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भारत और चीन लगा सकते हैं नैया पार

२ अक्टूबर २००९

भारत और चीन दुनिया को उसके मौजूदा आर्थिक संकट से उबार रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष आईएमएफ़ का यह कहना है. आईएमएफ का कहना है कि आर्थिक बेहतरी में भारत और चीन का योगदान महत्वपूर्ण है.

विश्व की आर्थिक संभावनाओं के विषय में अक्तूबर, २००९ की अपनी रिपोर्ट में आई एम एफ़ ने कहा है कि विशाल आर्थिक प्रोत्साहन की नीतियों के कारण इन देशों में घरेलू मांग बढ़ रही है और दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय उत्पादन के सिलसिले में तब्दीली आ रही है. परिणाम यह है कि एशिया के यह दो विशाल देश उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की अगुआई कर रहे हैं.

निर्यातों वाले देश मुश्किल में

आई एम एफ़ के अनुमान के अनुसार, इस वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की दर 5.4 प्रतिशत रहेगी. चीन की इस वर्ष की विकास दर 8.5 प्रतिशत आंकी गई है. 2010 में भारत की विकासदर 6.4 होने का अनुमान किया गया है, जबकि चीन में यह विकास 9 प्रतिशत की दर से होने का अंदाज़ा है.

भारत पर भरोसातस्वीर: AP

आई एम एफ़ की इस रिपोर्ट के अनुसार, इस मंदी में निर्यातों पर अधिक आधारित अर्थव्यवस्थाओं की गतिविधि में तेज़ी से गिरावट आई है. केवल भारत, चीन और इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्थाएं तेज़ मंदी की ज़द में आने से बच गई हैं. भारत के संदर्भ में इसका कारण उसके द्वारा उठाए गए आर्थिक प्रोत्साहन के क़दम तो हैं ही, साथ ही निर्यातों पर उसकी निस्बतन कम निर्भरता ने भी इस दिशा में सहायता की है. अनेक देशों में आर्थिक प्रोत्साहनों के क़दमों ने घरेलू मांग को बहुत अधिक गिरने से बचाया है, जबकि भारत और चीन में मांग में बढ़ोतरी हुई है.

चेतावनी भीतस्वीर: picture-alliance / dpa

आईएमएफ़ की चेतावनी

रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को, अपने विकास को निर्यातों की बजाए घरेलू मांग पर अधिक आधारित करने की ज़रूरत है. आई एम एफ़ ने आगाह किया है कि कुछ देशों में, विशेष रूप से चीन में, ऋणों में तेज़ बढ़ोतरी के कारण सीमा से अधिक निवेश, संपत्ति के मूल्यों में बहुत अधिक तेज़ी और ऋणों के स्तर में बिगाड़ आने का ख़तरा हो सकता है. विश्व अर्थव्य्ववस्था की कुल मिलाकर बात करें, तो आई एम एफ़ का कहना है कि उसके 2009 में 1.1 प्रतिशत की दर से सिकुड़ने के बाद 2010 में 3.1 प्रतिशत की दर से विकास होगा.

दूसरी छहमाही में बेहतरी

सुधर रहा है बाज़ारतस्वीर: AP

संस्था के अनुमानों के अनुसार, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मांग में तेज़ी आने के साथ-साथ आर्थिक विकास इस वर्ष के दूसरे आधे भाग में मज़बूत होगा, जो 2010 में मध्यम बहाली के लिए आधार मुहैया करेगा. लेकिन आई एम एफ़ ने आर्थिक प्रोत्साहन के क़दम समय से पूर्व समाप्त किए जाने के ख़िलाफ़ आगाह किया है. संस्था के मुख्य अर्थविशेषज्ञ ऑलिविएर ब्लैंचर्ड के शब्दों में, "हम इस समय पर वित्तीय प्रोत्साहन को कम नहीं कर सकते. हमें उसे बनाए रखने और लागू करने की ज़रूरत है. मेरे विचार में साथ ही मध्यमकालिक कार्यक्रमों को अधिक आकर्षक बनाने वाले क़दम लागू करने की आवश्यकता है - सेवानिवृत्ति और स्वास्थ्यसेवा जैसे कार्यक्रमों को." रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में, जर्मनी, फ़्रांस और जापान मंदी को पीछे छोड़ चुके हैं.

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी अमेरिका की 2010 के लिए विकासदर आई एम एफ़ ने 0.7 प्रतिशत से लेकर डेढ़ प्रतिशत तक आंकी है, जबकि 2009 में उसे 2.7 प्रतिशत की सिकुड़न के दौर से गुज़रना पड़ेगा.

रिपोर्टः गुलशन मधुर, वॉशिंगटन

संपादनः आभा मोंढे

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