भारत के पश्चिमी घाट विश्व धरोहर में शामिल
२ जुलाई २०१२1600 किलोमीटर लंबे पश्चिमी घाट की गिनती दुनिया के उन आठ सबसे अहम जगहों में होती है जहां जैव विविधता सबसे ज्यादा पाई जाती है. पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाएं भारत में मानसून के प्रवाह को भी प्रभावित करती हैं. यह पर्वत श्रृंखला गुजरात से शुरु होकर महाराष्ट्र, कर्नाटक से लेकर गोवा और केरल तक फैली है. कन्याकुमारी पश्चिमी घाट का सबसे दक्षिणी कोना है.
भारत के पश्चिमी घाट के आलावा जर्मनी के एक ऑपरा हाउस और मध्य अफ्रीकी देश चाड की आठ झीलों को भी इस सूची में शामिल किया गया है. जर्मनी के बायरॉयत शहर में मौजूद मारग्राविएल ऑपरा बारोक थियेटर का सबसे बढ़िया नमूना माना जाता है और यह इकलौता है जिसे अभी तक संरक्षित किया गया है. 18वीं शताब्दी में बनाए गए इस ऑपरा हाउस में एक साथ 500 दर्शक संगीत और ऑपरा का मजा उठा सकते हैं. बारोक स्टाइल में बनी ऑपरा हाउस को भारी-भरकम तरीके से सजाया गया है. सजावट का यह तरीका 17वीं से लेकर 18वीं शताब्दी तक यूरोप में बेहद लोकप्रिय था. इसके अलावा जर्मनी और पुर्तगाल की सीमा पर बसे एक कस्बे को भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. एल्वास नाम का कस्बा 10वीं शताब्दी में बनाया गया था. बाद में 1640 में इसके चारों ओर दीवार बनाने का काम शुरु किया गया था. खाई और दीवार के सहारे शहर को संरक्षित करने का यहां दुनिया का सबसे बड़ा तंत्र बनाया गया था.
अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान के इलाके में मौजूद उनियांगा झीलों को भी संयुक्त राष्ट्र ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. 62,808 हेक्टेयर में फैली 18 झीलें आपस में जु़ड़ी हुई हैं. इन झीलों का ताजा, नमकीन पानी कई तरह के जानवरों और छोटे मोटे जीव जंतुओं का निवास स्थान है. संयुक्त राष्ट्र संघ की धरोहर समिति की बैठक साल में एक बार होती है. यह समिति उन प्राकृतिक और सांस्कृतिक जगहों को बारे में विचार करती है जिन्हें विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जा सकता है.
वीडी/एमजी(पीटीआई)