भारत, अमेरिका के लोग यूक्रेन युद्ध में उतरे तो क्या होगा
१४ मार्च २०२२
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कई देशों के हजारों लोग यूक्रेन की रक्षा के लिए मदद करने और लड़ने जाना चाहते हैं. इनमें से कई देशों के कानून इसकी अनुमति नहीं देते. अगर ये लोग सचमुच लड़ने पहुंच गए तो क्या होगा?
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कनाडा, जॉर्जिया, भारत, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका उन देशों में शामिल हैं जहां के आम लोग यूक्रेन की मदद के लिए युद्ध में अपनी मर्जी से जाना चाहते हैं. इस बारे में कई समाचार एजेंसियों ने खबर दी है. इन देशों के कानून का इस बारे में क्या कहना है?
अमेरिका
अमेरिका के नागरिक किसी और देश की सेना में अगर नौकरी करें तो इस पर कोई पाबंदी नहीं है. अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर इसका जिक्र है. अगर कोई अमेरिकी नागरिक किसी ऐसे देश के खिलाफ युद्ध में शामिल होता है जिसके साथ अमेरिका के रिश्ते शांतिपूर्ण हैं तो वह नागरिक अपनी मर्जी से अमेरिकी नागरिकता छोड़ सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों से यह साफ है कि सिर्फ विदेशी सेना में नौकरी के आधार पर किसी अमेरिकी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती.1794 में अमेरिका ने न्यूट्रलिटी एक्ट नाम से एक कानून बनाया था. यह कानून अमेरिकी नागरिकों को ऐसे देशों के खिलाफ युद्ध करने से रोकता है जिनके अमेरिका के साथ शांतिपूर्ण संबंध हैं. इसके लिए अमेरिकी नागरिक को तीन साल की कैद भी हो सकती है.
यह कानून रूस के खिलाफ युद्ध में स्वेच्छा से शामिल होने वाले लोगों पर तकनीकी रूप से लागू किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल 2014 में गांबिया में तख्तापलट की कोशिश करने वाले अमेरिकी लोगों के खिलाफ किया गया था. इस मौके के अलावा आधुनिक इतिहास में इस कानून का इस्तेमाल शायद ही कभी हुआ हो. वॉशिंगटन में अमेरिकन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड मैलेट का कहना है, "घरेलू आतंकवाद के लिंक गायब हैं, मेरे लिए यह कल्पना मुश्किल है कि अमेरिकी लोगों के यूक्रेन जाने के लिए उन पर मुकदमा चलेगा."
ब्रिटेन
ब्रिटेन की विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक यूक्रेन जा कर लड़ने वाले वॉलंटियर के वापस लौटने पर उन्हें अभियोग का सामना करना पड़ सकता है. ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्हें क्या सजा मिल सकती है.
ब्रिटेन के फॉरेन एलिस्टमेंट एक्ट को 1870 में संशोधित किया गया था. यह कानून नागरिकों को ब्रिटेन के साथ शांति से रहने वाले देशों के खिलाफ युद्ध करने से रोकता है. हालांकि यह कानून आधुनिक दौर में हुई लड़ाइयों में अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने शुरुआत में तो यूक्रेन में जा कर लड़ने वाले वॉलंटियरों के साथ समर्थन जताया लेकिन बाद में वहां जाने वालों को साफ चेतावनी दी. ऐसी खबरें आई हैं कि ब्रिटेन की सेना के कुछ लोग जो फिलहाल छुट्टी पर हैं, हो सकता है वे यूक्रेन में हों. हालांकि इन खबरों की पुष्टि नहीं हुई है.
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन ने देश के नागरिकों से आग्रह किया है कि वो यूक्रेन में चल रहे युद्ध में शामिल ना हों. पिछले महीने उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि 'विदेश नागरिक योद्धा' के रुप में शामिल होने वाले नागरिकों को लेकर कानून तौर पर कुछ "अनिश्चित स्थितियां" हैं.
युद्ध के बीच यूक्रेन में ऐसी है जिंदगी
यूक्रेन में हो रही तबाही से जुड़ी सैकड़ों तस्वीरें बाहर आ रही हैं. खंडहर, जो कुछ दिनों पहले तक घर थे. जहां कल बाजार थे, वहां कंक्रीट का मलबा भरा है...ये सब तो फिर भी निर्जीव हैं. लाखों इंसान शरणार्थी बन गए हैं.
तस्वीर: Alexandros Avramidis/REUTERS
बर्बादी के दस्तावेज
8 मार्च को ली गई इस तस्वीर में खारकीव की एक क्षतिग्रस्त इमारत दिख रही है. सामने जहां मलबा पड़ा है, उसे गौर से देखिए. कुछ दिनों पहले तक यहां बच्चों के खेलने का मैदान था. उन दिनों की निशानी उस हरे-पीले झूले में खोजिए, जिसपर कुछ रोज पहले तक बच्चे मजे से फिसलते होंगे. अब उसी यूक्रेन के 10 लाख बच्चे शरणार्थी हो गए हैं.
तस्वीर: Sergey Bobok/AFP/Getty Images
आत्मरक्षा
रूस से जंग में नागरिक भी साथ हैं. 4 मार्च को पश्चिमी कीव में मोलोतोव कॉकटेल बना रही एक महिला. चेकपोस्ट बनाना, खंदक खोदना, टायर जमा करके उनपर किताबों के ढेर रखना, ताकि जरूरत पड़ने पर रूसी सैनिकों को चकमा देने के लिए उसे जलाकर काला धुआं पैदा किया जा सके...कीव की घेराबंदी कर रहे रूसी सैन्य काफिले से मुकाबले के लिए राजधानी में नागरिक बड़े स्तर पर तैयारियां कर रहे हैं.
तस्वीर: Lafargue Raphael/ABACA/picture alliance
मिलकर लड़ेंगे
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर नागरिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से मदद मांग रहे हैं. आपने युद्ध पर बनी पीरियड फिल्में देखी हैं? जब सेनापति युद्ध में आगे रहता है, तो सेना का हौसला बना रहता है.
तस्वीर: Instagram/@zelenskiy_official/via REUTERS
ऑल फॉर वन
नागरिकों को युद्ध लड़ने की इमरजेंसी ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि रूसी सेना से लड़ने के लिए लोगों की कमी ना हो. यह तस्वीर राजधानी कीव के पश्चिम में बसे जेटोमेयर की है.
तस्वीर: Viacheslav Ratynskyi/REUTERS
चोट लगी है, टूटे नहीं हैं
9 मार्च को मारियोपोल के एक मैटरनिटी अस्पताल पर हमला हुआ. तस्वीर में एक महिला क्षतिग्रस्त इमारत के बाहर अपना सामान लिए खड़ी है. 12 दिनों से रूस ने इस शहर की घेराबंदी की हुई है. गोलीबारी में अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा आम लोग मारे गए हैं. मारियोपोल काउंसिल ने अपने बयान में कहा है कि वे अपने शहर में मानवता के खिलाफ किए जा रहे अपराध को ना कभी भूलेंगे और ना इसके लिए रूस को कभी माफ करेंगे.
यह तस्वीर यूक्रेन के ओडेसा की है. 27 साल के विक्टर अनातोलेविच अपनी तीन बरस की बेटी को गोद में थामे अंडरग्राउंड शेल्टर में जा रहे हैं. जब बमबारी के लिए रूसी विमान आ रहे होते हैं, जब कोई मिसाइल दागी जा रही होती है, तो हमले का संकेत देने के लिए सायरन बजता है. लोग फौरन शेल्टरों की ओर भागते हैं. घंटों वहां दुबके रहना पड़ता है.
तस्वीर: Alexandros Avramidis/REUTERS
शरणागत
4 मार्च की इस तस्वीर में कीव सेंट्रल स्टेशन पर बचाव ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते लोग दिख रहे हैं. 24 फरवरी से अब तक करीब 25 लाख लोग शरणार्थी बन चुके हैं.
तस्वीर: Dimitar Dilkoff/AFP/Getty Images
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भारत
भारत के गृह मंत्रालय ने यूक्रेन जा कर युद्ध में शामिल होने वाले नागरिकों के बारे में प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. 2015 में भारतीय नागरिकों के इराक जा कर युद्ध करने के मामले में मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि भारतीय लोगों को दूसरे देशों के संघर्ष में शामिल होने की अनुमति देने से , "यह आरोप लगेंगे कि भारत सरकार दूसरे देशों में आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है."
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क्या किसी देश ने नागरिकों को जाने की मंजूरी दी है?
जर्मनी ने कहा है कि वह यूक्रेन जा कर लड़ने वाले वॉलंटियरों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाएगा. हालांकि पिछले दिनों संघीय पुलिस ने कहा था कि वह ऐसे चरमपंथियों पर नजर रख रही है जो यूक्रेन जा सकते हैं. पुलिस ने कहा था कि ऐसे वॉलंटियरों को रोका भी जा सकता है. इसके बाद यह भी खबर आई थी कि जो कुछ लोग गए, वो वापस आ गए हैं. इनकी संख्या बहुत कम बताई जा रही है.
डेनमार्क और लातविया ने कहा है कि वो अपने नागरिकों के स्वेच्छा से जाने पर रोक नहीं लगाएंगे. कनाडा की रक्षा मंत्री अनिता आनंद ने भी कहा है कि कोई कनाडाई नागरिक अगर स्वच्छा से जाना चाहता है तो यह "उसका अपना फैसला है."
यूक्रेन के लिए हथियार उठाने वाले स्पोर्ट्स स्टार
यूक्रेन के कई जानेमाने खिलाड़ी सेना में भर्ती हो गए हैं. इनमें से कोई वर्ल्ड चैंपियन है तो कोई रिटायर होकर कोच बन चुका है. देखिए, कौन-कौन है इस फेहरिस्त में...
तस्वीर: imago sportfotodienst
दमित्रो पिडरूचनी (बायाथलॉन)
2022 के बीजिंग ओलंपिक से लौटकर दमित्रो पिडरूचिनो नैशनल गार्ड में भर्ती हो गए हैं. 30 साल के दमित्रो पूर्व यूरोपीय बायथलीट चैंपियन हैं और दो बार ओलंपिक खेल चुके हैं.
तस्वीर: YUTAKA/AFLOSPORT/imago images
विटाली क्लिश्को (बॉक्सर)
यूक्रेन के सबसे मशहूर खिलाड़ियों में से एक विटाली वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियन मुक्केबाज हैं. वह 2014 से कीव के मेयर हैं. 50 साल के विटाली ने कहा है कि वह अपनी मातृभूमि के लिए हथियार उठाने को तैयार हैं.
तस्वीर: FABIAN BIMMER/REUTERS
व्लादिमीर क्लिश्को (बॉक्सर)
विटाली के भाई व्लादिमीर क्लिश्को 1996 में ओलंपिक में गोल्ड जीत चुके हैं. पेशेवर मुक्केबाजी में भी उनकी खूब धाक रही है. 2016 में संन्यास लेने वाले 45 साल के व्लादिमीर अब यूक्रेन की सेना में भर्ती हो गए हैं.
तस्वीर: Efrem Lukatsky/AP Photo/picture alliance
सर्गेय स्टाचोवस्की (टेनिस)
पूर्व टेनिस खिलाड़ी स्टाचोवस्की ने 2013 में विंबलडन ओपन के दूसरे दौर में रॉजर फेडरर को हराकर तहलका मचा दिया था. तब उनकी विश्व रैंकिंग 116 थी. अब 35 साल के हो चुके स्टाचोवस्की ने सेना में भर्ती होकर हथियार उठा लिए हैं.
तस्वीर: JB Autissier/PanoramiC/imago images
ओलेक्सांद्र उसिक (बॉक्सर)
उसिक पेशेवर हेवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन हैं. 2012 के ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले उसिक ने अपने देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, “मैं गोली नहीं चलाना चाहता. मैं किसी की हत्या नहीं करना चाहता. लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है.”
तस्वीर: Pavlo Bagmut/Ukrinform/imago images
ओले लुजनी (फुटबॉल)
इस सदी की शुरुआत में प्रीमियर लीग और एफए कप जैसी प्रतिष्ठित प्रतियोगितों में खेल चुके ओले लुजनी अब 53 वर्ष के हैं. सेना में भर्ती होते वक्त उन्होंने कहा, “हालात भयानक हैं. मैं कोच के रूप में ब्रिटेन जाना चाहता हूं लेकिन बाकी सबसे पहले मैं अपने लोगों के लिए, अपने देश और लोकतंत्र के लिए मजबूती से खड़ा होना चाहता हूं.”
तस्वीर: Chris Lobina/Getty Images
वासिली लोमाचेंको (बॉक्सिंग)
यूक्रेन के महानतम मुक्केबाजों में से एक माने जाने वाले लोमाचेंको ने दिसंबर में ही अपना एक मैच खेला था जिसमें उन्होंने रिचर्ड कॉमी को हराया था. 34 साल के लोमाचेंको अब सेना में भर्ती हो गए हैं.
तस्वीर: Sarah Stier/Getty Images
यूरी वेर्नीदूब (फुटबॉल)
वेर्नीदूब एक फुटबॉल कोच हैं. उन्होंने मोल्डोवा के क्लब शेरिफ तिरासपोल को कोच किया है जो रियाल मैड्रिड को हरा चुकी है. 56 साल के यूरी खुद भी बेहतरीन मिडफील्डर रह चुके हैं. रूस के क्लब जेनित सेंट पीटर्सबर्ग के लिए खेल चुके यूरी अब बंदूक उठा रहे हैं.
तस्वीर: Pavlo Bahmut/Ukrinform/imago images
यारोस्लाव अमोसोव (एमएमए)
मिक्स्ड मार्शल आर्ट खिलाड़ी अमोसोव वेल्टरवेट चैंपियन हैं. 28 साल के अमोसोव को मई में माइकल पेज के खिलाफ मैच खेलना है. लेकिन उससे पहले वह अपने देश के लिए लड़ना चाहते हैं और सेना में भर्ती हो गए हैं.
तस्वीर: imago sportfotodienst
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विदेशी लड़ाके पकड़े गए तो क्या होगा?
इस्राएल के लाउडर स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, डिप्लोमेसी एंड स्ट्रैटजी के प्रोफेसर डाफ्ने रिचमंड बराक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, रूसी सेना को विदेशी लड़ाकों के साथ युद्धबंदियों वाला व्यवहार करना होगा चाहे उनकी नागरिकता कहीं की हो. इसका मतलब है कि रूसी सैनिकों को पकड़े गए वालंटियरों को खाना, पानी और इलाज की सुविधा देनी होगी.
हालांकि रूसी रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने पिछले हफ्ते कहा था कि यूक्रेन में लड़ने वाले पश्चिमी देशों के लड़ाकों के साथ कानूनी योद्धाओं वाला व्यवहार नहीं किया जाएगा और उन पर आपराधिक मुकदमा चलेगा या फिर उससे बुरा भी हो सकता है.
क्या वॉलंटियरों पर मुकदमा चल सकता है?
वॉलंटियर यूक्रेन की सेना के सदस्य के रूप में लड़ाई में शामिल होंगे ऐसे में उनके अपने देश में उन पर मुकदमा चले इसकी आशंका कम है. हालांकि अगर युद्ध अपराध या इस तरह की किसी गतिविधि में वो शामिल होते हैं तो बात अलग होगी और तब उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है.
यूक्रेन की तरफ से युद्ध में शामिल होने के लिए दुनिया भर के करीब 20 हजार लोगों ने इच्छा जताई है. हालांकि इनमें से कितने लोग वास्तव में ऐसा कर पाए हैं या करने वाले हैं, इसकी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी अब तक नहीं मिली है. दूसरी तरफ रूस का भी कहना है कि सीरिया और मध्यपूर्व के कुछ देशों के लड़ाके यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस की तरफ से लड़ने के लिए तैयार हैं. रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर ने उन्हें इसमें शामिल करने को मंजूरी भी दे दी है. सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने वाले कुछ स्थानीय गुट इस युद्ध में शामिल हो सकते हैं.
एनआर/आरएस (रॉयटर्स)
यूक्रेन के लिए लड़ने पहुंच रहे विदेशी लड़ाके
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के हमले के बाद ही विदेशी लड़ाकों से यूक्रेनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की सार्वजनिक अपील की थी. अब कई लड़ाके और वॉलिंटियर यूक्रेन पहुंच रहे हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
हर मोर्चे पर यूक्रेन के साथ
राष्ट्रपति जेलेंस्की की अपील के बाद अब तक यूक्रेन में 16 हजार से अधिक वॉलंटियर पहुंच चुके हैं. कुछ युद्ध लड़ने के लिए पहुंचे हैं तो माइकेल फेर्कोल जैसे लोग रोम से पढ़ाई छोड़ कर यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्र लवीव में नर्स के रूप में सेवा देना चाहते हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
बिना उकसावे वाली लड़ाई का जवाब
यूक्रेन पहुंचने वाले कुछ विदेशी लड़ाकों का कहना है कि वे बिना कारण वाले हमले को रोकने के लिए आकर्षित हुए हैं. वे कहते हैं कि यह लड़ाई लोकतंत्र और तानाशाही के बीच है. उनमें से कई ऐसे लड़ाके हैं जो इराक और अफगानिस्तान में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
संघर्ष में साथ
ब्रिटेन से आया यह युवक अपना नाम नहीं बताना चाहता है. वह अन्य लोगों के साथ पूर्वी यूक्रेन की ओर जाना चाहता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 20 विदेशी लड़ाकों या इसमें शामिल अन्य लोगों का इंटरव्यू लिया. उनका कहना है कि यूक्रेन संघर्ष कर रहा है और वे उसके साथ हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
अनुभवहीन भी कूदे मैदान में
युद्ध लड़ने वाले कई दिग्गज सैनिकों के अलावा यूक्रेन ऐसे भी लोग पहुंच रहे हैं जिनके पास युद्ध का कम या बिलकुल भी अनुभव नहीं है. इस तरह के युद्ध में अनुभवहीन लोग बहुत कम ही योगदान का मौका पा सकते हैं.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
ट्रेनिंग भी जरूरी
लवीव में एक वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारी ने बताया कि विदेशी लड़ाकों को प्रशिक्षित करने और तैनात करने की प्रणाली अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया आने वाले दिनों में और आसान हो जाएगी.
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
सोशल मीडिया से अभियान
कुछ दिग्गज सैनिक सोशल मीडिया मंच फेसबुक और व्हॉट्सऐप समूहों के जरिए बंदूक, बॉडी आर्मर और नाइट-विजन गॉगल्स के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं. वे इन समूहों के जरिए यूक्रेनी लोगों को आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग देंगे. एए/सीके (रॉयटर्स)