भारत का लोकतंत्र
१४ जून २०१३पिछले सप्ताह प्रशंनोलॉजी में पूछे गए सवाल पर हमें ढेरों जवाब लेख, कविता, व्यंग्य और तस्वीर के जरिए मिले. जिनमें से बडा मुशिकल था हमारे लिए केवल दो विजेताओं को चुनना. दिलचस्प जवाबों को आप भी यहां पढ़े ...
विजेता हैः-
1.श्रवन कुमार गंढ़वीर, गांव-सॉवा जिला-बाड़मेर, राजस्थान
2.अर्चना राजपूत, लोधी नगर छर्रा, जिला अलीगढ, उत्तर प्रदेश
लोकतंत्र तो अब पैसे खर्च करके सत्ता पाने का खेल बन गया है. किसका नाम ले और किसका न ले, किस ने किस से क्या लिया क्या दिया लोकतंत्र तो सिर्फ इन सबका एक मेल बन गया है. जो अपने घरों से लोकतंत्र को बचाने निकलते हैं अब जेल ही उनका घर बन गया है. मेरा दिल तड़प उठता है अब यह सब देख देख कर कभी था लोकतंत्र आगाज, अब दूसरों को धोखा देने का अंदाज बन गया है.
सचिन सेठी, उत्तम तिलक श्रोता संघ, करनाल, हरियाणा
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'लोकतंत्र' की पहचान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत से ही है. दुनिया में अगर कोई लोकतंत्र का सच्चा प्रतिनिधि है तो वह भारत ही है. यहीं पूरे साल कहीं न कहीं चुनाव चलते रहते हैं. अगर नहीं तो घपले-घोटालों का दौर शुरू हो जाता है. फिर से लोकतंत्र की दुहाई दी जाने लगती है. भीड़ के इस तंत्र में लोकतंत्र का चौथा पाया (मीडिया और अखबार वाले) सर पटकने मेरा मतलब उठाने लगते हैं. लिंकन महोदय ने लोकतंत्र की चाहे जो भी परिभाषा दी हो, पर इसकी शब्दावली यहीं भारत में ही फल-फूल रही है. बच्चा-बच्चा जानता है कि लोकतंत्र मतलब चुनाव- बैनर-बिल्ले, झंडे-डंडे, पोस्टर-भाषण, दल बदलू, मध्यावधि चुनाव, राष्ट्रपति शासन और फिर चुनाव. यहां के नेताओं को राजनैतिक विज्ञान का ज्ञान हो ना हो, नेतागिरी आना जरूरी है. भारतीय उपमहाद्वीप में लोकतंत्र की बहारें देखकर ही शायद अरब में राग वासंती गूंजने लगा है. बुलंद भारत का बुलंद मंत्र - लोकतंत्र.
माधव शर्मा, राजकोट, गुजरात
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भारत एक अलग लोकतंत्र इस प्रकार से है - सिर्फ नाम का ही लोकतंत्र है, यहां राज करने वाले सब राजनेता है. यहां राजनेता कानून को अपनी जेब में लेकर घूमते हैं. लोकतंत्र कम लेकिन लोकतंत्र का दुरूपयोग ज्यादा. क्रिकेट मैचों में सबसे ज्यादा रूचि लेने वाला सिर्फ यही सबसे बड़ा लोकतंत्र, जिससे देश में क्या हो रहा है इसकी तरफ लोग कम ही ध्यान दे सके.
सविता जावले, पैरली वैजनाथ, महाराष्ट्र
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आज सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि देश का लोकतंत्र काले धन और झूठ से शुरू होता है. लोकतंत्र का पूरा ढांचा ठीक करने के लिए कुछ बुनियादी परिवर्तन - वर्तमान संसदीय प्रणाली में कुछ हमें संशोधनों के साथ बदलाव लाना होगा. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चुनाव सीधा जनता द्वारा होना चाहिए. पूरे चुनाव की व्यवस्था में धन का महत्व समाप्त किया जाना चाहिए. अनुपातिक चुनाव प्रणाली लागू की जाए. विश्व के कुछ देशो में यह प्रणाली सफलता पूर्वक काम कर रही है. चुनाव केवल पार्टियां लड़ें, उम्मेदवार नहीं और उनके चुनाव प्रचार का खर्च सरकार दे. आज हर वर्ष किसी ना किसी प्रदेश में चुनाव होता है. कानून द्वारा यह निश्चित कर दिया जाना चाहिए कि पूरे देश के सभी चुनाव पंचायत से लेकर संसद तक पांच वर्ष में एक समय पर केवल एक बार हों, जिससे सरकार के ही कई हज़ार करोड़ रुपये बचेंगे. आजकल भारत की लोकतंत्रता में सुधार लाना बहुत जरूरी है. राजनैतिक दलों को निहित स्वार्थों से ऊपर उठ कर देश और केवल देश के भविष्य का विचार करके पूरे लोकतंत्रता में एक पारदर्शिता और परिवर्तन लाने की हिम्मत करें.
मितुल कंसल, शाहाबाद मारकंडा, हरियाणा
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भारतीय लोकतंत्र में जनता को अपना सांसद चुनकर भेजने का अधिकार है. जनता के खिलाफ काम करने पर जनता अपने चुने सांसद विधायक को 5 साल के बाद हटा सकती है. ऐसे बहुत से कारण है जिससे पता चलता है भारत में सच्चा लोकतंत्र है.
सलमा बानो, रायबरेली, उत्तर प्रदेश
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भारतीय लोकतंत्र विश्व में सबसे बडा लोकतंत्र है और महज इत्तेफाक से 65 सालों तक मजबूती से चल भी नहीं सकता है. भारतीय संविधान में सभी जाति और धर्मों के विकास का आधार है. जनता द्वारा निश्पक्ष चुनाव में अपना प्रतिनिधि चुना जाता है.
मधु द्विवेदी सैदापुर, अमेठी, उत्तर प्रदेश
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भारत दुनिया का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश है तथा सबसे ज्यादा मतदाता इसी देश में हैं. भारतीय लोकतंत्र की अनेकों ऐसी विशेषताएं हैं जो अन्य देशों से अलग हैं- भारत में जिस शान्तिपूर्ण ढंग से आम चुनाव सम्पन्न हुए हैं,और भारत की अशिक्षित जनता ने अब तक जिस विवेक के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया है वह एक अनूठी मिसाल पेश करता है. भारत ने लोकतांत्रिक शासन में बडी प्रगति की है चाहे अरबों करोडो के घोटाले का मसला हो, गरीबी अमीरी की बीच चौडी खाई हो. 65 सालों में देश की जनता पीने के पानी के लिए तरस रही है और पानी की वोतल 15 रूपये की बिक रही है यह तरक्की नहीं तो क्या. दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है साथ ही एशिया की सबसे बडी झुग्गी बस्ती भी भारत में है, सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगार यदि किसी देश में हैं तो वह भारत. कुकुरमुत्तो की तरह राजनीतिक दलों का विकास सिर्फ भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की बडी देन है लेकिन यह कहना भी उचित होगा कि सतत जागरूकता ही लोकतंत्र का मूल्य है. मुझे यह पंक्तियां याद आती हैं - क्या थे क्या हो गये क्या होगे अभी, आओ विचारे बैठ कर आपसे में सभी.
अर्चना राजपूत, लोधी नगर छर्रा, जिला अलीगढ, उत्तर प्रदेश
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भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. परन्तु पिछले दो दशकों से इसका रूप काफी बदल गया है. आज के इंडिया में चुनावों में मध्यम वर्ग की भूमिका बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रही है. वे कभी कभार ही वोट देते हैं, राजनीति में उनकी आवाज न के बराबर होती है…. लेकिन 1991 के बाद मध्यम वर्ग से महत्वाकांक्षी युवा पीढ़ी धैर्य, संघर्ष, कडी मेहनत और एक सेल फ़ोन के माध्यम से उठी. इनको अपनी कड़ी मेहनत वाले जीवन और भ्रष्टाचार के माध्यम से ताकतवर हुए लोगों के बीच का विरोधाभास चिढ़ाता हुआ लगने लगा. राजनेताओं के परिवारों की मिली भगत ने हमारे लोकतंत्र को खोखला कर दिया है. लोकतंत्र के 65 सालों के बाद हम शिकायती बच्चे नहीं बन सकते. यह वक्त पोल खोल या हल्ला बोल का नहीं, संस्थाओं की दुरस्ती में गंभीर सहयोग और ईमानदार कर्मठता के बेझिझक सामाजिक सम्मान का है. भारत का लोकतंत्र लाल या भगवा क्रांति भले न लाया हो पर उसे लगातार कोसने वाले भी यह तो मानेंगे कि आज भी संसद में सरकार की कमियों का मुखर और कारगर विरोध संभव है, यही कारण है कि आजादी के बाद अब तक हमारे देश में मिलट्री राज की जरुरत महसूस नहीं हुई और आखिर में इस सन्दर्भ में मीडिया की सक्रिय भूमिका भी काबिले तारीफ है.
अशोक कंसल, शाहाबाद मारकंडा, हरियाणा
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भारतीय लोकतंत्र का एक अनूठा व रोचक हिस्सा है चुनाव प्रचार. यहां पर मुख्य मुद्दे कहीं सिसकते रहते है और कुछ इस प्रकार वोटरों को लुभाया जाता है, राजनेताओं की इस कलाकारी के चलते भारतीय लोकतन्त्र सबसे अनूठा व रोचक है.
डॉ दिनेश पाहवा, हिसार, हरियाणा
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इंडिया का लोकतंत्र अन्य देश के लोकतंत्र से इस तरह लग है… जब से भारत आजाद हुआ है तब से लोकतंत्र को वोटतंत्र मान लिया गया है. जिस नेता को अपनी सत्ता संभालनी है वह चुनाव के वक्त तो जनता का हमदर्द बनता है और जब चुनाव जीत जाता है तो जनता को पूछता भी नही. लोकतंत्र बनाने वालों ने तो एक ऐसे भारत की कामना करते हुए लोकतंत्र बनाया था जिसमें सभी लोगों की इच्छा से काम हो लेकिन देश की इस लोकतंत्र की प्रवृति ही बदल गई. इसलिए तो भूख, गरीबी, बेरोज़गारी, करप्शन से हमारा देश जूझ रहा है. दूसरे देशों में भी लोकतंत्र या प्रशासन पूरे तरीके से ठीक नहीं है लेकिन वे भारत से कई गुना अच्छे हैं. भारत का लोकतंत्र केवल बुराइयों में ही दूसरे देशों से अलग है. जब तक भारत के पोलिटिकल सिस्टम को ठीक नहीं करेंगे तब तक लोकतंत्र ठीक नहीं होगा.
अमित कुमार, नई दिल्ली
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आज कोहरा छाया है
बलिदानों की फसलों पर आज कोहरा छाया है.
घोटालोँ पर घोटाले कैसा रोग लगाया है.
जनता गूंगी बैठी शासन कितना बहरा है.
भूख,गरीबी,बेकारी,घाव बहुत ही गहरा है.
अस्मत लटती कलियोँ की रहे गर्म गोश्त रहे खाते
कोई कुछ ना बोल रहा बैठे रहते मौन यहां
सबके चेहरे एक जैसे अंगुली कौन उठायेगा
यहां सुशासन लाने को अपना कदम बढ़ायेगा
छुरियों वाले हाथों को क्यूं कर घाव दिखाया है
बलिदानों की फसलो पर आज कोहरा छाया हैं
श्रवन कुमार गंढ़वीर, गांव-सॉवा ज़िला-बाड़मेर, राजस्थान
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संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे