जर्मनी के बॉन शहर में 24 अक्टूबर को भारत-जर्मन सहयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में "वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" से जुड़ी 10वीं संयुक्त कार्य समूह की बैठक आयोजित की गयी.
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इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय के सचिव डॉ केपी कृष्णनन ने किया और जर्मन पक्ष की अगुवाई जर्मनी के शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय के निदेशक फॉलकर रीके ने की. इस संयुक्त बैठक में व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास में भारत-जर्मन सहयोग से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की गयी. इसके अतिरिक्त मई 2017 में चौथे अंतर-सरकारी परामर्श के दौरान जिन समझौतों पर दस्तखत किये थे, उनके क्रियान्वयन पर भी बातचीत हुई. प्रतिनिधिमंडल ने व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में इंडो-जर्मन ज्वाइंट सर्टिफिकेशन (भारत-जर्मनी संयुक्त प्रमाणन) जैसी पहल का भी स्वागत किया.
बैठक में भारत के नेशनल काउंसिल ऑन वोकेशनल ट्रेनिंग की ओर से की जा रही कोशिशों और जर्मनी के द एसोसिएशन ऑफ जर्मन चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स (डीआईएचके) और इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स की पहलों का स्वागत किया. इन संस्थाओं पर प्रशिक्षण प्रक्रिया के दौरान गुणवत्ता बनाये रखने और प्रमाणन की जिम्मेदारी भी है. इसके अलावा डॉ कृष्णन ने साल 2018 में वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेंनिंग से जुड़ी अगली वार्ता के लिए फॉलकर रीके को भारत आने का न्योता भी दिया है.
जर्मनी में ट्रेनिंग, व्यावहारिक प्रशिक्षण पर आधारित है. यह विदेशों में जर्मन चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के कार्यों और सेवाओं का अहम हिस्सा है. यह सैंद्धातिक ज्ञान और इसके व्यावहारिक इस्तेमाल के बीच पैदा खाई को कम करता है. दरअसल जर्मन प्रणाली शिक्षा क्षेत्र में उद्योग की प्रत्यक्ष भागीदारी और स्वामित्व को प्रोत्साहित करती है जिसकी भारत समेत पूरे विश्व में मांग है.
व्यावहारिक शिक्षा और प्रशिक्षण, भारत में मेक इन इंडिया जैसी तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए विदेशी कंपनियों को आकर्षित करता है. साथ ही घरेलू कंपनियों के लिए भी विनिर्माण क्षेत्र का रास्ता सुलभ करता है. भारत में कुछ कंपनियों के साथ मिलकर इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने साल 2015 में धातुओं से जुड़ा एक छोटा कोर्स शुरू किया था, जिसमें पुणे के डॉन बोस्को प्राइवेट इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट को साझेदार बनाया गया था. इस कोर्स के बाद तमाम कंपनियों ने इसके प्रसार पर जोर दिया है.
जानिए जर्मनी से क्या क्या मंगाता है भारत
भारत-जर्मनी के बीच कारोबारी और तकनीकी संबंधों का विस्तार हो रहा है. यहां तक कि जर्मनी के कुछ राज्य भारत से पशुओं के चारे का भी आयात करते हैं. जानिए दोनों देश एक दूसरे से क्या क्या खरीदते हैं.
राइन नदी के किनारे बसा जर्मनी का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य नॉर्थराइन-वेस्टफेलिया, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. जर्मनी के साथ होने वाले कुल कारोबार का लगभग 24.11 फीसदी व्यापार इसी राज्य से होता है. पिछले कुछ सालों में निर्यात घटा है. दोनों पक्षों के बीच मशीनरी और कैमिकल्स का बड़ा व्यापार है.
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बाडेन व्युर्टेमबर्ग
भारत के साथ ट्रेड वॉल्यूम में इस राज्य का दूसरा स्थान है. यह राज्य भारत के साथ रसायनी पदार्थ, कपड़ा, गाड़ी की मशीनरी आदि का कारोबार करता है. हालांकि यहां से होने वाला मशीनरी का निर्यात पिछले कुछ सालों में घटा है, लेकिन अब भी राज्य, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उत्पादों में भारत के साथ खासा व्यापार कर रहा है.
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बवेरिया
इंडो-बवेरियन कारोबारी संबंध दोनों देशों के रिश्तों का मजबूत आधार है. मशीनरी, बवेरिया के निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा है. इसके अलावा इलेक्ट्रिकल उत्पादों, कंप्यूटर, कपड़ा, रसायन, धातु का व्यापार होता है. जहां अन्य राज्यों के साथ भारत का कारोबार घटा, तो वहीं तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद बवेरिया के साथ आर्थिक साझेदारी मजबूत हुई है.
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बर्लिन
बर्लिन और भारत के कारोबार में साल 2014 के बाद ही तेजी आई है. भारत को यहां से मशीनी उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उपकरण का निर्यात किया जाता है. वहीं भारत से यहां गारमेंट्स का आयात किया जाता है. कैमिकल्स और चमड़ा कारोबार दोनों पक्षों के बीच घटा है.
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ब्रैंडनबर्ग
भारत और ब्रैंडनबर्ग के बीच व्यापार मॉडरेट दर से बढ़ा है. इस राज्य के साथ भारत मशीनरी और कैमिकल्स का कारोबार करता है. साथ ही लकड़ी और लकड़ी के उत्पादों में यह भारत का बड़ा साझेदार है. इसके अलावा कैमिकल्स, इलेक्ट्रिकल, खाद्य उत्पादों और पशुओं का चारा भी इस व्यापार में शामिल है.
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ब्रेमेन
ब्रेमेन के साथ होने वाला मेटल कारोबार हाल के वर्षों में घटा है. इस राज्य के साथ भारत मोटरव्हीकल क्षेत्र, मशीनरी, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल प्रॉडक्ट्स में कारोबार करता है. हालांकि राज्य भारत से टैक्सटाइल, मेटल उत्पादों और चमड़ा उत्पादों का आयात करता है.
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हैम्बर्ग
यहां ट्रेड वॉल्यूम घटा है. इसका बड़ा कारण व्हीकल्स निर्यात में आई कमी है जिसमें एयरबस प्लेन की विशेष बिक्री भी शामिल है. राज्य का भारत के साथ मुख्य रूप से कैमिकल्स, गारमेंट और कृषि उत्पादों (एग्रो-प्रॉडक्ट्स) का व्यापार होता है. हालांकि इन एग्रो-प्रॉडक्ट्स के कारोबार में कुछ मंदी जरूर आयी है.
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हेसे
जर्मनी का बैंकिंग हब कहे जाने वाले हेसे प्रांत के साथ भारत के कारोबारी संबंधों का विस्तार हुआ है. दोनों पक्षों के बीच सबसे अधिक कारोबार रसायनों और दवाओं से जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही यह राज्य भारत के साथ चमड़े का कारोबार भी करता है.
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लोअर सेक्सनी
इस राज्य का कारोबार भारत के साथ घटा है. लेकिन मशीनरी कारोबार जस का तस बना हुआ है. भारत के साथ इसका मोटर व्हीकल और कैमिकल्स का कारोबार होता है लेकिन पिछले कुछ समय में गिरावट आई है. वहीं गारमेंट क्षेत्र में दोनों का कारोबार बढ़ा है.
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मैक्लेनबुर्ग वेस्ट-पोमेरेनिया
साल 2014 के आंकड़ों के मुताबिक भारत-जर्मनी की व्यापारिक साझेदारी में इसका हिस्सा 0.41 फीसदी का है. दोनों के बीच सबसे अधिक कारोबार मशीनरी क्षेत्र में होता है. इसके बाद लकड़ी व इलेक्ट्रिकल उत्पादों, ऑप्टिकल प्रॉडक्ट्स का स्थान आता है. साथ ही जर्मनी बड़े स्तर पर खाद्य पदार्थ और पशु चारा भारत से आयात करता है.
तस्वीर: DW/Shoib Tanha Shokran
राइनलैंड पैलेटिनेट
भारत के साथ इस राज्य का भी ट्रेड वॉल्यूम बढ़ रहा है. हालांकि साल 2010 से लेकर साल 2013 तक दोनों का ट्रेड वॉल्यूम घटा था लेकिन 2014 के बाद से माहौल सकारात्मक बना हुआ है. राज्य के साथ मुख्य कारोबार कैमिकल्स का है. इसके अलावा मशीनरी बेहद अहम है. साथ ही चमड़ा उत्पादों का भी बड़ा कारोबार दोनों में होता है.
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सारलैंड
भारत के साथ इस राज्य का भी ट्रेड वॉल्यूम घटा है. दोनों के बीच होने वाले मेटल प्रॉडक्ट्स और मशीनरी कारोबार में तेजी से गिरावट आई है. इसके इतर दोनों पक्षों के बीच मोटर व्हीक्लस और कच्चे माल का व्यापार बड़ा है.
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सेक्सनी
जर्मन के पूर्वी राज्यों पर नजर डालें तो सेक्सनी का भारत के साथ बड़ा व्यापार है. इस राज्य के साथ भारत का मशीनरी निर्यात बढ़ा है. मुख्य रूप से यह राज्य कागज, गाड़ी के पुर्जे का व्यापार करता है. इसके अलावा कैमिकल, मशीनरी, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उत्पाद प्रमुख हैं.
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सेक्सनी अनहाल्ट
भारत के साथ इस राज्य का व्यापार साल 2014 के बाद बढ़ा है. इस राज्य के साथ कैमिकल्स, मशीनरी उत्पादों, धातु में बड़ा कारोबार होता है. साथ ही भारत की दवा कंपनियों समेत धातु और कपड़ा क्षेत्र के लिए भी यहां बाजार सकारात्मक है.
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श्लेसविग होल्सटाइन
अन्य राज्यो की तुलना में इसका कारोबार भारत के साथ घटा है. राज्य, मुख्य रूप से भारत के साथ मशीनरी, कैमिकल्स, इलैक्ट्रिल उत्पादों और कंप्यूटर प्रोसेसिंग के क्षेत्र में व्यापार करता रहा है जिसमें कमी आई है. लेकिन टैक्सटाइल कारोबार साल 2014 के बाद बढ़ा है.
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थ्युरिंजिया
इस जर्मन राज्य के साथ भारत का ट्रेड वॉल्यूम घटा है. इस राज्य के साथ भारत, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, ऑप्टिकल प्रॉडक्ट, मशीनरी और इलैक्ट्रोनिक उत्पादों में व्यापार करता है. वहीं भारत से यह राज्य टैक्सटाइल्स और इलेक्ट्रिकल उत्पादों का आयात करता है.