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भारत-चीन गतिरोध: सरकार से और जानकारी की मांग

२२ जून २०२०

गलवान घाटी की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य को चीनी मीडिया में चीनी सेना के वक्तव्य के पुष्टिकरण की तरह पेश किया गया. कुछ जानकार मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री एक बार फिर वक्तव्य दें और पूरी जानकारी दें.

Konflikt China Indien | Ganderbal-Grenze
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press/I. Abbas

गलवान घाटी की घटना पर सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान और बाद में सरकार द्वारा जारी किए गए उसके स्पष्टीकरण से घटना को लेकर जानकारी का अभाव रेखांकित हो गया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनोहन सिंह ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि देश इस समय "इतिहास के एक नाजुक मोड़" पर खड़ा है और ऐसे में सरकार को समझना चाहिए कि "भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता". 

प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा था कि भारत की सीमा का उल्लंघन नहीं हुआ है, जिसकी वजह से जानकार सरकार से ये सवाल पूछ रहे थे कि अगर चीनी सैनिक गलवान घाटी में भारत की सीमा के अंदर नहीं आए थे तो भारत के 20 सैनिकों ने किस वजह से और कहां लड़ते-लड़ते अपनी जान गंवा दी. बाद में सरकार ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि प्रधानमंत्री के वक्तव्य को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि उनका आशय यह था कि भारतीय सैनिकों की कार्रवाई के बाद कोई भी चीनी सैनिक भारत की सीमा में नहीं बचा था.

लेकिन इस स्पष्टीकरण से विवाद शांत नहीं हुआ है. कई विशेषज्ञों ने तो प्रधानमंत्री के वक्तव्य की आलोचना की ही है, अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सरकार को चेताया है. उन्होंने कहा है कि "प्रधानमंत्री को अपने शब्दों व ऐलानों द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक व भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को अपने बयान से चीन की सेना के "षड़यंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए".

तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press/I. Abbas

बताया जा रहा था कि प्रधानमंत्री के वक्तव्य के तुरंत बाद चीनी मीडिया में उनके बयान को बार बार दिखाया गया और उसे चीनी सेना के वक्तव्य के पुष्टिकरण की तरह पेश किया गया. कुछ जानकार मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री एक बार फिर वक्तव्य दें और पूरी जानकारी दें.

इस बीच मीडिया में आई कई खबरों में दावा किया जा रहा है कि सरकार ने अब वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से कहा है कि अब से सीमा पर पेश आने के नियम बदल दिए गए हैं और अब सैनिकों को अगर आवश्यक लगे तो हथियारों के इस्तेमाल करने की इजाजत है. सरकार ने पहले कहा था कि गलवान घाटी की घटना में मारे गए सैनिकों के पास हथियार तो थे लेकिन उन्होंने कुछ द्विपक्षीय समझौतों के नियमों के तहत उन हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया.

दूसरी तरफ कुछ खबरों में दावा किया जा रहा है कि सोमवार को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत होगी. संभावना है कि यह वार्ता लद्दाख में होगी और इसमें गलवान घाटी घटना समेत विवाद के सभी बिंदुओं पर चर्चा होगी.

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