषित किया. साथ ही संगठन के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद, जकी उर रहमान लकवी और दो और सदस्यों, मोहम्मद अशरफ और मोहम्मद अहमद बहाजिक को आतंकवादी घोषित किया. यूएन की इस समिति का नाम अल कायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति भी है. भारत ने जमात के खिलाफ 10 दिसंबर को अर्जी दी थी.

जकी उर रहमानतस्वीर: AP

हालांकि अमेरिका ने भारत की इस अर्जी का साथ दिया लेकिन 10 दिसंबर को नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने एक केबल भेजा जिसमें साफ साफ कहा गया है कि अमेरिका भारत की अर्जी से खुश नहीं था, खास कर इस बात से कि भारत ने अमेरिका से पहले यह कदम उठाया. नई दिल्ली दूतावास में राजनीतिक सलाहकार टेड ओसियस ने केबल संदेश में लिखा कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव टीसीए राघवन से मुलाकात की और उन्होंने राघवन से कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जमात उद दावा को प्रतिबंधित करने के लिए भारत की अर्जी से अमेरिका निराश है." साथ ही उन्होंने राघवन को बताया कि अमेरिका अपने एक और महत्वाकांक्षी सूची को सुरक्षा परिषद से पारित कराना चाहता था और भारत की अर्जी के बाद अमेरिका का काम मुश्किल हो जाएगा. हालांकि केबल में महत्वाकांक्षी सूची के नामों की कोई जानकारी नहीं है.

ओसियस ने अपने केबल में लिखा कि राघवन ने अमेरिका की चिंताओं को खारिज किया और कहा कि भारत और अमेरिका की सूचियां और प्रतिबंध के सुझाव एक दूसरे से हटकर नहीं हैं. ओसियस के मुताबिक राघवन ने उनसे कहा कि भारत अपनी जनता को बताना चाहता है कि मुंबई हमलों के बाद कार्रवाई में वह गंभीर है और साथ ही इससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा. राघवन ने ओसियस को यह भी बताया कि अगर चीन और पाकिस्तान भारत का सहयोग करने को तैयार हैं तो इससे आतंकवादी संगठन को प्रतिबंधित करने में आसानी होगी.

इससे पहले अमेरिका ने 2006 और 2008 में मुंबई हमलों से पहले जमात उद दावा को प्रतिबंधित करने के सुझाव दिए थे लेकिन इन्हें खारिज कर दिया गया. चीन ने दोनों बार संगठन और उसके सदस्यों की आतंकवादी साजिशों को लेकर और सबूत मांगे थे. मुंबई हमलों के बाद ही मामले को लेकर चीन को मनाया जा सका. अमेरिका और चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है.

रिपोर्टः मानसी गोपालकृष्णन

संपादनः ए जमाल

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