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भारत के विरोध के बावजूद जी20 में समझौता

२० फ़रवरी २०११

दुनिया के 20 चोटी की आर्थिक सत्ताओं के संगठन जी-20 के देशों के वित्त मंत्री पैरिस में हो रही अपनी बैठक में आर्थिक विषमता को मापने के कारकों पर सहमत हो गए हैं.

तस्वीर: AP

फ्रांस की राजधानी पैरिस में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों के बीच कई घंटों तक चली बैठक के बाद मेजबान वाणिज्य मंत्री क्रिस्टीने लागार्ड ने कहा, "परस्पर विरोधी हितों के कारण समझौता आसान नहीं था. लेकिन हम एक टेक्स्ट के लिए समझौता करने की हालत में थे."

आर्थिक विषमता तय करने के लिए जो कारक तय किए गए हैं उनमें सार्वजनिक और गैर सरकारी कर्ज, बजट घाटा, बचत का हिस्सा और निवेश के अलावा व्यापार और अर्थव्यवस्था की क्षमता शामिल है. जी-20 के समापन बयान में कहा गया है कि आर्थिक आंकड़ों को बेहतर ढंग से समझने के लिए मुद्रा दर की नमनशीलता को बेहतर बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए. विज्ञप्ति में विदेशी मुद्रा भंडार की कोई चर्चा नहीं है. चीन मुद्रा से संबंधित कोई निर्देश मानने को तैयार नहीं था. उसने करंसी रिजर्व और विनिमय दर को कारकों में शामिल नहीं होने दिया. भारत भी सबके लिए एक कारक तय करने के खिलाफ था.

तस्वीर: AP

लागार्ड ने कहा, रिजर्व का जिक्र छोड़ दिया गया है, लेकिन उन्होंने साथ ही जोड़ा कि समझौते में सकल भुगतान संतुलन तय करते समय विनिमय दर पर भी ध्यान देने की बात शामिल है. अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चीन पर आरोप लगाते हैं कि वह अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए युआन की दर जानबूझकर नीचे रख रहा है.

व्यापार संतुलन में बड़े लाभ या नुकसान जैसे आर्थिक विषमताओं के कारकों को माप कर जी-20 सरकारी बजट के घाटे को कम करना चाहता है ताकि विश्व में संतुलित और टिकाऊ विकास का आधार बन सके.

जी-20 की विज्ञप्ति में कहा गया है कि सदस्य देशों के मंत्री अंतरराष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए काम करने पर सहमत हुए हैं ताकि पूंजी प्रवाह में खतरनाक उतार चढ़ाव और विनिमय दर में अव्यवस्थित परिवर्तन को रोका जा सके.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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