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एक बार फिर भारत-चीन वार्ता बेनतीजा

२२ सितम्बर २०२०

लद्दाख में भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच छठे दौर की वार्ता 14 घंटे चली लेकिन दोनों कमांडरों में कोई सहमति नहीं बन पाई. पहली बार सैन्य बातचीत में भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी को भी शामिल किया गया था.

Indien Ladakh Militärflugzeug in Grenzregion zu China
तस्वीर: AFP/M.A. Archer

लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा पर चल रहे गतिरोध के समाधान ढूंढने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच हुई बातचीत एक बार फिर बेनतीजा रही. यह छठे दौर की वार्ता थी और इसका आयोजन लद्दाख के चुशुल में सीमा पर मुलाकात के स्थल मोल्डो पर हुआ था. मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि 14 घंटे लंबी वार्ता सोमवार रात 11 बजे तक चली लेकिन दोनों कमांडरों में कोई सहमति नहीं बन पाई.

कुछ खबरों में यह भी कहा गया है कि पहली बार इस तरह की सैन्य बातचीत में भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी को भी शामिल किया गया था. दोनों पक्षों के बीच कई हफ्तों से हो रही बातचीत दोनों सेनाओं के पूरी तरह से एक दूसरे के सामने से हट जाने पर केंद्रित है. पूर्वी लद्दाख में सीमा पर कई स्थानों पर दोनों सेनाओं ने भारी संख्या में सिपाही और सैन्य उपकरण तैनात किए हुए हैं. कहीं कहीं तो दोनों के बीच 500 मीटर से भी कम का फासला है.

जानकार बार बार कह रहे हैं कि यह एक खतरनाक स्थिति है जो सिर्फ एक गलतफहमी से भी कभी भी भड़क सकती है. जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगस्त में जब इसी इलाके में भारतीय सेना ने ऊंचाई पर स्थित कुछ स्थानों पर अपना नियंत्रण जमा लिया था, उसके बाद से स्थिति भारत के लिए कुछ हद तक लाभकारी हो गई थी और उम्मीद की जा रही थी कि इसके बाद बातचीत में भारत के पास अपनी मांगें सशक्त रूप से रखने का मौका होगा. हालांकि इसके बाद भी बातचीत के बेनतीजा रहने को अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है.

कुछ ही सप्ताह पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच भी रूस की राजधानी मॉस्को में बातचीत हुई थी और आपसी सहमति से गतिरोध का अंत करने पर सहमति हुई थी, लेकिन इसके बावजूद गतिरोध लगातार बना ही हुआ है. 

इसी बीच भारत ने वायु सेना में हाल ही में शामिल किए राफाल लड़ाकू विमानों को लद्दाख में उड़ान पर भेजा है. मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि राफाल विमानों को सीमावर्ती इलाकों को ठीक से समझ लेने के लिए वहां उड़ाया जा रहा है. इसे भारत की तरफ से चीन पर दबाव बनाने की एक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है. लेकिन इसका चीन पर क्या असर होगा, यह अभी कहा नहीं जा सकता.

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