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भारत-जर्मनी के बीच वोकेशनल ट्रेनिंग बढ़ाने पर जोर

२५ अक्टूबर २०१७

जर्मनी के बॉन शहर में 24 अक्टूबर को भारत-जर्मन सहयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में "वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" से जुड़ी 10वीं संयुक्त कार्य समूह की बैठक आयोजित की गयी.

Indien Angela Merkel und Narendra Modi in Neu-Delhi
तस्वीर: R. Schmidt/AFP/Getty Images

इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय के सचिव डॉ केपी कृष्णनन ने किया और जर्मन पक्ष की अगुवाई जर्मनी के शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय के निदेशक फॉलकर रीके ने की. इस संयुक्त बैठक में व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास में भारत-जर्मन सहयोग से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की गयी. इसके अतिरिक्त मई 2017 में चौथे अंतर-सरकारी परामर्श के दौरान जिन समझौतों पर दस्तखत किये थे, उनके क्रियान्वयन पर भी बातचीत हुई. प्रतिनिधिमंडल ने व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में इंडो-जर्मन ज्वाइंट सर्टिफिकेशन (भारत-जर्मनी संयुक्त प्रमाणन) जैसी पहल का भी स्वागत किया.

बैठक में भारत के नेशनल काउंसिल ऑन वोकेशनल ट्रेनिंग की ओर से की जा रही कोशिशों और जर्मनी के द एसोसिएशन ऑफ जर्मन चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स (डीआईएचके) और इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स की पहलों का स्वागत किया. इन संस्थाओं पर प्रशिक्षण प्रक्रिया के दौरान गुणवत्ता बनाये रखने और प्रमाणन की जिम्मेदारी भी है. इसके अलावा डॉ कृष्णन ने साल 2018 में वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेंनिंग से जुड़ी अगली वार्ता के लिए फॉलकर रीके को भारत आने का न्योता भी दिया है.

जर्मनी में ट्रेनिंग, व्यावहारिक प्रशिक्षण पर आधारित है. यह विदेशों में जर्मन चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के कार्यों और सेवाओं का अहम हिस्सा है. यह सैंद्धातिक ज्ञान और इसके व्यावहारिक इस्तेमाल के बीच पैदा खाई को कम करता है. दरअसल जर्मन प्रणाली शिक्षा क्षेत्र में उद्योग की प्रत्यक्ष भागीदारी और स्वामित्व को प्रोत्साहित करती है जिसकी भारत समेत पूरे विश्व में मांग है.

व्यावहारिक शिक्षा और प्रशिक्षण, भारत में मेक इन इंडिया जैसी तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए विदेशी कंपनियों को आकर्षित करता है. साथ ही घरेलू कंपनियों के लिए भी विनिर्माण क्षेत्र का रास्ता सुलभ करता है. भारत में कुछ कंपनियों के साथ मिलकर इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने साल 2015 में धातुओं से जुड़ा एक छोटा कोर्स शुरू किया था, जिसमें पुणे के डॉन बोस्को प्राइवेट इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट को साझेदार बनाया गया था. इस कोर्स के बाद तमाम कंपनियों ने इसके प्रसार पर जोर दिया है.

एए/आईबी

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