भारत में ड्रग्स की अब तक की सबसे बड़ी खेप पकड़ी गयी है. गुजरात पहुंचने जा रहे जहाज में करीब 35 अरब रुपये की हेरोइन छुपायी गयी थी.
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भारतीय तटरक्षक बल ने गुजरात के अलंग पहुंचने जा रहे एक मालवाहक जहाज से 1,500 किलोग्राम हिरोइन जब्त की है. देश में अब तक यह ड्रग्स की सबसे बड़ी रिकवरी है. भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता अभिषेक मतिमान के मुताबिक, "खुफिया एजेंसियों से सूचना मिलने के बाद तटरक्षक बल ने जहाज को इंटरसेप्ट किया. तटररक्षक बल के मुताबिक यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर देश में नारकोटिक्स जब्त किया गया है."
एमवी हेनरी नाम का जहाज पनामा की एक कंपनी का है. जहाज दुबई से गुजरात के तटीय शहर अलंग के शिपब्रेक्रिंग यार्ड के लिए निकला था. ड्रग्स की बरामदगी के बाद जहाज को पोरबंदर लाया गया है. चालक दल के आठ सदस्यों को हिरासत में लिया गया है. ये सभी भारतीय नागरिक बताये जा रहे हैं. कोस्ट गार्ड, पुलिस और अन्य एजेंसियों ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है.
15 क्विंटल हेरोइन की बाजार में कीमत 54.6 करोड़ डॉलर यानि करीब 35 अरब रुपये आंकी गयी है. भारत कई दशकों से ड्रग्स तस्करों का गढ़ रहा है. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, म्यांमार और नेपाल से हेरोइन, कोकेन और मॉर्फीन भारत के रास्ते दुनिया भर में सप्लाई की जाती है.
2016 में महाराष्ट्र में पुलिस ने 18.5 टन एफेड्रिन बरामद की थी. ब्लड प्रेशर को कम करने वाली इस दवा का इस्तेमाल नशे के लिए भी किया जा रहा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक हाल के सालों में भारत में ड्रग्स की बरामदगी लगातार बढ़ती जा रही है.
लेकिन इस बीच भारत के घरेलू बाजार में भी ड्रग्स की खपत चिंताजनक रूप से बढ़ी है. पंजाब के बाद अब देश के दूसरे राज्य भी ड्रग्स की चपेट में आने लगे हैं. हाल ही में उत्तराखंड के कुछ शहरों में बड़े पैमाने पर ड्रग्स के मामले सामने आये हैं. देहरादून और नैनीताल जैसे जिलों में कई युवा नशे की जद में हैं.
(नशीले पदार्थ पैदा करने वाले प्रमुख देश)
नशीले पदार्थ पैदा करने वाले प्रमुख देश
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनओडीसी के मुताबिक दुनिया भर में करीब 23.4 करोड़ लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं. हर साल ड्रग्स के कारण करीब 2 लाख लोग जान गंवा बैठते हैं.
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अफीम और हेरोइन उड़ाता अफगानिस्तान
अफगानिस्तान दुनिया भर में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है. यहां सालाना 5,000 से 6,000 टन अफीम पैदा होती है. अफगानिस्तान से नाटो सेनाओं की वापसी के बाद इसके उत्पादन का और विस्तार हुआ है. अमेरिका और एशिया, यहां की अफीम के सबसे बड़े बाजार हैं.
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कोलंबिया की कोकेन
कोलंबिया, बोलीविया और पेरु कोकेन के उत्पादन में दुनिया भर में सबसे आगे हैं. इन तीनों देशों में कोका की पत्तियों की खेती 1,35,000 एकड़ में होती है. यूएन की एंटी नार्कोटिक्स एजेंसी यूएनओडीसी के मुताबिक कोलंबिया में हर साल 300 से 400 टन कोकेन तैयार होती है. कोकेन के प्रमुख बाजार दक्षिण अमेरिका, उत्तर अमेरिका और यूरोप हैं.
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मोरक्को का गांजा
हर साल मोरक्को में 1500 टन चरस और गांजा तैयार होता है. मोरक्को में करीब 1,34,000 हेक्टेयर में गांजे के खेत हैं. अमेरिका के कुछ राज्यों और मेक्सिको में चिकित्सकीय मैरिजुआना को कानूनी दर्जा मिल जाने के बाद से इसकी खेती में वृद्धि हुई है.
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म्यांमार में हेरोइन
दक्षिण पूर्वी एशिया में गोल्डन ट्राएंगल ऑफ म्यांमार, लाओस और कंबोडिया, अफीम और हेरोइन बनाने में आगे हैं. यहां सालाना 1000 टन अफीम तैयार होती है. यहां से इसे थाइलैंड और इंडोनेशिया समेत अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में सप्लाई किया जाता है.
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अमेरिका और मेक्सिको से क्रिस्टल मेथ
यूएनओडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कृत्रिम ड्रग क्रिस्टल मेथ का इस्तेमाल नाटकीय रूप से बढ़ा है. यह ठीक ठीक नहीं पता कि इसके सबसे बड़े निर्माता देश कौन हैं. इसे घरेलू लैब में बनाना आसान है. जानकारी के मुताबिक साल 2014 में अमेरिकी पुलिस ने ऐसी 12,000 लेबों पर छापे मारे. 2014 में दुनिया भर से पकड़ी गई 144 टन क्रिस्टल मेथ में से 80 फीसदी अमेरिका और मेक्सिको में पकड़ी गई.