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भारत-चीन के बीच कम हो पाएगा तनाव?

११ सितम्बर २०२०

भारत और चीन की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख में चल रहे गंभीर तनाव के बीच, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच रूस की राजधानी मॉस्को में गुरूवार रात बातचीत हुई.

Russland Moskau Außenminister Subrahmanyam Jaishankar, Sergei Lavrov und Wang Yi
तस्वीर: picture-alliance/dpa/

दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को दौरे पर हैं. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी की बातचीत लगभग दो घंटों तक चली, जिसके बाद दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि दोनों मंत्रियों के बीच सीमावर्ती इलाकों में हुई घटनाओं पर स्पष्ट और रचनात्मक बातचीत हुई और पांच बिंदुओं पर सहमति हुई.

बयान के अनुसार ये पांच बिंदु हैं - दोनों पक्षों को उनके नेताओं के बीच कई बार हुई सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए और यह समझना चाहिए कि दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाना है और मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना है. सीमावर्ती इलाकों में मौजूदा स्थिति दोनों देशों के हित में नहीं है इसलिए दोनों तरफ के सैनिकों को बातचीत जारी रखनी चाहिए, जल्द ही एक दूसरे से अलग हो जाना चाहिए, उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए और तनाव को कम करना चाहिए.

दोनों पक्षों को सीमा से जुड़े मामलों पर सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए, सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखनी चाहिए और ऐसी कोई भी कार्रवाई जिसे मामला बिगड़ सकता है उससे दूर रहना चाहिए. सीमा के सवाल पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत की प्रक्रिया के जरिए दोनों देशों के बीच संवाद बना रहना चाहिए. वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोआर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स कि बैठकें भी चलती रहनी चाहिए.

जैसे ही स्थिति शांत होती है दोनों पक्षों को विश्वास बढ़ाने के नए कदम तेजी से स्थापित करने चाहिए ताकि सीमावर्ती इलाकों में शांति बनी रहे.

इसके अलावा सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि जयशंकर ने वांग यी से दो-टूक कहा कि "एलसी पर हथियारों के साथ चीनी सैनिकों की संख्या बढ़ाए जाने पर भारत चिंतित है" और "एलसी पर कई स्थानों पर चीन के अग्रणी सैनिकों द्वारा दर्शाए गए भड़काऊ बर्ताव ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का निरादर किया है."

जानकारों ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर पर बातचीत के होने का स्वागत किया है, लेकिन कहा है कि इसका कोई असर तभी देखने को मिलेगा जब लद्दाख में पीएलए के सैनिक अपने स्थानों से पीछे हटेंगे. 

कुछ जानकारों ने इस बात पर चिंता भी जताई है कि दोनों पक्षों में से किसी ने भी सैन्य झड़पों के शुरू होने से पहले की स्थिति बहाल करने का जिक्र नहीं किया. 

संयुक्त बयान और उसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान को देख कर यह संकेत मिल रहे हैं कि चीन के रुख में कोई विशेष नरमी नहीं आई है. चीनी बयान में साफ कहा गया है इलाके में गोलीबारी जैसी भड़काऊ कार्रवाई तुरंत बंद होनी चाहिए और सभी सैनिकों और उपकरणों को पीछे हटा लेना चाहिए. देखना होगा कि विदेश मंत्रियों की बातचीत का लद्दाख में हालात पर क्या असर होता है.

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