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भारत और चीन उभरेंगे प्रमुख महाशक्ति बनकर: अमेरिकी रिपोर्ट

२१ नवम्बर २००८

अमेरिका की खुफ़िया एजेंसियों का मानना है कि भारत अगले दो दशकों में बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के शिखर पर महाशक्ति बनकर उभरेगा.

भारत और चीन तेज़ी से आर्थिक विकास कर रहे हैंतस्वीर: AP

भारत और चीन, अगले दो दशकों में एक बहुध्रुवी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के शिखर पर उभरेंगे, जबकि उस दौरान अमेरिका का आर्थिक और राजनीतिक दमख़म कम हो जाएगा. अमेरिका की नैशनल इंटैलीजैंस काउन्सिल एनआईसी के ख़ुफ़िया एजैंसियों के अनुमानों पर आधारित एक विश्लेषण में, जिसमें 2025 में उभरने वाले विश्व की अनुमानित तस्वीर खींची गई है, कहा गया है कि दुनिया तब अधिक ख़तरनाक रूप ले चुकी होगी, जिसमें पानी और खाद्य पदार्थों का अभाव होगा और हथियारों की बहुतायत.

विशेषज्ञों के विश्वस्तर पर सर्वेक्षण और ख़ुफ़िया जानकारी के अमरीकी विश्लेषकों के निष्कर्षों पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वॉल स्ट्रीट का मौजूदा वित्तीय संकट, दुनिया में आर्थिक पुर्नसंतुलन की शुरुआत है. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी डॉलर की, विश्व की प्रमुख मुद्रा के रूप में भूमिका इस हद तक कमज़ोर हो जाएगी कि उसका स्थान, एक ही दर्जे की प्रमुख मुद्राओं में पहली मुद्रा भर का रह जाएगा.

तस्वीर: AP

जबकि भारत और चीन के, इस बहुध्रुवीय विश्व के शिखर पर, अमेरिका की प्रतिस्पर्धी शक्तियों के रूप में स्थान लेने की संभावना बताई गई है, रूस की भावी प्रभावशीलता कम निश्चित जान पड़ती है. ईरान, तुर्की और इंडोनेशिया भी अधिक सशक्त होकर उभर सकते हैं.

एनआईसी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती शक्तियों, अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण, धन-संपदा के पश्चिम से पूर्व में स्थानांतरण और देशों की सरकारों से अलग उभरते तत्वों के बढ़ते प्रभाव के कारण, 2025 तक दुनिया पहचान से लगभग बाहर हो चुकी होगी.

इन अनुमानों के अनुसार, अमेरिका हालांकि सबसे सशक्त देश बना रहेगा, अब की तुलना में उसकी ताक़त, यहां तक कि सैन्यशक्ति भी कम हो जाएगी और अपना प्रभाव इस्तेमाल करने की उसकी क्षमता में तनाव पैदा हो चुका होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रणनीतिक स्पर्धा, व्यापार, निवेस, तकनीकी नवीकरण और अर्जनशीलता को लेकर होगी, लेकिन 19वीं शताब्दी की तरह की हथियारों की होड़, क्षेत्रविस्तार और सैन्यशक्ति में प्रतिस्पर्धा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

तस्वीर: picture-alliance / dpa

एनआईसी के इस विश्लेषण के अनुसार 2025 तक ईंधन के रूप में तेल पर निर्भरता पूरी तरह समाप्त हो चुकी होगी.

निकट भविष्य में, खाद्य पदार्थों और पानी सहित संसाधनों की कमी झगड़ों और लड़ाइयों का कारण बन सकती है - और बेक़ाबू सरकारों और आतंकवादी संगठनों को परमाणु-हथियारों तक पहुंच हासिल हो सकती है, हालांकि अल क़ायदा का, संगठन के रूप में प्रभाव कम होता जाएगा.

यह रिपोर्ट, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा की आगामी सरकार के कार्यभार संभालने के समय को ध्यान में रखकर तैयार की गई है. ओबामा 20 जनवरी को पद की शपथ लेंगे.

गुलशन मधुर, वाशिंग्टन

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