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"भारत की तरक़्की में आईटी का बड़ा हाथ"

सौजन्यः जयदीप कर्णिक, वेबदुनिया (ए कुमार)४ दिसम्बर २००९

हैदराबाद में चल रही वान वर्ल्ड एडिटर्स फ़ोरम में न सिर्फ़ मीडिया के सामने मौजूद चुनौतियां पर चर्चा हो रही है, बल्कि आधुनिक भारत को दिशा देने वाले लोगों की भी चर्चा है. इन्हीं में से एक हैं नारायण मूर्ति.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

भारत में आईटी के मसीहा के रूप में स्थापित नारायण मूर्ति ने बुधवार को हैदराबाद में दुनियाभर के प्रिंट मीडिया के संपादकों को अपने ज्ञान और दूरदृष्टि से खासा प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि इन्फ़ोसिस ने जो मॉडल अपने कामकाज के लिए अपनाया, आज दुनिया की कई बड़ी कंपनियां उसी मॉडल को अपना रही हैं. भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में जो तरक्की की है, सारी दुनिया भारत की तरफ देख रही है.

मूर्ति ने वान वर्ल्ड एडिटर्स फ़ोरम के लिए आए चुनिंदा संपादकों के समूह के साथ विशेष दोपहर भोज किया. इस भोज के दौरान मूर्ति ने अपनी वाक कला का भी परिचय दिया. उन्होंने मीडिया के सामने भारत की उजली तस्वीर पेश की. तमाम देशों से आए इन मीडियाकर्मियों में मूर्ति से मिलने और उनसे सवाल पूछने को लेकर जैसी उत्सुकता थी, उससे उनकी वैश्विक लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
मूर्ति ने कहा की भारत की वर्तमान तरक़्क़ी में आईटी का बहुत बड़ा योगदान है. पिछले पांच सालों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के बढ़ोतरी के प्रतिशत में 6 प्रतिशत योगदान आईटी का ही है. पिछले 10 सालों में देश में जो रोज़गार उपलब्ध हुआ है, उसका 40 प्रतिशत आईटी ने उपलब्ध कराया है. मूर्ति ने कहा की आईटी के क्षेत्र में भारत ने इंफ़ोसिस के माध्यम से दुनिया को नई दिशा दी.

तस्वीर: AP

भौगोलिक सीमाओं को तोड़ते हुए अलग-अलग देशों में उत्पाद उत्पाद इकाइयां बनाना, हर देश में उपलब्ध श्रेष्ठ संसाधन का उपयोग करना, विभिन्न देशों से काम करते हुए पूरे 24 घंटे अपने ग्राहक के लिए उपलब्ध रहना और ऐसे डेटा सेंटर बनाना जो कहीं से भी इस्तेमाल किए जा सकें, ये कुछ ऐसे प्रयोग थे जो हमारे लिए काफी कारगर साबित हुए. अब सारी दुनिया इन्हें अपना रही है.

मूर्ति ने कहा की भारत में आईटी की वजह से महिलाओं को बेहतर रोजगार और वेतन उपलब्ध हुआ है. इंफोसिस में ही इस वक्त 35 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत हैं. इस बारे में एक विदेशी पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में मूर्ति ने कहा कि भारत में समान काम के लिए महिला और पुरुष के पगार में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता.
एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सही है कि आज की पीढ़ी कम्प्यूटर पर कुछ ज्यादा ही समय बिताती है और फ़ेसबुक और ट्विटर से चिपकी रहती है, लेकिन उन्हें इसी से खुशी मिलती है. यह उनकी दुनिया है और ये ही उनके खुशी ढूंढने के साधन हैं. हमारी पीढ़ी के खुशी के साधन और मायने कुछ और हैं इसलिए हम उनको समझ नहीं पाते.

तस्वीर: AP

इसलिए पहनता हूं नीली शर्ट : हर बार की तरह दोपहर भोज में नारायण मूर्ति उतने ही सादगीपूर्ण नजर आए. हल्की नीली कमीज, हरी पतलून और सादा सा कोट. एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि आप हमेशा हल्के नीले रंग का शर्ट ही क्यों पहनते हैं? उन्होंने कहा- मनमोहनसिंह और मोंटेकसिंह अहलुवालिया भी तो हमेशा हल्की नीली पगड़ी ही पहनते हैं! मुझे भी यही ठीक लगता है.

नेहरू ने डाली नींव : मूर्ति ने कहा कि नेहरूजी की वजह से भारत में उच्च शिक्षा की बेहतर नींव पड़ी और हम उसमें काफ़ी आगे हैं, लेकिन हम प्राथमिक शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं दे पाए. उन्होंने सैम पित्रोदा को स्वप्नदृष्टा बताया और कहा कि आज की दूरसंचार की सुगमता उन्हीं की देन है.
मीडिया के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भविष्य में लोग मोबाइल से अधिकतर सूचनाएं प्राप्त करेंगे. अगर 6 गुना 8 इंच की स्क्रीन के साथ फोल्ड होने वाले मोबाइल बाजार में आ जाए और जिन पर वे सूचनाओं को आसानी से पढ़ सकें.

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