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भारत के विमान बाज़ार पर निगाहें

१० अक्टूबर २००९

दुनिया भर की विमान कंपनियां भारत के बाज़ार को बड़ी उम्मीद की नज़र से देख रही हैं और उन्हें लगता है कि भविष्य में भारत विमान सेवा का एक बड़ा केंद्र बन सकता है. बर्लिन में एशिया पैसिफ़िक वीक में हुई चर्चा.

विमान कंपनियों की भारत पर नज़रतस्वीर: AP

बर्लिन में जब एयर ट्रैफ़िक पर बात चली तो विमान सेवाओं से भी भारत और यूरोप को क़रीब लाने पर चर्चा हुई.

भारत के हवाई मुसाफ़िर भले ही पायलटों की हड़ताल से परेशान हों, इस बाज़ार पर दुनिया की निगाहें लगी हैं. भारत की अर्थव्यवस्था ने जिस तरह से आर्थिक मंदी का सामना किया है, उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी साख बढ़ी है और हवाई सेवा के जानकार उसे एक बड़ा हवाई हब बनते देख रहे हैं. वर्नर हेसेन पांच साल तक जर्मनी के लुफ़्थहांसा एयरलाइंस में दक्षिण एशिया प्रमुख रह चुके हैं. वो कहते हैं कि यात्री भी हैं और बुनियादी ढांचा भी तैयार हैं. भारतीय विमानन के क्षेत्र में उदारवाद की प्रक्रिया भी शउरू हो गई है और ये विकास की दिशा में प्रमुख क़दम हैं.

भारतीय हवाई यात्रा कंपनियों के सामने चुनौतीतस्वीर: dpa

अगर अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं तो प्लेन उधर से भी उड़ चले हैं. भारत की जेट एयरवेज़ ने कुछ साल पहले अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की हैं और अब तो उसका आधा राजस्व विदेशी उड़ानों से आ रहा है. जेट एयरवेज़ के यूरोप के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजा सेगरन का कहना है कि वे यूरोप से भारतीय शहरों की सीधी उडा़न की योजना बना रहे हैं.जैसे जैसे भूमंडलीय आर्थिक संकट कम होता जाएगा और इसे होना ही है तो हम भी भारत के प्रमुख शहरों में अपना वित्तीय ढांचा मज़बूत करना शुरू करेंगे.

आम तौर पर भारत जाने वाले यात्री खाड़ी देशों से होकर सफ़र करते हैं, जिसमें दो तीन घंटे ज़्यादा लगते हैं. जेट एयरवेज़ इसे बदलना चाहता है. फ़िलहाल उसके विमान यूरोप में ब्रसेल्स के लिए उड़ते हैं और अब जर्मनी और फ्रांस पर ख़ास तवज्जो देना चाहता है. राजा का कहना है कि अगर यात्रियों को विकल्प मिलेगा तो वे ज़रूर नए रास्ते तलाशेंगे.

अगर ग्राहक के पास विकल्प है तो वो नॉन स्टॉप फ्लाइट लेगा. जब भी ऐसी उड़ानें आएंगी तो ज़ाहिर है लोग उन्हीं में जाना पसंद करेंगे.

भारत के मिडिल क्लास ने हाल के दिनों में काफ़ी तरक़्की की है और इस वजह से भी हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी है. देश के अंदर अब नए एयरलाइन्स की बाढ़ आ गई है लेकिन परेशानियां दूसरी जगह हैं. हवाई ईंधन और एयरपोर्ट के रख रखाव की दिक्कत है. हवाई मामलों के एक्सपर्ट वर्नर हेसेन कहते हैं.

दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग की दरें बहुत ज़्यादा है. फ्रैंकफर्ट और बर्लिन से भी महंगी. और

इससे विमान का किराया भारतीय ग्राहकों के लिहाज़ से कम रखना पड़ता है. हालांकि इस चीज़ का असर भारत की विमान कंपनियों के कारोबार पर पड़ सकता है. फिर भी अभी तो यही है कि इस तरह जो भी कंपनी इन बातों का ख़्याल रखेगी वही फ़ायदे में रह सकती है.

भारत में हवाई अड्डों पर काम चल रहा है और पैंतीस बड़े एयरपोर्ट का कायाकल्प किया जा रहा है दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक विशाल टर्मिनल बन रहा है और इतना तय है कि आने वाले दिनों में भारत की हवाई तस्वीर बदलने वाली है.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ़

संपादनः टॉमस बैर्टलाइन

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