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भारत ऐसी कार्रवाई के बारे में सोचे भी नः पाकिस्तान

५ मई २०११

पाकिस्तान ने भारत को खबरदार किया है कि वह पाकिस्तान में अमेरिका जैसी कार्रवाई के बारे में न सोचे, वरना भयंकर तबाही होगी. अल कायदा मुखिया ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सैन्य यूनिट ने पाकिस्तान शहर में जाकर मारा.

Pakistani Foreign Secretary Salman Bashir, waves to media as he arrives for talks Thursday with his Indian counterpart Nirupama Rao at the Indira Gandhi International airport, in New Delhi, India, Wednesday, Feb. 24, 2010. Thursday's talks are seen as the first step toward the resumption of a peace process that was put on hold after terror attacks that left 166 dead in Mumbai in 2008. (AP Photo/Manish Swarup)
पाकिस्तानी विदेश सचिव बशीरतस्वीर: AP

अमेरिकी सैन्य यूनिट ने सोमवार को पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में बिन लादेन को मार गिराया. अमेरिका को दस साल से आतंकी सरगना की तलाश थी. इस कार्रवाई के बाद भारतीय सेना प्रमुख ने कहा कि उनका देश भी ऐसा अभियान अंजाम देने में सक्षम है. इसके जवाब में पाकिस्तान विदेश सचिव सलमान बशीर ने कहा, "हम भी अपने क्षेत्र में काफी डींगें सुन रहे हैं. कुछ वरिष्ठ लोगों की तरफ से, सेना की तरफ से और वायु सेना की तरफ से बयान सामने आए हैं जो कहते हैं कि ऐसा फिर हो सकता है. हम महसूस करते हैं कि इस तरह के दुस्साहस का नतीजा खतरनाक तबाही होगा."

'कोई साठगांठ नहीं'

बिन लादेन की मौत के बाद से ही पाकिस्तान कई तरह के आरोपों से घिरा है. पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है कि अल कायदा से उसकी कोई साठगांठ है. सीआईए ने कहा कि एबटाबाद में बिन लादेन पर हुई कार्रवाई से पहले अगर पाकिस्तान को जानकारी दी जाती तो आंतकी सरगना भाग सकता था.

पाकिस्तानी विदेश सचिव सलमान बशीर कहते हैं, "यह कहना आसान है कि इंटर-सर्विस इंटेलीजेंस (आईएसआई) और पाकिस्तानी सरकार के किसी तत्व की अल कायदा से मिलीभगत है. लेकिन यह पूरी तरह गलत आरोप है. यह किसी भी तरह से सही नहीं हो सकता." बिन लादेन की मौत के बाद गुरुवार को पाकिस्तान के किसी बड़े अधिकारी की यह पहली प्रेस कांफ्रेस थी.

सीआईए के प्रमुख लियोन पनेटा का कहना है कि उन्होंने पाकिस्तान को बिन लादेन पर हुई कार्रवाई के बारे में इसीलिए पहले से जानकारी नहीं दी क्योंकि उन्हें डर था कि आतंकी सरगना को खबरदार किया जा सकता था और वह हाथ ने निकल सकता था. बशीर ने व्हाइट हाउस के इस बयान पर सीधे सीधे कुछ नहीं कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पास जरूरत पड़ने पर फिर पाकिस्तान में कार्रवाई करने का अधिकार है. लेकिन उन्होंने कहा कि इस बारे में बहुत सारे सवाल हैं कि कैसे गोपनीय अभियान होते हैं. वह कहते हैं, "संप्रभुता और संप्रभुता का हनन और आतंकवाद से निपटने के तौर तरीके कुछ कानूनी और नैतिक सवाल उठाते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के दायरे में आते हैं."

बिन लादेन की मौत के खिलाफ पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शनतस्वीर: picture-alliance/dpa

लक्ष्मणरेखा जरूरी

पाकिस्तान में मुख्यधारा के संगठन जमात उद दावा ने शुक्रवार को बिन लादेन की मौत के अमेरिकी कदम की निंदा के लिए विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है. पाकिस्तान सरकार अपने ताकतवर सहयोगी अमेरिका और अपने लोगों की भावनाओं के बीच एक रेखा की तलाश कर रहा है. पाकिस्तान सार्वजनिक तौर पर एबटाबाद अभियान को अनाधिकृत और एकतरफा बता कर इसकी आलोचना कर रहा है. पाकिस्तान में अमेरिका विरोधी भावनाएं वैसे ही प्रबल हैं इसीलिए आम लोग अमेरिकी अभियान से नाखुश हैं.

बशीर ने पाकिस्तान और अमेरिकी रिश्तों का भी बचाव किया और कहा कि मुश्किल संबंध और लचर खुफिया सहयोग के बारे में मीडिया रिपोर्टें सही नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि धारणा यह है कि पाकिस्तान-अमेरिकी रिश्ते तनाव के शिकार हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं मानते. पाकिस्तान अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को बहुत अहमियत देता है. दुर्भाग्य से मीडिया में ऐसी बात चलाई जा रही हैं, मैं आपसे यही कहता हूं कि ऐसा नहीं है. हम मिल कर इस हिस्से में और शायद पूरी दुनिया में बदलाव के लिए मिल कर काम करने को तैयार हैं. हमें किसी से कोई माफी नहीं मांगनी है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल

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