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भारत के बड़े शहर में संसाधन खत्म हो रहे हैं

२९ जनवरी २०११

भारत के नए नागरिक विकास मंत्री कमल नाथ ने दावोस में चल रहे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच में कहा कि भारत के बड़े शहर अपने नागरिकों को पानी और यातायात की सुविधा देने के काबिल नहीं हैं.

तस्वीर: AP

कमल नाथ ने कहा कि भारत के सारे बड़े शहरों के संसाधन पूरी तरह खत्म हो चुके हैं और अब पानी और सड़कें जैसी सुविधा दिलाने में परेशानियां आ रही हैं. इस सिलसिले में भारत विश्व बैंक से एक अरब डॉलर का उधार ले रहा है जिससे भारत के चुनिंदा शहरों में पानी की सप्लाई को सही किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि शहरों के लिए जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन(जेएनएनयूआरएम) के सिलसिले में विश्व बैंक ने भारत को पांच अरब विकास मदद यानी सॉफ्ट लोन देने का प्रस्ताव रखा था और भारत आखिरकार एक अरब डॉलर लेने को तैयार है. "विश्व बैंक तैयार है लेकिन हमारी सरकार स्कीमों के साथ तैयार नहीं है." इस सिलसिले में कमल नाथ विश्व बैंक के प्रमुख रॉबर्ट सोएलिक से भी मुलाकात कर रहे हैं.

तस्वीर: DW

नाथ का कहना था कि जेएनएनयूआरएम जैसी स्कीमें इतनी सफल नहीं हुई हैं और इसलिए उनकी जगह और नई परियोजनाओं के बारे में सोचा जा रहा है. इन नई स्कीमों में संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार, स्थानीय और जिला स्तर के प्रशासनों को और अधिकार दिए जाएंगे.

नागरिक विकास मंत्री का कहना था कि भारत के लिए शहरों का विकास एक बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि आने वाले दिनों में शहर ही भारत के आर्थिक विकास का केंद्र होंगे. शोध कंपनी मैककिन्सी ग्लोबल इंस्टिट्यूट के मुताबिक भारत के शहरों में 2030 तक लगभग 60 करोड़ लोग रहेंगे जो जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा होगा. लगभग 68 शहरों में दस लाख से ज्यादा लोग रहेंगे और 13 शहरों में 40 लाख से ज्यादा लोग रहेंगे.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः आभा एम

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