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भारत ईरान तेल संकट हल, अमेरिका अब भी नाराज

१३ अगस्त २०११

भारत और ईरान के बीच तेल की कीमतों के भुगतान को लेकर चल रही समस्या हल हो गई है. भारतीय कंपनियों ने पहली किश्त जमा करा दी है. लेकिन अमेरिका नए हालात में भी खुश नहीं है.

तस्वीर: UNI

भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि तेल कीमतों की अदायगी की दिक्कत सुलझा ली गई है. उन्होंने बताया कि भारतीय कंपनियां ईरान से लगभग चार लाख बैरल रोजाना के हिसाब से तेल ले रही थीं जिसका उधार बढ़ते बढ़ते लगभग पांच अरब डॉलर तक पहुंच गया था.

मुखर्जी ने बताया कि भारत और ईरान ने मिलजुल इस मुश्किल का हल निकाल लिया है. सालभर पहले अमेरिकी दबाव के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने दोनों देशों के बीच जारी भुगतान की पुरानी व्यवस्था को खत्म कर दिया था. इस वजह से भारत ईरान को तेल का भुगतान नहीं कर पा रहा था. लेकिन अब दोनों देश नई व्यवस्था पर राजी हो गए हैं.

तस्वीर: AP

अमेरिका नाखुश

नई भुगतान व्यवस्था के तहत ईरान को पैसा देने के लिए भारत तुर्की के सरकारी बैंक हाल्कबैंक का इस्तेमाल करेगा. हालांकि इस नई व्यवस्था पर भी अमेरिका खुश नहीं है. अमेरिकी वित्त मंत्रालय की प्रवक्ता मार्टी एडम्स ने कहा, "इस नई व्यवस्था पर अमेरिकी वित्त मंत्रालय से मशवरा नहीं किया गया लिहाजा हमने अपनी राय भी नहीं दी." एडम्स ने यह नहीं बताया कि भारत और ईरान के बीच हुए इस समझौते पर अमेरिका अपनी राय जाहिर करेगा या नहीं.

चीन के बाद भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है. उसकी कुल तेल जरूरतों का लगभग 12 फीसदी ईरान से ही पूरा होता है. अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम का विरोधी है. उसका कहना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम का इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए कर सकता है. इसलिए वह दबाव बनाने के लिए उसे पूरी दुनिया से अलग थलग कर देना चाहता है. हालांकि ईरान से तेल खरीदने पर किसी तरह का अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं है. लेकिन अमेरिका ने ईरान के 21 बैंकों के साथ लेन देन पर पाबंदी लगा रखी है. इसलिए बाकी देशों के लिए भी ईरान से लेनदेन मुश्किल हो गया है.

तस्वीर: AP

क्या है हल

भारत के सामने यही मुश्किल आन खड़ी हुई कि पैसा कैसे दिया जाए क्योंकि रिजर्व बैंक ने पुरानी व्यवस्था को बंद कर दिया. इसकी वजह अमेरिकी दबाव ही थी. इसलिए भारत को तेल की कीमत चुकाने के लिए नई व्यवस्था को खोजना पड़ा. इस साल के ज्यादातर हिस्से में ईरान ने भारत को उधार पर ही तेल दिया है. इस बीच बातचीत जारी रही. लेकिन पिछले महीने उसने एलान कर दिया कि जब तक पुराना भुगतान नहीं किया जाता, वह अगस्त से भारत को तेल भेजना बंद कर देगा. अब उम्मीद की जा रही है कि हाल्कबैंक के जरिए भुगतान समस्या का ऐसा हल होगा जो लंबे समय तक चलेगा.

भारतीय तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने शुक्रवार को बताया कि उसने पहली किश्त के तौर पर 15 करोड़ डॉलर चुका दिए हैं. 4.5 करोड़ की अगली किश्त मंगलवार को दे दी जाएगी. कंपनी के मुताबिक ईरान का 1.01 अरब डॉलर का कर्ज अगले महीने तक चुकता कर दिया जाएगा.

कंपनी को उम्मीद है कि सितंबर महीने से देश में ईरान से तेल आना शुरू हो जाएगा. अगस्त में एचपीसीएल के अलावा एस्सार और बीपीसीएल ने सऊदी अरब से 10 लाख बैरल तेल लेकर कमी पूरा करने की कोशिश की.

अमेरिका राजी होगा क्या

वित्त मंत्री मुखर्जी ने समझौते का एलान तो किया लेकिन दोनों देशों के बीच समझौते की शर्तें जाहिर नहीं की. देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के वित्त प्रमुख पी.के. गोयल ने बताया कि भारतीय कंपनियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में एक खाता खोला है. इस खाते के जरिए हाल्कबैंक को यूरो में भुगतान किया जाएगा. हाल्कबैंक उस पैसे को नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी के खाते में डाल देगा. गोयल ने बताया कि कंपनी इस व्यवस्था के जरिए ईरान को 7.3 करोड़ यूरो अदा कर चुकी है.

लेकिन अमेरिका ने तुर्की के बैंकों को चेतावनी दे दी है कि ईरान के प्रतिबंधित बैंकों से किसी भी तरह का लेनदेन न करें. अमेरिका ने कहा है कि अगर तुर्की के कुछ बैंक ईरान से लेनदेन जारी रखते हैं तो उन्हें अमेरिकी वित्त व्यवस्था से बाहर कर दिया जाएगा. इनमें तुर्की का बैंक मेलाट शामिल है. लेकिन अन्य किसी बैंक का नाम नहीं लिया गया.

इस पूरे संकट के दौरान अमेरिका भारत को प्रतिबंधित बैंकों के साथ लेनदेन न करने की चेतावनी तो देता रहा है लेकिन उसने हल निकालने में कोई मदद नहीं की. भारत और ईरान ने इससे पहले जर्मनी के हैम्बर्ग में यूरोपीय ईरानी हांडेल्सबैंक (ईआईएच) के जरिए पैसे के लेनदेन की व्यवस्था बनाई थी. लेकिन अमेरिका ने इस बैंक पर भी पाबंदी लगा दी.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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