भारत जैसी गर्मी, इटली के किसान लगा रहे हैं आम के पेड़
८ अगस्त २०१८
इटली में इन दिनों भारत जैसी गर्मी पड़ रही है. आलम यह है कि यहां के किसानों ने आम, नींबू और तरबूज की खेती शुरू कर दी है. जलवायु परिवर्तन की मार झेलने के बाद उन्हें इसमें पारंपरिक फलों से ज्यादा फायदा दिखाई दे रहा है.
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इटली के सिसली राज्य के रहने वाले 39 वर्षीय रोसोलिनी पालासोलो ने 11 वर्षों पहले जब अपने बगीचे में पपीता उगाया तो उनके किसी दोस्त या रिश्तेदार तो इस फल के बारे में नहीं मालूम था. बढ़ती गर्मी ने उन्हें नींबू, केला और संतरे जैसे दूसरे भारतीय फलों को उगाने के लिए प्रेरित किया. वह बताते हैं कि उन्होंने जब पहली बार ब्राजील से आए आम खाए थे तो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आया. अब उन्हें आम खाना अच्छा लगता है. वह अब इटली के सबसे पहले कॉफी उत्पादक किसान बनना चाहते हैं.
पालासोलो की तरह इटली के कई किसान अब मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से उष्णकटिबंधीय फलों की खेती की ओर मुड़ गए हैं. किसानों का कहना है कि बढ़ता तापमान फलों की खेती के लिए सही है. गर्मी की वजह से आम लोगों में भी ताजे-रसीले फलों को खाने की मांग बढ़ी है. पालासोलो कहते हैं, ''इंटरनेट की वजह से लोगों को इन फलों के बारे में जानकारी हासिल हो रही हैं. इनमें विटामिन और कैल्सियम की भरपूर मात्रा होने से लोग खरीदने आ रहे हैं.''
पिछली सात पीढ़ियों से खेती कर रहे लेटित्सिया मारकेनो के परिवार ने आठ साल पहले केले के पेड़ लगाए. वह बताते हैं, ''7 हेक्टेयर के खेत में कुल 1200 केले के पेड़ लगे हैं, जो अब हमें पारंपरिक इतावली फल-सब्जियों से अधिक मुनाफा दे रहे हैं. यही वजह है कि अब आम और एवोकाडो उगाया जा रहा है.''
लीची वाले बिहार में अब स्ट्रॉबेरी की मिठास
लीची और आम के लिए विख्यात बिहार अब स्ट्रॉबेरी भी उगा रहा है. ठंडे इलाकों में उगने वाले इस फल के बिहार जैसे वातावरण में उगने की कल्पना नहीं की थी लेकिन वैज्ञानिकों की कोशिश और किसानों के हौसले ने इसे मुमकिन कर दिखाया है.
तस्वीर: Bihar Agriculture University
बिहार में स्ट्रॉबेरी
भारत में हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और कुछ दूसरे ठंडे इलाकों में स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही थी. बिहार के किसानों और कृषि विश्वविद्यालय सबौर के वैज्ञानिकों ने इसे अपने इलाके उगा लिया है. यहां नवंबर से फरवरी तक का मौसम ठंडा रहता है और इसी मौसम में स्ट्रॉबेरी उगाई जा रही है.
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अक्टूबर में शुरुआत
अक्टूबर में इसके लिए पौधे लगाने के साथ काम शुरू होता है. दिसंबर तक पौधे तैयार होते हैं और फिर उनमें फूल आने शुरू हो जाते हैं. इसके बाद के दो तीन महीनों में इनसे फल निकलते हैं. गर्मी आने के साथ ही पौधे सूख जाते हैं इसलिए हर साल नए पौधे लगाने पड़ते हैं.
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हर साल नए पौधे
यूरोपीय देशों और दूसरे ठंडे इलाकों या फिर ग्रीनहाउस में हो रही खेती का यही लाभ है कि यहां हर साल नए पौधे लगाने की जरूरत नहीं होती. एक बार पौधा लगाइए तो कई कई साल तक स्ट्रॉबेरी पैदा होती रहती है. जर्मनी में स्ट्रॉबेरी की कुछ किस्मों से तो छह साल तक फल निकलने का दावा किया जाता है.
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स्वीट चार्ली, कामरोजा, विंटरडॉन, नबीला
बिहार कृषि विश्वविद्यालय में स्ट्रॉबेरी की विशेषज्ञ डॉ रूबी रानी ने बताया कि कई सालों तक 10-12 किस्मों पर प्रयोग किए और फिर देखा कि कुछ किस्में हैं जो यहां उगाई जा सकती हैं. बिहार में उपजाई जा रही स्ट्रॉबेरी की प्रमुख किस्मों में स्वीट चार्ली, कामरोजा विंटरडॉन, नबीला, फेस्टिवल शामिल हैं.
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गर्मी और बारिश का संकट
तमाम कोशिशों के बावजूद पौधों को अप्रैल के बाद जीवित रखने में काफी मुश्किल हो रही है. गर्मी और भारी बारिश के कारण पौधे नष्ट हो जाते हैं, इस वजह से किसानों को हर साल ठंडे इलाकों से पौधे मंगाने पड़ते हैं और फिर उन्हीं को दोबारा खेत में लगाया जाता है.
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पोषक तत्वों से भरपूर
दिल के आकार वाली खूबसूरत स्ट्रॉबेरी दिल के साथ ही ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और कैंसर को दूर रखने में कारगर है. इसके अलावा कई पोषक तत्वों की मौजूदगी इसे बेहद फायदेमंद बनाती है. यही वजह है कि दुनिया भर में इसकी बड़ी मांग है.
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मुश्किलों से पार पाई
मुश्किलें कई थीं लेकिन वैज्ञानिकों की जुटाई जानकारी और किसानों की मेहनत के बलबूते यह संभव हुआ. फिलहाल भागलपुर, औरंगाबाद, और आसपास के कई इलाकों में करीब 25-30 एकड़ में स्ट्रॉबेरी कारोबारी तरीके से उगाई जा रही है. इसके अलावा छोटे स्तर पर भी कई इलाके में इसे उगाया जा रहा है.
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आस पास के इलाकों में भारी मांग
बिहार में उपजी स्ट्रॉबेरी की आसपास के इलाकों में काफी मांग है. पटना, कोलकाता और बनारस के बाजारों में ही सारी पैदावर खप जाती है. यहां स्टोरेज की सुविधा भी नहीं है इसलिए ज्यादातर स्ट्रॉबेरी तुरंत ही बेच दी जाती है. वैज्ञानिक इन्हें प्रोसेसिंग के जरिए लंबे समय तक रखने की तकनीक पर भी काम कर रहे हैं.
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नगदी फसल
यहां किसानों को एक किलो स्ट्रॉबेरी के लिए 200 से 250 प्रति किलो की कीमत मिल रही है. नगदी फसल की भारी मांग को देख कर आसपास के इलाकों के किसान काफी उत्साहित हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती में सफलता देख उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों से भी यहां लोग जानकारी के लिए आ रहे हैं.
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लीची नहीं स्ट्रॉबेरी
बिहार बासमती धान और अच्छे गेहूं के साथ ही आम और लीची जैसे फलों के लिए विख्यात है हालांकि बदलते वक्त की मार इन पर भी पड़ी है और किसानों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्ट्रॉबेरी ने लोगों को एक नयी फसल उगाने का रास्ता दिखा दिया है.
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मौसम पर शोध करने वाले फ्रांचेस्को वायोला बताते हैं, "पिछली एक शताब्दी में सिसली राज्य का औसतन तामपान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. किसानों को उष्णकटिबंधीय फल-सब्जियों को उगाना बढ़िया विकल्प लग रहा है.''
लेकिन इस नए ट्रेंड की चुनौतियां भी हैं. मसलन, उष्णकटिबंधीय फलों को लगाने के बाद सिंचाई के लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत पड़ती है. सिसली में तापमान बढ़ने और बारिश कम होने से पानी की कमी हो गई है. ऐसे में किसान इसका समाधान ढूंढने में जुटे हैं.
पालेरमो यूनिवर्सिटी में कृषि और वन विज्ञान के प्रोफेसर फ्रांचेस्को सोटाइल के मुताबिक, ''सिसली में पानी की कमी हमेशा से रही है. ऐसे में सूखे से निपटने वाली फल और सब्जियों को उगाने पर जोर देना चाहिए. टमाटर, तरबूज, बैंगन के पौधों को कम पानी चाहिए.''
2017 में सिसली के युवाओं की बेरोजगारी दर 60 फीसदी तक थी. 55 फीसदी जनता आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है. नई फल-सब्जियों की पैदावार ने युवाओं को हौसला दिया है कि कि वे वापस खेती की ओर मुड़े और मुनाफा कमाए.
वीसी/एमजे (रॉयटर्स थॉम्पसन)
सबसे ज्यादा आम कौन सा देश पैदा करता है?
सबसे ज्यादा आम कौन सा देश पैदा करता है?
आम को फलों का राजा कहा जाता है और पूरी दुनिया में इसकी मांग है. आइए जानते हैं कि आम की पैदावार के मामले में सबसे ऊपर कौन से देश हैं.
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9. बांग्लादेश
बांग्लादेश को आम का उत्पादन करने वाले अहम देशों में नौवें पायदान पर गिना जाता है. बांग्लादेश हर साल साढ़े 11.5 लाख टन से ज्यादा आम पैदा करता है.
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8. मिस्र
अफ्रीकी महाद्वीप में मिस्र आम का उत्पादन करने वाला सबसे अहम देश है. वहां हर साल 12.5 लाख टन आम पैदा होते हैं.
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7. ब्राजील
ब्राजील में हर साल 14.5 लाख टन से ज्यादा आम पैदा होता है. अमेरिका और यूरोप के कई देशों में ब्राजील से आम मंगाए जाते हैं.
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6. पाकिस्तान
आमों की पैदावार के मामले में दुनिया भर में पाकिस्तान का छठा नंबर है. वहां हर साल 15 लाख टन आम होता है, जिसमें कई तरह के आम होते हैं.
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5. इंडोनेशिया
दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया भी अग्रणीय आम उत्पादक देशों में शामिल हैं. वहां हर साल 21 लाख टन आम होते हैं.
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4. मेक्सिको
मध्य अमेरिकी देश मेक्सिको में हर साल लगभग 22 लाख टन आम पैदा होता है. कई देशों में वह आम निर्यात करता है.
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3. थाईलैंड
आम के बड़े उत्पादकों में दक्षिण पूर्व एशियाई देश थाईलैंड का नंबर तीसरा है और वह सालाना 34 लाख टन आम होता है.
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2. चीन
दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन आमों के उत्पादन में दूसरे पायदान पर है. चीन हर साल 47 लाख टन आम पैदा करता है.
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1. भारत
आमों के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सरताज है. वहां हर साल 1.87 करोड़ लाख टन आम की पैदावार होती है.