पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई में हजारों लोगों ने भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया है. इमरान खान का कहना है कि पाकिस्तान आखिरी सांस तक कश्मीर के साथ खड़ा रहेगा.
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30 अगस्त की दोपहर में पूरे पाकिस्तान में सायरन बजाया गया. फिर पाकिस्तान का राष्ट्रगान और कश्मीर का गीत सुनाई पड़ने लगा. रैली के समर्थन में देश भर में कुछ देर के लिए ट्रैफिक भी पूरी तरह थम गया.
राजधानी इस्लामाबाद में हजारों लोग कॉस्टिट्यूशन एवेन्यू के सामने जमा हुए. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी वहां मौजूद थे. खान ने एक बार फिर कश्मीर को लेकर राष्ट्र को संबोधित किया. इमरान खान ने एलान किया कि ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक कश्मीर "आजाद" नहीं हो जाता.
इमरान खान ने कहा, "हम अपनी आखिरी सांस तक कश्मीर के साथ खड़े हैं." भारत ने 5 अगस्त 2019 को अपने नियंत्रण वाले कश्मीर के विशेषाधिकार खत्म कर दिए. तब से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हर दूसरे तीसरे दिन राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. उनके हर संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना होती है. 30 अगस्त को भी इमरान खान ने मोदी और उनके प्रशासन की तुलना नाजी जर्मनी से की.
कश्मीर मुद्दे की चर्चा इमरान खान सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी करेंगे. न्यूयॉर्क में होने वाली महासभा से पहले पाकिस्तान में हर हफ्ते कश्मीर मुद्दे पर ऐसी ही रैलियां निकाली जाएंगी.
कश्मीर मुद्दे की पूरी रामकहानी
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
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2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
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2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
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2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
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2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे पर तनाव लगातार बढ़ रहा है. दोनों पक्षों की तरफ से लगातार युद्ध की तैयारियों जैसे बयान आ रहे हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री बार बार कह रहे हैं कि अगर परमाणु युद्ध हुआ तो उसकी आंच पूरी दुनिया तक फैलेगी. पाकिस्तान यह भी कह रहा है कि अक्टूबर के अंत तक दोनों पड़ोसियों के बीच युद्ध हो सकता है.
भारत और पाकिस्तान अगस्त 1947 में आजाद हुए. और तब से दोनों पड़ोसियों के बीच कश्मीर को लेकर विवाद चल रहा है. कश्मीर के खातिर दोनों देश अब तक दो बड़े युद्ध भी लड़ चुके हैं. पाकिस्तान की तरफ हो रही बयानबाजी के बीच भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि जरूरत पड़ी तो भारत पहले परमाणु हमला न करने की नीति को त्याग सकता है.
पाकिस्तान की तरफ से हो रही ऐसी बयानबाजी के बाद 29 अगस्त को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पहली बार टिप्पणी करते हुए कहा, "जिहाद और हिंसा भड़काने वाले ये बेहद गैरजिम्मेदाराना बयान हैं. पाकिस्तान को सामान्य पड़ोसी की तरह व्यवहार करना चाहिए. "
फरवरी 2019 में भी भारतीय कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों पर हुए आत्मघाती हमले के बाद युद्ध जैसे हालात बन गए थे. हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में दाखिल होकर बमबारी की. इसके जवाब में पाकिस्तानी वायुसेना भी भारत में घुसी. इसी दौरान भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तानी फाइटर जेटों का पीछा करते हुए पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में दाखिल हो गए. हवाई मुठभेड़ में अभिनंदन का मिग-21 क्रैश हो गया और विंग कमांडर को पाकिस्तान ने पकड़ लिया.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दोस्ती और अमन का पैगाम देते हुए अभिनंदन को भारत को वापस सौंपने का एलान किया. वहीं भारत के रक्षा जानकारों के मुताबिक नई दिल्ली के भारी दबाव के बीच पाकिस्तान को ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा.
पुलवामा की तल्खी अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि कश्मीर केंद्र बिंदु बन गया. बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान की सेना ने एलान किया है कि उसने जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट की है. पाकिस्तानी सेना के मुताबिक, मिसाइल "कई तरह के हथियार ढोने में सक्षम है."
देश का संविधान किसी राज्य को विशेष नहीं कहता लेकिन इसके बावजूद कई राज्यों को "विशेष दर्जा" प्राप्त है. वहीं कई राज्य अकसर यह मांग करते नजर आते हैं कि उन्हें यह दर्जा मिले. लेकिन क्या होता है राज्यों का "विशेष दर्जा."
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क्या है राज्यों का "विशेष दर्जा"
संविधान में किसी राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने जैसा कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन विकास पायदान पर हर राज्य की स्थिति अलग रही है जिसके चलते पांचवें वित्त आयोग ने साल 1969 में सबसे पहले "स्पेशल कैटेगिरी स्टेटस" की सिफारिश की थी. इसके तहत केंद्र सरकार विशेष दर्जा प्राप्त राज्य को मदद के तौर पर बड़ी राशि देती है. इन राज्यों के लिए आवंटन, योजना आयोग की संस्था राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) करती थी.
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क्या माने जाते थे आधार
पहले एनडीसी जिन आधारों पर विशेष दर्जा देती थी उनमें था, पहाड़ी क्षेत्र, कम जनसंख्या घनत्व या जनसंख्या में बड़ा हिस्सा पिछड़ी जातियों या जनजातियों का होना, रणनीतिक महत्व के क्षेत्र मसलन अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाके, आर्थिक और बुनियादी पिछड़ापन, राज्य की वित्तीय स्थिति आदि. लेकिन अब योजना आयोग की जगह नीति आयोग ने ले ली है. और नीति आयोग के पास वित्तीय संसाधनों के आवंटन का कोई अधिकार नहीं है.
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14वें वित्त आयोग की भूमिका
केंद्र सरकार के मुताबिक, 14वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में राज्यों को दिए जाने वाले "विशेष दर्जा" की अवधारणा को प्रभावी ढंग से हटा दिया था. केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के मसले पर कहा कि केंद्र, प्रदेश को स्पेशल कैटेगिरी में आने वाला राज्य मानकर वित्तीय मदद दे सकता है. लेकिन सरकार आंध्र प्रदेश को "विशेष राज्य" का दर्जा नहीं देगी.
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"विशेष दर्जा" का क्या लाभ
नीति आयोग से पहले योजना आयोग विशेष दर्जे वाले राज्य को केंद्रीय मदद का आवंटन करती थी. ये मदद तीन श्रेणियों में बांटी जा सकती है. इसमें, साधारण केंद्रीय सहयोग (नॉर्मल सेंट्रल असिस्टेंस या एनसीए), अतिरिक्त केंद्रीय सहयोग (एडीशनल सेंट्रल असिस्टेंस या एसीए) और विशेष केंद्रीय सहयोग (स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस या एससीए) शामिल हैं.
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क्या है मतलब
विशेष दर्जा प्राप्त राज्य में केंद्रीय नीतियों का 90 फीसदी खर्च केंद्र वहन करता है और 10 फीसदी राज्य. वहीं अन्य राज्यों में खर्च का 60 फीसदी ही हिस्सा केंद्र सरकार उठाती है और बाकी 40 फीसदी का भुगतान राज्य सरकार करती है.
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किन राज्यों के पास है दर्जा
एनडीसी ने सबसे पहले साल 1969 में जम्मू कश्मीर, असम और नगालैंड को यह दर्जा दिया था. लेकिन कुछ सालों बाद तक इस सूची में अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा शामिल हो गए. साल 2010 में "विशेष दर्जा" पाने वाला उत्तराखंड आखिरी राज्य बना. कुल मिलाकर आज 11 राज्यों के पास यह दर्जा है.
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अन्य राज्यों की मांग
देश के कई राज्य "विशेष दर्जा" पाने की मांग उठाते रहे हैं. इसमें आंध्र प्रदेश, ओडिशा और बिहार की आवाजें सबसे मुखर रही है. लेकिन अब तक इन राज्यों को यह दर्जा नहीं दिया गया है.