प्याज और टमाटर समेत कई सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी दर्ज की गई. यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुमान से कहीं ज्यादा है. महंगाई दर का असर आम बजट पर भी दिख सकता है.
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दिसंबर 2019 में देश में खुदरा महंगाई की दर 7.35 फीसदी रही, जो पिछले पांच सालों का सबसे ऊंचा स्तर है. यह ना सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक, आरबीआई की तरफ से तय 6 फीसदी के मध्यावधि लक्ष्य से ज्यादा है, बल्कि इससे कर्ज पर ब्याज दरों में कटौती का दौर भी थम सकता है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, एनएसओ की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक महंगाई जिन कारणों से एक दशक पहले बढ़ती थी, वही वजहें अब भी महंगाई बढ़ा रही हैं.
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर के 7.35 फीसदी पहुंचने के लिए मुख्य तौर पर सब्जियों की कीमतें जिम्मेदार रही हैं जिनमें महंगाई की दर 60.50 फीसदी रही है. नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 फीसदी थी जबकि दिसंबर 2018 में सिर्फ 2.11 फीसदी थी. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस समस्या पर सरकार को बजट में ध्यान देना होगा ताकि खाद्य महंगाई काबू में आ सके.
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक केंद्र सरकार के सामने दो मुख्य चुनौतियां हैं - पहला, बढ़ती कीमतों को काबू करना और दूसरा, आर्थिक विकास दर में तेजी लाना.
आर्थिक मामलों के जानकार वीरेंद्र सिंह घुनावत के मुताबिक, "सरकार के लिए यह दोनों काफी बड़ी चुनौती होगी, जिससे निपटना उसके लिए आसान नहीं होगा. सच्चाई यह भी है कि अब तक सरकार ने महंगाई और आर्थिक सुस्ती को गंभीरता से लिया ही नहीं. महंगाई आज इस कदर बढ़ गई है कि जिन गांवों में अनाज और सब्जियां पैदा होती हैं उन्हीं गांवों के किसानों को आज खाद्य सामग्री खुदरा कीमत पर खरीदकर खाना पड़ रहा है."
नए साल पर भारत को लगा महंगाई का झटका
नए साल पर भारत सरकार ने रेल किराया महंगा कर दिया है, इसके अलावा बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस भी महीने में लगातार पांचवी बार महंगी हो गई है. एक नजर डालते हैं भारत में एक जनवरी 2020 से महंगी और सस्ती हुई सेवा और उत्पाद पर.
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रेल का सफर महंगा
भारतीय रेल ने यात्री ट्रेन के हर श्रेणी के किराये में बढ़ोतरी कर दी है. चाहे आप सामान्य श्रेणी में सफर कर रहे हों या फिर वातानुकूलित श्रेणी में, सफर महंगा होने वाला है. रेल किराये में प्रति किलोमीटर एक से लेकर चार पैसे तक की वृद्धि की गई है. बढ़े किराये का असर लंबी दूरी की यात्रा करने वालों पर ज्यादा पड़ेगा. हालांकि उपनगरीय सेवा के किरायों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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महंगी रसोई गैस
नए साल पर रसोई गैस भी महंगी हो गई है. बिना सब्सिडी वाले सिलिंडर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. बिना सब्सिडी वाले 14 किलो और बिना सब्सिडी वाले 19 किलो के एलपीजी सिलिंडर की कीमतें बढ़ गई हैं. अगस्त से अब तक बिना सब्सिडी वाला सिलिंडर 140 रुपये तक महंगा हो गया है. दिल्ली में अब 14 किलो के सिलिंडर के लिए 714 रुपये चुकाने होंगे. बिना सब्सिडी के 19 किलो वाले सिलिंडर का दाम दिल्ली में अब 1241 रुपये हो गया.
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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल
दिसंबर 2019 में पेट्रोल और डीजल के दामों में तेजी ही रहा. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75 रुपये के पार है तो वहीं डीजल 67.96 रुपये प्रति लीटर के पार है. पेट्रोल आखिरी बार 16 दिसंबर को सस्ता हुआ था. उसके बाद कीमत या तो बढ़ी है या स्थिर रही है.
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महंगी कारें
कई कार कंपनियों ने अपनी कारें ऊंची लागत की वजह से महंगी कर दी हैं. मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, टोयोटा जैसी कंपनियों की गाड़ियां 1 जनवरी से महंगी हो गई हैं.
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एनईएफटी लेनदेन पर शु्ल्क नहीं
कुछ उत्पाद और सेवा महंगी हुई है तो कुछ सेवा सस्ती भी हुईं हैं. बैंकों से किए जाने वाले नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) सेवा के लिए अब से कोई शुल्क नहीं देना होगा.
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फास्टैग अनिवार्य
15 जनवरी से राष्ट्रीय राज्यमार्गों पर पड़ने वाले टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य हो रहा है. फास्टैग वाले लेन से बिना चिप लगी गाड़ियों पर जुर्माना लगेगा. फास्टैग का मकसद टोल नाकों पर भीड़ कम और समय की बचत करना है.
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घुनावत कहते हैं, "शहरों के आम इंसान की बात तो छोड़िए एक ग्रामीण कैसे 70 रुपये प्रति किलो सब्जी खरीद सकता है? ईरान और अमेरिका के बीच तनाव के कारण कच्चा तेल अलग से महंगा हो रखा है जो आने वाले दिनों में चिंता और बढ़ा सकता है.” एक निजी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के मुताबिक, "आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय बजट में कदम उठाने के लिए नीति निर्माताओं पर दबाव बढ़ गया है.”
वहीं घुनावत ने बताया कि महंगाई और बजट का सीधा रिश्ता नहीं है, बजट वार्षिक हिसाब-किताब होता है. उनके मुताबिक, "सीधे तौर पर बजट से ज्यादा आरबीआई के हाथों में होगा महंगाई को काबू में लाने के उपाय तलाशना. साथ ही वित्त मंत्री की जिम्मेदारी होगी कि बजट में ऐसे क्षेत्र में फंडिंग बढ़ाएं जहां विकास और क्रय बढ़ने की संभावना ज्यादा हो. उदाहरण के तौर पर निर्माण, रिएल एस्टेट, उत्पादन आदि. "
सरकार की चिंताएं
खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक अन्य जरूरी खाद्य सामग्री की कीमतों में भी तेजी बनी हुई है जिनमें दाल, मांस-मछली, अंडे शामिल हैं. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में तेजी का सीधा असर 6 फरवरी को आरबीआई की मौद्रिक नीति की अंतिम समीक्षा में दिखाई दे सकता है. दिसंबर में भी मौद्रिक नीति समीक्षा समिति ने महंगाई के बढ़ने की आशंका के चलते ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.
दुनिया के वे देश जहां सबसे ज्यादा है महंगाई दर
भारत में टमाटर की कीमत जैसे ही 20 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 30 रुपये पर पहुंचती है, लोग महंगाई की बात करने लगते हैं. दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां महंगाई आसमान छू रही है. एक नजर वैसे देशों में जहां सबसे ज्यादा महंगाई है.
तस्वीर: DW/M. Mueia
वेनेजुएला
कभी अपने तेल भंडार की वजह से दुनिया के अमीर देशों में शामिल रहा वेनेजुएला आज आर्थिक तंगहाली का सामना कर रहा है. अप्रैल 2019 में जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार यहां मुद्रास्फीति दर की 2,82,972 प्रतिशत पहुंच गई.
तस्वीर: picture-alliance/J. Villalta
जिम्बाब्वे
जिम्बाब्वे में भी महंगाई आसमान छू रही है. मार्च 2019 में जारी आंकड़े के अनुसार मुद्रास्फीति दर 175 प्रतिशत पर पहुंच गई. देश में आर्थिक संकट के कारण बड़ी संख्या में लोग रोजी रोटी की तलाश में विदेश जा रहे हैं.
तस्वीर: Imago/Xinhua
दक्षिण सूडान
दक्षिण सूडान में बढ़ती महंगाई की वजह से देश में कई जगह प्रदर्शन भी हुए. मार्च 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार देश में मुद्रास्फीति दर 56 प्रतिशत पहुंच गई.
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood
अर्जेंटीना
जून 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार अर्जेंटीना में मुद्रास्फीति दर 55 प्रतिशत पहुंच गई. देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. सरकार की नीतियां सफल होती नहीं दिख रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Schemidt
ईरान
जून 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार ईरना में मुद्रास्फीति दर 50 प्रतिशत पहुंच गई. अमेरिका द्वारा लगाए गए कई तरह के प्रतिबंधों का असर ईरान की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है.
तस्वीर: MIZAN/ A.H.Jamebozorg
सूडान
सूडान में आर्थिक संकट बना हुआ है. जून 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार यहां मुद्रास्फीति दर 48 प्रतिशत पहुंच चुकी है. देश में मंदी के हालात हैं. आए दिन रोटी के लिए संघर्ष की खबरें आती रहती है.
तस्वीर: AFP/A. Shazly
लाइबेरिया
लंबे समय तक संघर्ष जूझते रहे लाइबेरिया में महंगाई की वजह से आम लोग त्रस्त हैं. अप्रैल 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार यहां मुद्रास्फीति की दर 23 प्रतिशत है.
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood
हैती
मई 2019 में जारी आंकड़े के अनुसार हैती में मुद्रास्फीति की दर 18 प्रतिशत पहुंज गई. दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमत आसमान छू रही है.
तस्वीर: picture-alliance/empics
अंगोला
अफ्रीकी देश अंगोला में जुलाई 2019 में मुद्रास्फीति की दर 17 प्रतिशत रही. हालांकि यह जनवरी महीने के मुकाबले कम है लेकिन अभी भी लोग महंगाई से त्रस्त हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. G. Pensador
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आरबीआई के सामने विकास दर और ब्याज दरों के बीच संतुलन बनाने का बेहद चुनौतीपूर्ण काम है. अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तो उसका असर हर क्षेत्र में दिखाई पड़ता है. कृषि और उद्योग पहले से ही संकट से गुजर रहे हैं और ऊपर से रोजगार के क्षेत्र से भी खबरें अच्छी नहीं आ रही हैं. देश में रोजगार के अवसर कम पैदा हो रहे हैं जिसके कारण 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर थी.
बढ़ती महंगाई और अर्थव्यवस्था में सुस्ती से विपक्ष को सरकार पर हमले करने के नए मौके मिल गए हैं. विपक्षी पार्टियां पहले से ही सरकार पर अर्थव्यवस्था को सही तरीके से नहीं संभाल पाने का आरोप लगाती आई हैं. भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6 साल में सबसे निचले स्तर पर यानि 4.5 फीसदी पर है. घुनावत कहते हैं, "आर्थिक सुस्ती के बारे में सरकार के मंत्री पहले हर अर्थशास्त्री को गलत साबित करने में लगे थे. अब सरकार भी मान रही है कि आर्थिक सुस्ती है. अर्थव्यवस्था में पैसा अटका पड़ा है, खपत बढ़ नहीं रही है और नए निवेश नहीं आ रहे हैं. अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लाना सरकार के लिए भारी चुनौती है और इसमें काफी वक्त लगेगा.”