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भारत जाना चाहते हैं पाकिस्तान के 100 हिंदू परिवार

३ जनवरी २०११

बलूचिस्तान में 100 से ज्यादा हिंदू परिवार घर बार छोड़ कर भारत जाना चाहते हैं. रिपोर्टें हैं कि उनका फिरौती के लिए अपहरण किया जा रहा है, जिसके बाद वे पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते. कुछ परिवारों को भारत में शरण मिली.

पाकिस्तान में होली खेलते हिंदूतस्वीर: picture-alliance/dpa

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण पश्चिम बलूचिस्तान में हिंसा और अपराध के दौरान सबसे ज्यादा असर वहां रहने वाले हिंदू परिवारों पर पड़ा है. प्रांत के गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल जबरन वसूली और फिरौती के लिए सबसे ज्यादा 291 हिंदुओं को निशाना बनाया गया.

अखबार ने हिंदू संप्रदाय के लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बलूचिस्तान प्रांत में मसतूंग जिले के पांच हिंदू परिवारों को भारत में रहने की जगह मिल गई है, जबकि छह और परिवार राजनीतिक शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं. कई दूसरे परिवार भी भारत या पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों में जाना चाहते हैं.

तस्वीर: AP

फिरौती और अपहरणः

33 साल के केमिस्ट विजय कुमार ने बताया कि फिरौती और अपहरण से तंग आकर 100 से ज्यादा हिंदू परिवार भारत जाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमारे रिश्तेदार वहीं भारत में हैं. इसलिए हम भी वहीं जाना चाह रहे हैं."

सुरेश कुमार का परिवार पिछले सौ साल से क्वेटा के पास रह रहा है. लेकिन 31 साल के सुरेश अब परिवार के साथ भारत में शरण लेना चाह रहे हैं. कुमार का कहना है, "यहां कानून और व्यवस्था की गिरती स्थिति को देखते हुए हममें से ज्यादातर लोग अब भारत या पाकिस्तान के दूसरे हिस्से में चले जाना चाहते हैं."

अखबार की रिपोर्ट कहती है, "अकेले कुमार ऐसा नहीं चाहते. उनके समुदाय के लोगों का अपहरण हो रहा है और इलाके के ज्यादातर हिंदू पहला मौका मिलते ही पाकिस्तान छोड़ कर जाना चाह रहे हैं." बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में पिछले साल आठ लोगों का अपहरण हुआ, जिनमें से चार हिंदू थे. नसीराबाद जिले में 2010 में 28 लोगों को अगवा किया गया, जिनमें से आधे हिंदू संप्रदाय के थे.

ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, "आम तौर पर माना जाता है कि जिन लोगों का अपहरण किया जा रहा है, उनमें से ज्यादातर को बड़ी रकम की फिरौती के बाद छोड़ा गया. रिश्तेदार नहीं बताते कि कितनी फिरौती दी गई क्योंकि उन्हें डर है कि इसके बाद वह फिर से निशाने पर आ सकते हैं."

पाकिस्तान में रहने वाले हिंदूतस्वीर: AP

मंत्री की बातः

बलूचिस्तान में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बसंत लाल गुलशन का कहना है, "हाल की घटनाओं से हम सदमे में हैं." पिछले तीन साल में 41 हिंदुओं का अपहरण किया गया और फिरौती देने से इनकार करने पार चार लोगों की हत्या कर दी गई.

करीब डेढ़ साल पहले यहां से जुहारी लाल नाम के एक मशहूर व्यापारी का अपहरण हुआ और उनके बारे में अभी तक कोई पता नहीं लग पाया है. हाल ही में आध्यात्मिक गुरु लख्मीचंद गुरजी के अपहरण के बाद वहां रह रहे हिंदू परिवार और भी डर गए हैं. पिछले महीने चार समर्थकों के साथ उन्हें अगवा कर लिया गया. बाद में तीन लोगों को छोड़ दिया गया लेकिन गुरु और उनके बेटे को नहीं छोड़ा गया.

इसी तरह नानक राम नाम के एक इंजीनियर का भी कुछ दिनों पहले अपहरण हो गया और उनके बारे में भी अभी तक पता नहीं लग पाया है.

यहां रहने वाले हिंदू बलोच हैं और इलाके में घुसपैठ की घटनाओं का उन पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्हें बलूचिस्तान में गिरती कानून व्यवस्था की वजह से अपहरण किया जा रहा है.

संस्कृति के हिस्साः

हिंदू परिवार कई ऐसे जिलों में रहते हैं, जहां बलोच प्रभुत्व है. वे बलोच संस्कृति के भी हिस्सा बन चुके हैं. हालांकि राज्य के बसंत लाल गुलशन का कहना है कि ऐसा नहीं कि सिर्फ हिंदुओं को ही निशाना बनाया जा रहा है.

कानून व्यवस्था की कमीतस्वीर: AP

गुलशन का कहना है, "दूसरे संप्रदाय के कारोबारियों और रईस लोगों का भी अपहरण हो रहा है." बलूचिस्तान का इतिहास है कि पहले वहां अल्पसंख्यक लोगों की हिफाजत की जाती थी. मंत्री ने कहा, "मैं कबीलाई नेताओं से अपील करता हूं कि वे हमारी मदद करें."

गुलशन से जब पूछा गया कि हिंदू परिवार क्यों यहां से भाग रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि कुछ परिवार शायद इलाका छोड़ कर चले गए हैं लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम की दर्जनों और परिवार ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया कि कुछ हिंदू परिवार राजनीतिक शरण की अर्जी दे चुके हैं.

प्रांत की पुलिस का कहना है कि अपराधी सिर्फ अमीर लोगों को निशाना बना रहे हैं और वे यह नहीं देखते कि वे किस संप्रदाय के हैं. डीआईजी हमीद शकील ने बताया, "पिछली बार हमने एक ग्रुप को पकड़ा था, जिन्होंने एक हिंदू कारोबारी का अपहरण किया था. लेकिन ऐन मौके पर व्यापारी के बेटे ने अदालत में अपना बयान बदल दिया."

प्रांत के गृह सचिव अकबर हुसैन दुर्रानी ने भी इस बात से इनकार किया कि किसी हिंदू परिवार ने इसलामाबाद में भारतीय उच्चायोग के पास राजनीतिक शरण के लिए अपील की है. उन्होंने दावा किया, "यह बेबुनियाद बात है. जो भारत में रह रहा है, वह भारत में शरण की मांग कर सकता है, जो किसी और देश में रहता है, वह नहीं." हालांकि नियमों के मुताबिक यह बात सही नहीं उतरती.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट का दावा है कि प्रांत के गृह सचिव की बात सही नहीं है.

हाल ही में पाकिस्तान के संघीय मानवाधिकार मंत्रालय के एक क्षेत्रीय निदेशक सईद अहमद खान ने यह जानकारी देकर सनसनी फैला दी थी कि 27 हिंदू परिवारों ने राजनीतिक शरण के उद्देश्य से भारतीय उच्चायोग में अर्जी दी है. उन्होंने अखबार से बातचीत में कहा कि 2005 से ही हिंदुओं का पलायन शुरू हो चुका है और उन्हें निजी तौर पर लगता है कि पिछले पांच साल में क्वेटा से काफी हिंदू परिवार घर बार छोड़ चुके हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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