भारत के सबसे बुजुर्ग कोरोना मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिली
१ अप्रैल २०२०
भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच 93 साल के एक बुजुर्ग को कोरोना वायरस पर जीत पाने में कामयाबी मिली है. केरल का यह मरीज देश का सबसे उम्रदराज कोरोना मरीज था. उसकी 88 वर्षीया पत्नी भी बीमार थी.
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थॉमस अब्राहम और उनकी पत्नी मरियम्मा को अपने बेटे और बहू से इंफेक्शन हो गया था. मार्च में इटली के दौरे से वापस लौटने के बाद उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया ने बुधवार को रिपोर्ट दी है कि 93 साल के थॉमस अब्राहम ने इंफेक्शन से निजात पा ली है और अब वे स्वस्थ माने जा रहे हैं. वे कोरोना के संक्रमण से उबरने वाले देश के सबसे बुजुर्ग मरीज हैं. दोनों पती पत्नी कई दिनों तक अस्पताल के इंटेंसिव केयर में गंभीर स्थिति में भर्ती थे. अब बुधवार को ठीक होने के बाद उन्हें अस्पातल से छुट्टी दे दी गई है.
भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के 1400 मामलों की पुष्टि हुई है. संक्रमण से 38 लोगों की मौत हुई है. पिछले बुधवार से वहां तीन हफ्ते का लॉकडाउन लागू है, जिससे देश की 1.3 अरब आबादी प्रभावित है. देश के मजदूरों पर लॉकडाउन का खासा असर हुआ है. पिछले दिनों में लॉकडाउन की वजह से बंदी का सामना कर रहे प्रवासी मजदूर अपने अपने प्रांतों की ओर निकल पड़े थे. भारत में इस समय बस, ट्रेन और हवाई यातायात बंद है. करीब 90 फीसदी मजदूर अनौपचारिक सेक्टर में काम करते हैं और वे रोज की कमाई पर निर्भर हैं.
लॉकडाउन से प्रभावित होने वालों में देश भर में बेघर लोग भी हैं. एक अनुमान के अनुसार करीब 40 लाख लोग बेघर हैं. लॉकडाउन ने लोगों को घरों में बंद कर दिया है और कोरोना की वजह से कोई सड़कों पर नहीं निकल रहा. इस वजह से इन बेघर लोगों के लिए भीख मांगने का भी विकल्प नहीं है. कुछ लोगों को शेल्टर होम्स में सहारा मिला है लेकिन बहुत से सड़कों पर हैं. राहतकर्मियों का कहना है कि लाखों बेघर लोगों के कोरोना से संक्रमित होने का गंभीर खतरा है.
चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस पर इतनी चर्चा और गहन रिसर्च के बावजूद हम इस खतरनाक वायरस के बारे में कई अहम बातें नहीं जानते हैं. डालते हैं इन्हीं पर नजर:
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किसके लिए घातक
सबसे बड़ा रहस्य यह है कि 80 फीसदी लोगों में इसके लक्षण या तो दिखते ही नहीं या बहुत कम दिखते हैं. दूसरे लोगों में यह घातक न्यूमोनिया की वजह बन उनकी जान ले लेता है. ब्रिटिश जर्नल लांसेट में छपी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों के नाक और गले में वायरस का जमाव कम पीड़ित लोगों की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा होता है.
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और रिसर्च की जरूरत
तो क्या यह माना जाए कि बढ़ती उम्र की वजह से ज्यादा पीड़ित लोगों का प्रतिरोधी तंत्र मजबूती से काम नहीं कर रहा है या फिर वे वायरस के संपर्क में ज्यादा थे? यह सवाल अपनी जगह कायम है. अभी इस बारे में और रिसर्च करने की जरूरत है.
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हवा में वायरस
माना जाता है कि कोरोना वायरस शारीरिक संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाली छोटी छोटी बूंदों से फैलता है. तो फिर यह वायरस मौसमी फ्लू फैलाने वाले वायरस की तरह हवा में कैसे रह सकता है?
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वायरस की ताकत
अध्ययन बताते हैं कि नया कोरोना वायरस लैब मे तीन घंटे तक हवा में रह सकता है. वैज्ञानिक यह नहीं जानते कि इतनी देर हवा में रहने के बाद भी क्या यह किसी को संक्रमित कर सकता है? पेरिस के सेंट अंटोनी अस्पताल की डॉक्टर कैरीन लाकोम्बे कहती हैं, "हम वायरस ढूंढ तो सकते हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते कि क्या वायरस तब संक्रमण में सक्षम है."
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असल मामले कितने
दुनिया में जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देश ही सघन जांच कर रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर में कोरोना के मामलों की असल संख्या क्या है, यह नहीं पता. ब्रिटिश सरकार ने 17 मार्च को अंदेशा जताया कि 55 हजार लोगों को वायरस लग सकता है जबकि तब तक महज 2000 लोग ही टेस्ट में संक्रमित पाए गए थे.
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नए तरीके की जरूरत
बीमारी से निपटने और इसे रोकने के लिए कुल मरीजों की असल संख्या जानना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अलग रखा जा सके और उनका इलाज हो सके. यह तभी संभव होगा जब ब्लड टेस्ट के नए तरीके विकसित किए जा सकें.
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गर्मी से भागेगा कोरोना?
क्या उत्तरी गोलार्ध में वसंत के गर्म दिनों या गर्मी के आने बाद कोविड-19 बीमारी रुक जाएगी? विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा संभव है, लेकिन पक्के तौर पर ऐसा कहना मुश्किल है. फ्लू जैसे सांस संबंधी वायरस ठंडे और सूखे मौसम में ज्यादा टिकते हैं इसीलिए वे सर्दियों में तेजी से फैलते हैं.
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चेतावनी
अमेरिका के मेडिकल हावर्ड स्कूल ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव होने से जरूरी नहीं है कि कोविड-19 के मामले रुक जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम से भरोसे रहने की बजाय बीमारी की रोकथाम के सभी प्रयासों को लगातार और तेजी से किए जाने की जरूरत है.
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कोरोना एक पहेली
वयस्कों के मुकाबले बच्चों को कोविड-19 होने का खतरा कम है. जो संक्रमित भी हुए वे ज्यादा बीमार नहीं हुए. बीमार लोगों के साथ रहने वाले बच्चों में भी इस वायरस से लगने की संभावना दो से तीन गुनी कम थी. प्रोफेसर लाकोम्बे कहती हैं, "कोरोना के बारे में बहुत सारी बातें हैं जो हम अब तक नहीं जानते हैं जो इस वायरस से निपटने में बाधा बन रही हैं." रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)