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भारत के सबसे बड़े कला मेले से एमएफ हुसैन बाहर

२१ जनवरी २०११

भारत में अब तक के सबसे बड़े कला मेले का आयोजन किया जा रहा है. शुक्रवार को शुरू हुए मेले के आयजकों को हिंदू कट्टरपंथियों से धमकी मिलने के बाद उन्होंने हुसैन की तस्वीरे प्रदर्शनी से हटा दीं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिल्ली आर्ट गैलरी ने हुसैन की तीन तस्वीरें प्रदर्शनी में लगाई थीं. गैलरी के मालिक आशीष आनंद ने कहा, "हमने हुसैन के काम के लिए कड़ी सुरक्षा रखी थी लेकिन हमलों के डर से इन्हें हटा दिया गया. गैलरी को एक कट्टरपंथी हिंदू संगठन से आपत्तिजनक संदेश मिले थे. आनंद ने कहा कि वे तस्वीरों को दोबारा दिखाने के बारे में सोच रहे हैं. हिंदू गुटों ने हुसैन के खिलाफ उनकी बनाई तस्वीरों के सिलसिले में 800 से ज्यादा शिकायते दर्ज की हैं. गुटों के मुताबिक हुसैन के तस्वीरों में हिंदू देवी-देवताओं को आपत्तिजनक तरीके से पेश किया गया है.

हर साल भारत में कला के लिए खास शिखर सम्मेलन इंडियन आर्ट समिट का आयोजन किया जाता है. इस साल विश्व भर से 84 गैलरियां शामिल हो रही हैं. इससे न केवल कला को पसंद करने वाली जनता बल्कि भारतीय कलाकारों को भी अपना काम पेश करने का मौका मिलता है. वैश्विक स्तर पर काम कर रहे कला व्यापारी भी भारतीय कला विश्लेषकों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं. इस साल फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान, अमेरिका और सिंगापुर से गैलरियां दिल्ली में अपने कला संग्रह लोगों के सामने पेश करेंगी.

कला को बढ़ावा

मेले का आयोजन कर रही नेहा किरपाल का कहना है, "शुरूआत से ही हमारा मकसद था भारतीय कला और भारत में उसके लिए बाजार को बढ़ावा देना." भारत में अब भी संग्रहालय जाने की परंपरा नहीं है लेकिन 2009 में आर्थिक मंदी के बाद दुनिया भर के कला व्यापारी भारत में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. पिछले साल लंदन के मशहूर सदबीज में सैयद हैदर रजा की तस्वीर 'सौराष्ट्र' लगभग 17 करोड़ रुपयों में बिकी. अब तक किसी भी भारतीय कलाकार की पेंटिंग को इतने महंगे कीमत देकर नहीं खरीदा गया है.

हुसैन की पेंटिंग हटाई गईतस्वीर: AP

कई सालों तक विदेशी कला व्यापारियों का मानना था कि भारत में कला खरीदने वाले केवल भारतीय कलाकारों का काम पसंद करते हैं. लेकिन अब भारत में भी कला के प्रति रवैया बदल रहा है और विदेशी आर्ट डीलर, जैसे फ्रैंकफर्ट की डी गालेरी, जानते हैं कि भारत में भी उनकी कला को पसंद करने वाले लोग हैं. डी गालेरी के मालिक पेटर फेमफर्ट का कहना है, कि लोग यहां जानने को उत्सुक और कला के 'भूखे' हैं. फेमफर्ट की डी गालेरी की प्रदर्शनी में पाबलो पिकासो, खोन मिरो और साल्वादोर दाली जैसे मशहूर कलाकारों के भी पेंटिंग दिखाई दिए. उनके मुताबिक कई भारतीय खरीददार विदेश जाकर खरीदते हैं और अब वक्त आ गया है कि विदेशी गैलरियां भी भारत में आ कर यहां के लोगों को मौका दें.


कला भी निवेश भी

मशहूर कलाकारों की कृति होने के अलावा यह पेंटिंग लोगों को अपना पैसा निवेश करने का भी अच्छा मौका दे रही हैं. सैफ्रनार्ट के दिनेश वजीरानी का कहना है कि लोग अब बाजारों के अलावा कला में भी निवेश करना पसंद करते हैं.

हालांकि भारत के जाने माने एमएफ हुसैन का काम कला प्रदर्शनी में नहीं दिखेगा. उनकी तस्वीरों को लेकर कट्टरपंथी गुटों के विरोध को देखते हुए पिछले सालों में भी आयोजकों ने उन्हें शामिल नहीं किया था. लेकिन इस साल शामिल होने के बाद अचानक तस्वीरों को हटाने का फैसला लिया गया. भारत के केंद्रीय जानकारी आयोग सीआईसी ने गृह मंत्रालय को हुसैन की कला के विवादास्पद होने को लेकर जानकारी के खुलासे के आदेश दिए थे. हालांकि इस सिलसिले में कोई और जानकारी नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः एन रंजन

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